एक वर्ष में कोई भी उचित मनोकामना पूर्ण करने का अमोघ तरीका
इस तरीके को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि यह तरीका, जो जाने अनजाने कई लोगों द्वारा किया जाता है पर उनकी मनोकामना नहीं पूर्ण होती है, क्यों ?
इसमें प्रथम द्रष्टया यही बात देखने को मिलती है कि कई लोग जो इस तरीके को अपनाते है, वे लोग इस तरीके को खराब या बहुत ख़राब तरीके से अंजाम देते हैं !
मसलन आप किसी पढ़े लिखे इन्टेलेक्चुअल आदमी के पास अपना कोई पर्सनल काम लेकर जाते हैं और उससे फेवर की उम्मीद करते हैं लेकिन आपकी बॉडी लैंग्वेज, रूड (बेरूखी) है तो ऐसे में बहुत ही कम उम्मीद होती है कि वो आदमी, आपके काम को पूरा करने में कोई रुचि दिखायेगा !
ठीक उसी तरह यहाँ पर जिस तरीके का वर्णन होने जा रहा है उसे करते तो कई लोग हैं पर बेमन से, वो भी आधा अधूरा पर इसके बावजूद उन्हें थोड़ा बहुत लाभ मिल ही जाता है पर वे अपनी अज्ञानता की वजह से यह समझ नहीं पाते की उन्हें वो लाभ इस तरीके को करने से हुआ है !
ऋषि वेदव्यास, जिन्हें श्रीमत भागवत पुराण में ईश्वर के 24 अवतारों में से एक कहा गया है, उनके द्वारा लिखित जय संहिता (जिसे सामान्य लोग महाभारत ग्रन्थ समझते हैं) में इस तरीके की मुक्त कंठ से प्रशंसा की गयी है !
उन्होंने महाभारत ग्रन्थ के अनु ० 69 | 12 – 13, में इस तरीके के बारे में दावा करते हुए कहा है कि जो भी सज्जन इस तरीके को एक वर्ष तक नियमित निभाते हैं, उनकी कोई भी उचित मनोकामना निश्चित ही पूरी होती है और जो बिना किसी मनोकामना के इस प्रयोग को करते हैं उन्हें अनायास एक वर्ष बीतते बीतते सभी सौभाग्य मतलब धन, संपत्ति, संतान, यश, कठिन बीमारियों व फर्जी मुकदमों से मुक्ति आदि प्राप्त होते हैं !
यह तरीका सुनने में जितना आसान लगता है उतना है नहीं क्योंकि जब तक इस प्रयोग को करने वाले आदमी के अन्दर अच्छे संस्कार नहीं होंगे तब तक वो इस तरीके को 1 – 2 हफ्ते से ज्यादा निभा ही नहीं पायेगा !
इस प्रयोग में सिर्फ एक काम करना होता है कि एक साल तक, कम से कम एक भारतीय देशी गाय माता या एक भारतीय देशी नन्दी को देवी या देव की तरह अपने घर में रखकर सेवा करना होता है और उनसे प्राप्त किसी भी चीज़ (जैसे दूध, गोमूत्र, गोबर आदि) को अपने इस्तेमाल करने की बजाय गरीबों में मुफ्त बाँट देना होता है !
अब इसमें सबसे मुख्य बात है कि कई लोगों को यह पता ही नहीं देव या देवी की तरह देखभाल करना क्या होता है ?
इसे इस तरह आसानी से समझा जा सकता है कि जैसे आपके घर, खुद आपके प्रदेश के मुख्य मंत्री रहने आ जाय तो आप क्या करेंगे ?
आपको अच्छे से पता है कि अगर मुख्यमंत्री मेहरबान हो जाय तो आपकी और आपके पूरे परिवार की लाइफ बन जायेगी इसलिए आप अपना पूरा प्रयास करेंगे कि आपके द्वारा मुख्य मंत्री के लिए की गयी सेवा में कोई कमी ना रहने पाय !
इतना ही नहीं जब तक मुख्य मंत्री आपके घर में रहेंगे तब तक आप आपनी सभी लापरवाही भरी आदतों को छोड़कर एकदम चौकन्ने बने रहेंगे कि मुख्य मंत्री जी को थोड़ी भी दिक्कत ना होने पाय !
ठीक उसी तरह अच्छे से समझने की जरूरत है कि गाय माता या नन्दी बैल कोई जानवर नहीं हैं जिन्हें सिर्फ दूध दही के लिए पाला जाय !
गाय माता और नन्दी बैल वो महान जरियां हैं जिनसे सिर्फ रूपया पैसा जैसी मामूली चीज ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कीमती चीज अर्थात अनन्त ब्रह्मांडों को बनाने वाले श्री कृष्ण का साक्षात् दर्शन प्राप्त किया जा सकता है !
इसी वजह से आप वृन्दावन जाकर देखें तो आपको साधारण ग्वाले के रूप में बहुत से अरब पति बिजनेस मैन मिल जायेंगे जिन्हें अब संसार की माया अर्थात धन दौलत से एकदम नफरत हो गयी है और वो बस मरने से पहले बस एक बार लड्डू गोपाल के दर्शन हेतु दिन रात गोमाता की सेवा किये जा रहें हैं !
आखिरकार गाय माता का गोपाल से सम्बन्ध है क्या ?
ईश्वर दर्शन प्राप्त कई योगी, गाय माता को श्री कृष्ण का ही साक्षात् ममता रुपी अवतार बताते हैं और कुछ योगी उन्हें भगवान रूद्र की माता भी कहते हैं (रूद्र अर्थात भगवान् शिव के तृतीय नेत्र की अग्नि जिससे पूरा ब्रह्माण्ड नष्ट हो जाता है उसे भी हमारी गाय माता की पूर्वज माँ झेल गयी थी शरणागत की रक्षा हेतु, फलस्वरूप उनका शरीर श्याम पड़ गया था और कालान्तर में रूद्र स्वयं उनके पुत्र बनकर पैदा हुए थे) ! पद्म पुराण के सृष्टि खंड के 48 | 155 में गाय माता को साक्षात् हरि (अर्थात भगवान् विष्णु) के समान पापनाशक बताया गया है !
भारत में कई लोग गाय माता को पालते हैं और कई गोशालाओं में गाय माता को पाला जाता है पर सिर्फ वही गाय माता को पालने वाले और वही गोशाला के मालिक व कर्मचारी, गाय माता की सेवा का उपर लिखा हुआ पूरा पूरा फायदा उठा पाते हैं जो वाकई में गाय माता और नन्दी बैल के प्रति देवी या देव जैसा आदर का भाव रखते हैं और उनसे प्राप्त दूध, दही, मूत्र, गोबर को गरीबों में मुफ्त में बटवा देते हैं !
जैसे किसी रेस्टोरेंट में कोई वेटर आपको बेमन से लाकर खाना दे, पानी लाकर दे तो आपके मन में उस वेटर के लिए कोई विशेष प्रेम पैदा नहीं होता, पर वही वेटर आपको बहुत सम्मान से आपका वेलकम करे तो आप खुश होकर उसे अपनी एक दिन की सेलरी तक टिप में दे सकते हैं ! ठीक उसी तरह बेमन, बेरुखी, किसी जरूरत या मजबूरी से गाय माता या नन्दी बैल की सेवा करने से बहुत कम ही लाभ मिलता है !
पर जो नीच आदमी गाय माता या नन्दी बैल को पाल कर उनके साथ ज्यादती या क्रूरता करते हैं मतलब खाने को पूरा नहीं देते, बछड़े को भूखा रखते हैं या बेच देते हैं या औकात से ऊपर भारी सामान ढ़ोने पर मजबूर करते हैं, डंडे से मारते हैं, वे सब निश्चित ही दुर्गति को प्राप्त होते हैं ! ऐसे लोगों को दुनिया भर के दुर्भाग्य जैसे बीमारी, एक्सीडेंट, मुकदमा, कर्जा, दरिद्रता आदि का देर सवेर सामना करना ही पड़ता है !
जहाँ तक संभव हो सके गाय माता के गले में रस्सी या लोहे की चैन आदि नहीं बाधना चाहिए और कभी बहुत जरूरत पड़े तो सिर्फ मुलायम रस्सी बांधना चाहिए !
गाय माता या नन्दी बैल के सींग को बचपन में आग से दागना या नन्दी बैल का बंध्याकरण करना या अधिक दूध प्राप्त करने के लिए इंजेक्शन लगाना महा पाप है !
गाय माता या नन्दी बैल, बच्चे रूप में हों या जवान रूप में, सबकी सेवा करने से लाभ मिलता है पर बूढ़ी, कमजोर, बीमार या बंध्या गाय माता की सेवा व इलाज कराने पर पुण्य और ज्यादा मिलता है !
हमारे शास्त्र कहते हैं कि जितना पुण्य 10 गाय माता की सेवा से मिलता है उतना ही पुण्य सिर्फ 1 नन्दी बैल की सेवा से ही मिल जाता है !
गाय माता के रहने के लिए एक उचित साफ़ सुथरा कमरा और उनका खाना पचने के लिए उन्हें रोज टहलाने की व्यवस्था करने भर में ही कई लोगों का उत्साह ठंडा पड़ जाता है !
इसका जवाब यही है कि अगर दिल में जगह हो तो घर में जगह निकल ही जाती है और अगर आदमी खुद अपार्टमेंट में रह रहा हो तो वो गाय माता को किसी दूसरी परिचित जगह या किराए कि जगह पर भी रख सकता है या किसी गोशाला में किसी गाय माता को गोद लेकर उनकी जिम्मेदारी के सारे खर्चे खुद ही उठा सकता है लेकिन यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि लगातार यह चेक करते रहना कि दिए गए पैसे से गोशाला में गाय माता कि सेवा वाकई में ठीक तरीके से हो भी रही है कि नहीं !
और रही बात गाय माता को रोज घुमाने की तो रोज सुबह लाश खोर कुत्ते को लेकर मार्निंग वाक कि जगह जगत माता अर्थात गाय माता को लेकर जाईये ! कुत्ते को घर में पालने की आधुनिक परम्परा बहुत ही बुरी हैं क्योंकि हमारे शास्त्र कहते हैं कि कुत्ता भी गिद्ध आदि जानवरों कि तरह एक मुर्दा खोर नस्ल का प्राणी हैं और हर मुर्दा खोर के आस पास बुरी प्रेतात्माएं मंडराती रहती हैं इसलिए कुत्ते को कभी भी घर के अंदर नहीं लाना चाहिए ! ऐसा नहीं है कि कुत्ते से नफरत करना चाहिए क्योंकि कुत्ते का भी पेट भरने से पुण्य मिलता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुत्ते को कभी भी घर के अंदर नहीं घुसने देना चाहिए !
मनोकामना पूरी करने का यह अद्भुत तरीका स्वयं भगवान् विष्णु के अवतार, भगवान् वेदव्यास ने लिखा है इसलिए गलत होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है !
यह बार बार हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि, जो गो वंश (अर्थात गाय माता व नन्दी बैल) को जितना सुख और आदर देगा, उसे समाज से उतना ही सुख और आदर निश्चित मिलेगा !
जय हो सर्व दुर्भाग्यनाशिनी, सर्व सौभाग्यदायिनी, जगदम्बा स्वरूपा, गोमाता की जय हो !
(नोट – मांस, मछली, अंडा और इनसे बने खाद्य पदार्थ जैसे चाकलेट्स, पिज्जा, नूडल्स आदि खाने वाले तथा दूसरों को सताने या उनका हक़ मारने वाले भ्रष्ट आदमियों की हर पूजा, पाठ, व्रत, तीर्थ, दान आदि सब एकदम निष्फल व मात्र समय की बर्बादी भर है ! इसलिए कोई भी दैवीय सहायता पाने के लिए सबसे पहले इन बुरी आदतों को छोड़ना चाहिए) |
सबसे रहस्यमय व सबसे कीमती दवा जो हर बीमारी में लाभ पहुँचाती है
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
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