क्या शादी करने से पहले जन्म कुंडली मिलवाना जरूरी है या नहीं
चूंकि हर वर्ष लाखों हिन्दू परिवारों में शादियां होती हैं और लगभग हर परिवार के मन में कम से कम एक बार तो यह प्रश्न उठता ही होगा कि क्या हमें शादी से पहले लड़का व लड़की की जन्म कुंडलियों का मिलान करवाना चाहिए या नहीं ! इसलिए इस प्रश्न की गंभीरता को देखते हुए, हम निम्नलिखित आर्टिकल को प्रस्तुत कर रहे हैं आप सभी आदरणीय पाठकों के लिए !
“स्वयं बनें गोपाल” से जुड़े हुए मूर्धन्य ज्योतिषियों के अनुसार- इसमें कोई संदेह नहीं है कि ज्योतिष शास्त्र एक वेरी साइंटिफिक टूल (उपाय) है ब्रह्माण्ड में होने वाली सभी घटनाओं के पीछे छिपे कारणों और भविष्य में होने वाले उनके परिणामों का पूर्वानुमान लगाने के लिए, लेकिन इसके बावजूद जब – जब, जो – जो होना होता है तब – तब, वो – वो होकर ही रहता है, मतलब कई बार देखने को मिलता है ज्योतिष की मदद से भविष्य में होने वाली किसी बड़ी मुसीबत के बारे में पहले से पता लग जाने के बावजूद भी उसे घटित होने से रोका नहीं जा सका, क्योकि जो “अकाट्य प्रारब्ध” होता है उसमें तो शायद भगवान भी जानबूझकर मदद नहीं करते हैं, जैसे- भगवान् श्री कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनि ऋषि के मरे हुए बेटे को तो जिन्दा कर दिया, लेकिन अपनी मुंहबोली बहन द्रौपदी के मरे हुए बेटों को लाख मिन्नत करने के बावजूद जिन्दा नहीं किया !
मूर्धन्य ज्योतिषियों का कहना है कि किसी भी मानव के 16 संस्कारों में से 3 सबसे महत्वपूर्ण संस्कार यानी “जन्म, विवाह व मरण” पहले से निश्चित होते हैं क्योकि ये पूरी तरह से पूर्व जन्म के कर्मों पर आधारित होते हैं, इसलिए इसमें ज्योतिष की मदद से भी, किसी भी तरह का फेरबदल कर पाना सम्भव नहीं होता है, मतलब विवाह भी एक अकाट्य प्रारब्ध होता है इसलिए विवाह कब, कैसे और किससे होना है यह पहले से तय होता है (इसलिए इसमें ज्योतिष की मदद से फेरबदल कर पाना सम्भव नहीं है), जैसे- राजा जनक जी ने अपने बेटी सीता जी की शादी के लिए जन्म कुंडली से रिश्ता खोजने की जगह सिर्फ एक शर्त रखी थी कि जो शिव जी का धनुष उठा देगा उसी लड़के से शादी करा देंगे ! इसी तरह द्रौपदी जी की शादी के लिए भी उनके पिता राजा द्रुपद जी ने भी कुंडली से रिश्ता मिलवाने की जगह, केवल एक शर्त रखी थी कि जो मछली की आँख में निशाना लगा देगा उसी से शादी करा देंगे !
खुद कृष्ण जी की शादी रुक्मणि जी से होने में कुंडली मिलवाने का समय ही नहीं मिला क्योकि रुक्मणि जी की शादी तुरंत शिशुपाल से होने वाली थी इसलिए कृष्ण जी चुपके से पहुँचकर आनन फानन में रुक्मणि जी से शादी करके वहाँ से भागे ! माता पार्वती भी भगवान शंकर से शादी करने के लिए कोई कुंडली मिलवाने के चक्कर में नहीं पड़ी (क्योकि शिव जी तो अजन्मा हैं, मतलब वो किसी माता – पिता से पैदा नहीं हुए हैं और शिव जी सभी 9 ग्रहों के पैदा होने के पहले से भी यानी अनन्त काल से थे, और 9 ग्रहों के नष्ट हो जाने के बाद भी रहेंगे यानी हमेशा रहेंगे, इसलिए भगवान शिव की जन्म कुंडली कभी कोई बना ही नहीं सकता तो फिर उनकी कुंडली को माता पार्वती से मिलवाने का सवाल ही नहीं उठता है), इसलिए माता पार्वती ने खुद 3000 साल तक भूखे रहकर तपस्या करके शिव जी को यह मानने पर मजबूर किया की वो ही हैं पिछले जन्म की सती जिनसे उन्होंने शादी की थी, और जिनका आज तक शिव जी इंतजार कर रहें थे !
इस तरह देखा जाये तो इतिहास में अब तक जितने भी महान लोगों की शादियां हुई हैं उनमें से अधिकाँश लोगों की कुंडली मिलवाने की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योकि उन सभी लोगों के पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार उनके लाइफ पार्टनर्स पहले से तय थे और जब जीवन में उचित समय आया तो उनकी शादियां हो गयी !
ज्योतिषियों का कहना है कि वास्तव में प्राचीन काल में लड़का और लड़की की शादी युवा अवस्था की शुरुआत (यानी लगभग 16 से 18 वर्ष की उम्र) में ही हो जाती थी और उस कम उम्र में मानव स्वभाव में धैर्य की थोड़ी कमी होती है इसलिए गुस्सा जल्दी आ जाता है अतः अक्सर मामूली बात पर भी झगड़ा बढ़कर शादी टूटने की नौबत आ जाती थी, इसलिए उस उम्र (यानी 18 से 21 वर्ष) में अगर शादी हो रही हो तो कुंडली मिलान करवाना लाभदायक हो सकता है, लेकिन वर्तमान के कठिन समय में जबकि लड़कों की शादी की औसत आयु 35 वर्ष से ज्यादा (क्योकि आजकल एक उच्च स्तरीय कैरियर बनाने में कई वर्षों तक पढ़ाई व रोजगारपरक मेहनत करनी पड़ती है) और लड़कियों की शादी की औसत आयु 30 वर्ष से ज्यादा हो, तो कुंडली मिलान करवाना विशेष आवश्यक नहीं होता है क्योकि आम तौर पर इस उम्र तक लड़का व लड़की अपने आप में इतने मेच्योर (गंभीर) हो चुके होतें हैं कि उन्हें फिजूल बातों पर उतना गुस्सा नहीं आता है जितना उन्हें 18 से 21 वर्ष की उम्र में आता था (वास्तव में शादी टूटने की सबसे बड़ी वजह पति/पत्नी में से किसी का अतिशय गुस्सैल होना ही होता है) !
इसलिए इस मेच्योर उम्र में कुंडली मिलवाने की जगह, सिर्फ बातचीत करके भी लड़का व लड़की एक दूसरे के नेचर, कैरेक्टर (स्वभाव) के बारे में अच्छे से समझ सकते हैं ! लोग शादी करने के लिए आम तौर पर लड़के की कमाई और लड़की की सुंदरता पर सर्वप्रथम ध्यान देते है जबकि सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है विनम्रता वाला स्वभाव क्योकि क्रोधी आदमी/औरत चाहे कितना भी अमीर, सुंदर क्यों ना हो लेकिन उसके साथ कोई नहीं रहना चाहता है !
कई बार ये भी देखने को मिलता है कि अगर लड़का या लड़की के परिवार के किसी सदस्य के साथ शादी के बाद कोई बुरा अनुभव हुआ होता है तो इसकी वजह से उसके पूरे परिवार में शादी को लेकर एक अजीब पर्सनल फोबिया (व्यक्तिगत डर) बैठ जाता है और वे अपने घर के किसी नए सदस्य की शादी करने से पहले इतनी तरह की जांच पड़ताल करते हैं कि उन्हें उनके हिसाब का एक उच्च स्तरीय काल्पनिक लाइफ पार्टनर कभी मिल ही नहीं पाता है ! ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि अगर एक आदमी का सड़क पर एक्सीडेंट हो जाता है तो पूरी दुनिया सड़क पर चलना नहीं छोड़ देती है और अगर नसीब में एक्सीडेंट का अकाट्य प्रारब्ध लिखा है तो आदमी घर में भी रहे तब भी सड़क की गाड़ी घर में घुसकर एक्सीडेंट कर देती है (जैसे देखें यह वीडियो- Rushed to ER After SUV Crashes Into Her House) !
इसलिए अगर किसी लड़का/लड़की व उनके परिवार वालों को किसी लड़की/लड़के में वो अधिकाँश खूबियां नजर आ रहीं हों जो वे अपने पत्नी/पति/बहू/दामाद में चाहते हों तो उन्हें निश्चित तौर पर शादी के लिए आगे बढ़ जाना चाहिए क्योकि अनावश्यक देर करने से किसी का भला नहीं होता है !
आदरणीय ज्योतिषियों का यह भी कहना है कि विवाह के लिए किसी विशेष या दुर्लभ मुहूर्त का इंतजार करते रहने की आवश्यकता नहीं होती है क्योकि हर विवाह शिव – शक्ति का मिलन स्वरुप ही होता है (क्योकि पुराणों के अनुसार हर पुरुष शिव का ही रूप है और हर स्त्री शक्ति का ही रूप है) इसलिए शिव – शक्ति के मिलन जैसे परम शुभ काम के लिए, किसी विशेष शुभ मुहूर्त का इन्तजार करने की क्या आवश्यकता है ! वैसे भी कहावत है कि “शुभस्य शीघ्रम” यानी किसी भी शुभ काम को करने का सबसे बढियाँ मुहूर्त होता है कि वो काम जितना जल्दी हो सके, इसलिए जो भी मुहूर्त यथोचित लगे उसमे विवाह किया जा सकता है !
वास्तव में कुंडली मिलान का प्रावधान तो सिर्फ हिन्दू धर्म में ही है लेकिन दूसरे धर्मों के विदेशी नागरिकों में भी तो करोड़ों ऐसी सफल शादियां हुई हैं जिसमें पति – पत्नी ने आजीवन एक दूसरे का प्रेम पूर्वक साथ निभाया है ! इसलिए कुंडली मिलान चाहे कितना भी अच्छा हुआ हो लेकिन इसका ये कत्तई मतलब नहीं होता है कि पति – पत्नी के जीवन में जो अकाट्य प्रारब्ध लिखे हुए हैं वो अब होंगे ही नहीं; क्योकि अकाट्य प्रारब्ध को अकाट्य इसलिए ही बोला जाता है कि उनको होने से कोई टाल नहीं सकता है (यहाँ तक की कुंडली का अच्छा मिलान भी टाल नहीं सकता है) !
यहां यह बात भी ध्यान देने वाली है कि अकाट्य प्रारब्ध के अलावा जितने दूसरे तरह के छोटे – मोटे प्रारब्ध होते हैं उन्हें टालने के लिए भी केवल ज्योतिष ही एक मात्र तरीका नहीं है, बल्कि पति – पत्नी उन्हें आपसी सूझबूझ, समझदारी से भी निश्चित तौर पर टाल सकते हैं !
तो आदरणीय ज्योतिषियों ने उपर्युक्त तथ्यों से सारांशतः यही स्पष्ट किया है कि शादी के मामले में बिना किसी ज्योतिषीय सलाह (यानी बिना कुंडली मिलान) के, सिर्फ अपने व अपने परिवार के बुजुर्गों के कॉमनसेंस (बुद्धि) से भी किसी लड़का या लड़की को परखकर, एक बेहद सफल शादी की नीँव निश्चित रखी जा सकती है !
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