क्या मोटापा तेजी से कम हो सकता है सिर पर रोज पगड़ी या पल्लू रखने से
“स्वयं बनें गोपाल” समूह की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यही रहा है कि चाहे कितनी भी मेहनत व समय खर्च करना पड़े लेकिन हम हमेशा ऐसी नयी बेशकीमती जानकारियों को खोज कर निकालतें हैं जिनसे अधिक से अधिक आमजनमानस का भला हो सके !
आज हम आपको मानव सिर पर स्थित कुछ ऐसे एक्यूप्रेशर पॉइंट्स के बारे में बताने जा रहें हैं जिनसे मोटापा घटाने में बहुत मदद मिलती है ! वैसे तो शरीर में वेट लॉस के कई और भी एक्यूप्रेशर पॉइंट्स हैं लेकिन हमने गौर किया है कि सिर में स्थित ये पॉइंट्स (चित्र में दिखाए गए पॉइंट्स) बहुत शक्तिशाली हैं जिन पर सही तरीके से, सही समय तक दबाव देने से मोटापा तेजी से घट सकता है ! बिना विशेष परहेज व एक्सरसाइज के बावजूद भी सिर्फ इन पॉइंट्स की मदद से एक सप्ताह में 1 किलो तक वजन कम किया जा सकता है !
वैसे तो भगवान की बनाई हुई इस विचित्र दुनिया में हर आदमी के अंतहीन पूर्वजन्मो और इस जन्म के कर्मो से बना हुआ प्रारब्ध अलग – अलग होता है इसलिए ये जरूरी नहीं है कि अलग – अलग प्रारब्धो की वजह से अलग – अलग इंसानों में पैदा हुई एक ही तरह की बिमारी का परमानेंट इलाज, एक ही तरह की पद्धति से सम्भव हो सके ! जैसे- मान लीजिये किसी आदमी के हाथों में तेज दर्द हो रहा था तो उसने चिकित्सक से लेकर कुछ दिनों तक दवा खा ली जिसकी वजह से उसका दर्द हमेशा के लिए ठीक हो गया !
अब मान लीजिये आपके हाथों में तेज दर्द हो रहा हो लेकिन आपको किसी भी दवा से परमानेंट आराम नही मिल पा रहा हो और ऐसे में कोई आपसे कहे की आपका दर्द हमेशा के लिए तभी ठीक हो पायेगा जब आप एक नया लेख लिखेंगे तो क्या आपको उसकी बात पर भरोसा होगा ! आपने तो अपने जीवन के अब तक अनुभव से यही जाना है कि कोई बिमारी ठीक करने के लिए सिर्फ दवा खाना जरूरी होता है लेकिन साथ ही साथ आपने अपने अनुभव से यह भी जाना की बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो महंगी से महँगी दवा खाने के बावजूद भी ठीक नही हो पातें हैं, इसलिए हाथ दर्द दूर करने के एक बार लेख लिखने वाला एक्सपेरिमेंट करने में भी कोई दिक्कत नही है !
किसी एक ही बिमारी से ग्रसित सभी लोगों को, एक ही इलाज पद्धति से समान रूप से फायदा ना मिल पाने की व्यवहारिक सच्चाई को साबित करने के लिए, ऊपर दिया हुआ उदाहरण थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन ठीक ऐसा ही कुछ हुआ था परम आदरणीय श्री गोस्वामी तुलसीदास जी के साथ जिन्हें अपनी बांह यानी हाथों के तेज दर्द मे योग – आयुर्वेद की किसी भी चिकित्सा से विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा था !
पर अंततः श्री तुलसीदास जी को उनके बाहों के दर्द में परमानेंट फायदा मिला जब उन्होंने “हनुमान बाहुक” नाम के एक नए स्तोत्र की रचना की ! दुनिया में अब तक ना जाने कितने ही लोगों ने आयुर्वेद व योग से अपने हाथों का दर्द ठीक किया होगा लेकिन श्री तुलसीदास जी के प्रारब्ध में लिखा था कि वो अपने हाथों के दर्द से तब तक मुक्ति नहीं पा सकेंगे जब तक वो “हनुमान बाहुक” नाम के ऐसे स्तोत्र की रचना नही कर लेंगे जिसकी मदद से आने वाली पीढियां अपने कई रोगों का नाश कर सकेंगी !
ऐसा नही है कि श्री तुलसीदास जी को भगवान का दर्शन हो चुका था इसलिए जब उनके हाथ में दर्द शुरू हुआ, तभी उन्हें तुरंत पता चल गया कि उनके हाथ का दर्द “हनुमान बाहुक” की रचना करने पर ठीक हो पाएगा ! श्री तुलसीदास जी अपने हाथ के असहनीय दर्द से काफी समय तक परेशान हुए थे और उन्हें जब कही से कोई लाभ नही मिल रहा था तब अंत में उन्होंने भगवान से ही पूछा कि अब आप ही समाधान बताएं तब भगवान ने ही उन्हें इलाज के तौर पर “हनुमान बाहुक” लिखने की प्रेरणा दी थी ! जैसा तुलसीदास जी के साथ हुआ वैसा ही हम सभी लोगो के साथ भी हो रहा है मतलब हम अपनी समस्याओं का सही इलाज या तो जान नही पा रहें हैं या जानते हुए भी ठीक से आजमा नही रहें है ! इसी को बोलतें है प्रारब्ध का खेल जिससे सदियों से ये दुनिया भ्रमित होती आ रही है !
खैर अभी तक “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने जिन – जिन लोगों पर भी इन एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को आजमाया है उन सभी को मोटापा घटाने में जबरदस्त लाभ मिलते हुए देखा गया है ! वास्तव में ये पॉइंट्स इतने महत्वपूर्ण हैं कि मात्र 1 से 2 दिन के अंदर ही वजन में फर्क महसूस होना शुरू हो सकता है ! चित्र में दिखाए गए अनुसार ये पॉइंट्स सिर के अगल – बगल, ऊपर व पीछे स्थित हैं ! आप रोज सुबह – शाम खुद अपनी उंगलियों से खाली पेट (या खाने के 1 घंटे बाद) इन पॉइंट्स पर 10 बार तक दबाव दे सकतें हैं !
या आप रोज कई बार थोड़ी – थोड़ी देर के लिए सिर पर पगड़ी या पल्लू (घूँघट टाइप) जैसा कोई कपड़ा बाधकर भी इन पॉइंट्स पर दबाव बना सकतें हैं ! पर ध्यान रखियेगा कि सिर पर जिस भी कपड़े को बाधियेगा वो पूरी तरह से सूती व पतला हो ताकि सिर के बालों की जड़ों तक ताज़ी हवा पहुचती रहे !
सिर का बहुत देर तक ताज़ी हवा व सूर्य प्रकाश से सम्पर्क ना होने से बालों की जड़ें कमजोर हो सकतीं हैं (इसलिए एयर कंडीशनर में रोज ज्यादा देर तक रहने वाले लोगों को बालों की समस्या होना तय हैं) इसलिए संस्कारी परिवार की बहुओं को भी सिर पर पल्लू तभी रखने के लिए बोला गया है जब उन्हें आदरणीय लोगों व स्थानों (जैसे- घर के बड़े, बुजुर्ग या भगवान की कथा, मंदिर आदि) के सम्मुख जाना पड़ता है ! चूंकि एक संस्कारी संयुक्त परिवार में बहुओं को दिन भर में कई बार बड़े – बुजुर्गों (जैसे- ससुर, जेठ आदि) को खाने – पीने का सामान देने के लिए और भगवान की सुबह – शाम आरती आदि करने के लिए सिर पर पल्लू को थोड़ी – थोड़ी देर के लिए रखना पड़ता है इसलिए अनजाने में ही संयुक्त परिवार की बहुओं का वजन प्रायः संतुलित होते हुए देखा गया है !
अगर शरीर में कोई दूसरी बड़ी समस्या ना हो तो सिर पर पगड़ी बाधने या पल्लू रखने से शरीर का मेटाबोलिज्म वाकई में काफी सक्रिय हो सकता है जिससे आश्चर्यजनक रूप से मोटापा अपने आप धीरे – धीरे घटने लग सकता है या ज्यादा घी – तेल का बना हुआ खाना खाने के बावजूद भी वजन ज्यादा बढ़ने नही पा सकता है इसलिए आपने देखा होगा कि पूरे विश्व में कई धर्म – सम्प्रदाय में सिर पर पगड़ी, टोपी या हैट (Cap, Hat) आदि को बाधने की प्रथा है जिसका नियमित रूप से पालन करने वाले लोगों में मोटापे के शिकार व्यक्ति बहुत कम देखने को मिलतें हैं ! प्राचीन काल में भारतीय राजा – महाराजा भी अपने दरबार में बैठते समय सिर पर मुकुट को धारण करते थें और यहाँ तक की हमारे सारे देवी – देवताओं के सैकड़ों साल पहले बने हुए प्राचीन मन्दिरों की मूर्तियों पर भी मुकुट को देखा जा सकता है !
अभी कोरोना की दूसरी लहर के बाद हर जगह सुनने को मिल रहा है कि ना केवल पुरुषों के बल्कि महिलाओं के भी बाल बहुत तेजी से झड़ रहें हैं (जिसका इलाज जानने के लिए कृपया इस आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें- गंजे सिर पर बाल उगाने और सफ़ेद बालों का काला कर सकने में सक्षम) इसलिए बेहतर है कि बालों को छोटा करवाकर ही बालों पर कपड़ा बाधने का प्रयोग करें !
आप सूती कपड़े को सिर पर अपनी सुविधानुसार ऐसे किसी भी तरह से बाँध सकतें हैं जिससे आपके सिर के अगल – बगल, उपर व पीछे स्थित सारे पॉइंट्स पर एक हल्का उचित दबाव बना रहे ! मेटाबोलिज्म (उपापचय, metabolism) सक्रिय होने से भूख भी थोड़ा खुलकर लग सकती है इसलिए जो लोग बेहद दुबले – पतले हैं उनका भी वजन बढ़कर संतुलित होने लगता है !
तो इस तरह आप देख सकतें हैं कि अनंत वर्ष पुराने हिन्दू धर्म की सभी परम्पराओं (जैसे- कान में झुमके पहनने से भूख कण्ट्रोल करना, गले में रुद्राक्ष पहनने से हार्ट अटैक का खतरा कम करना, जनेऊ पहनने से प्रोस्टेट की तकलीफ कम करना आदि) का आधार मनगढ़ंत नहीं, बल्कि विशुद्ध साइंस था !
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !