6000 से 10,000 रूपए हर महीने गोमूत्र से कमाई करवा सकती हैं सिर्फ 1 गाय माता
इससे ज्यादा आरामदायक और पुण्यवर्धक बिजनेस कोई और नहीं है !
ये इतना आसान बिजनेस है कि कोई भी किशोर, कोई भी घरेलु महिला या कोई कमजोर बुजुर्ग भी इसे अपने घर पर ही करके अच्छा पैसा निश्चित कमा सकता है !
और ऐसे युवा जिन्हें पिछली भ्रष्ट सरकारों के कुशासन से उपजी सर्वव्यापी भीषण बेरोजगारी की वजह से कोई ढंग का रोजगार नहीं मिल पाया हो, उनके लिए तो यह स्वर्णिम अवसर है क्योंकि मोदी जी के सत्ता में आने के बाद से और बाबा रामदेव जैसे सन्तों द्वारा लायी गयी जनचेतना की वजह से अब गाय माता व नंदी (बैल) को पालना या कोई छोटी/बड़ी गोशाला खोलना, बहुत ही फायदे का उपक्रम हो गया है !
भारत में आज भी गावों में बहुत से लोग गाय माता को पालते हैं लेकिन उनमे से बहुत थोड़े से ही लोग ऐसे हैं जो 100 प्रतिशत शुद्ध भारतीय देशी नस्ल की गाय माता और नंदी को पालतें हैं !
जो लोग 100 प्रतिशत शुद्ध भारतीय देशी नस्ल की गाय माता और नंदी को पालतें हैं उनमें से भी अधिकाँश लोगों को आधुनिक समाज में हो रहे बदलाव की जानकारी (जैसे – गोमूत्र की भीषण डिमांड होना) ना होने से उन्हें आज भी गाय माता और नंदी बैल सिर्फ दूध देने व खेत जोतने आदि का जरिया मात्र लगते हैं जिसकी वजह से वे एक बड़ी रेगुलर कमाई कमाने से वंचित रह जाते हैं !
देशी गाय माता के मूत्र से कैंसर, डाइबिटीज, हृदय रोग (ब्लड प्रेशर, ब्लॉकेज आदि) लिवर, मोटापा, थायराइड, सभी यौन रोगों आदि जैसी सैकड़ों कठिन बिमारियों में होने वाले आश्चर्यजनक फायदे की वजह से इस समय गोमूत्र की विदेशों में भी भारी डिमांड है और यह काफी महंगा बिक रहा है और यही हाल दूध का भी है क्योंकि जहां एक तरफ शुद्ध भारतीय देशी नस्ल की गाय माता के दूध से एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के कीटाणुओं पर भी रोकथाम लगने जैसे असंख्य चमत्कारी लाभ सुनने को मिल रहें हैं वहीँ जर्सी गाय के दूध के नियमित इस्तेमाल से कैंसर होने की बात और भैंस के दूध के नियमित इस्तेमाल से बुद्धि मन्द होने, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने आदि जैसे नुकसान होने की बात सुनने को मिल रही है !
अगर किसी को खुद गाय माता की देखभाल करने के लिए समय ना हो तो वो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को परमानेंट या पार्ट टाइम नौकरी पर रखकर गाय माता की देखभाल करवा सकता है !
कई गरीब लोग तो ऐसे भी होते हैं जो अपने घरों में खाना पकाने के लिए गैस सिलेंडर नहीं, बल्कि सूखे हुए गोबर के कंडे (उपले) इस्तेमाल करते हैं इसलिए यह भी कई शहरों में देखने को मिलता है कि ऐसे गरीब लोग किसी दूसरे आदमी की पाली हुई गाय माता के गोबर व दूध को मुफ्त में पाने के लिए रोज आधा घंटा उसकी गाय माता की सेवा करने को ख़ुशी ख़ुशी तैयार रहते हैं !
वास्तव में गाय माता की रोज की देखभाल में आधा घंटा से एक घंटा तक का ही समय लगता है ! इसके अलावा कुछ ऐसी स्वयं सेवी संस्थाएं भी होती हैं जो गोबर को 5 रूपए किलो तक में दूसरों से खरीद लेती हैं ! कोई व्यक्ति गोबर को बेचने की बजाय अगर अपने घर में गोबर गैस प्लांट लगवा ले तो वो कुछ ही गाय माताओं से इतनी गैस पैदा कर सकता है कि उसे अपने घर में खाना पकाने के लिए एक सिलेंडर भी ना खरीदना पड़े और अब तो गोबर गैस प्लांट से एक पूरे घर लायक बिजली भी पैदा की जा रही है ! इसके अलावा गोबर गैस प्लांट से वेस्टेज के रूप में बहुत ही उपजाऊ खाद मिलती है जो बाजार में काफी महंगी बिकती है !
वास्तव में गाय माता कि देखभाल करने के लिए केवल कुछ ही रोज के फिक्स साधारण काम करने होते हैं जिन्हें व्यक्ति खुद ही करे तो उसकी अच्छी फिजिकल एक्सरसाइज भी हो जाती है तथा मलेरिया, ब्लड प्रेशर, ट्यूबरक्लोसिस, त्वचा रोग जैसी कई बीमारियां भी उसे नहीं होने पाती हैं क्योंकि गाय माता के शरीर, गोमूत्र व गोबर को छूने व उसकी महक से कई बिमारियों के कारण (जैसे कीटाणु आदि) समाप्त होने लगते हैं और साथ ही साथ बहुत सा बेशकीमती पुण्य भी मिलता है (गाय माता के फायदे विस्तार से जानने के लिए, कृपया इस लेख के नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें) !
गुजरात के बहुत से करोड़पति व्यापारी ऐसे भी हैं जो गाय माता की सेवा से मिलने वाले बेशकीमती आशीर्वाद के प्रत्यक्ष चमत्कार की वजह से उनके दिन दूना रात चौगुना तरक्की करते व्यापार से प्रसन्न होकर, गाय माता के इतने बड़े कायल हो चुके हैं कि, चाहे वे कितने भी व्यस्त क्यों ना हों लेकिन वे प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा समय निकालकर गाय माता की सेवा (जैसे गाय माता का गोबर उठाना, उन्हें नहलाना, उन्हें चारा देना आदि) खुद अपने हाथों से जरूर करते हैं !
कुछ गाय माताओं को पालने या छोटे स्तर पर गोशाला खोलने के लिए सिर्फ 3 चीज चाहिए होती है और वो हैं, थोड़ी सी जमीन (बारिश और धूप से बचाव की व्यवस्था के साथ), घास भूसा (चारा) और गाय माता !
जैसे मानवों के लिए बहुत जरूरी है कि वो प्रतिदिन कुछ किलोमीटर पैदल जरूर चले नहीं तो उन्हें डाइबिटीज, हृदय रोग आदि जैसी पचासों छोटी बड़ी समस्याएं होना तय हैं ठीक उसी तरह गाय माता व लगभग अन्य सभी जीवों के लिए भी रोज रोज फिजिकल एक्सरसाइज (जैसे कुछ किलोमीटर पैदल टहलना आदि) बेहद आवश्यक होती है नहीं तो उन जीवों के शरीर के अंदर भी कई तरह के रोग उत्पन्न होने लगते हैं ! इसलिए गाय माता को भी 24 घंटे में एक बार कुछ किलोमीटर दूर तक पैदल घुमाने ले जाना चाहिए जिससे उनका खाया पिया सब ठीक से पच सके !
कुछ मूर्ख लोगों को गाय माता की रस्सी हाथ में लेकर सुबह सुबह मॉर्निंग वाक करने में शर्म आती है लेकिन गिद्ध आदि की ही तरह मुर्दाखोर नस्ल के प्राणी कुत्ते को रोज सुबह सुबह पोट्टी करवाने में उन्हें बहुत शान महसूस होती है ! कुत्ते पालने वालों को शायद पता नहीं है कि आखिर क्यों हमारे सनातन धर्म में कुत्ते को सिर्फ भोजन/दवा आदि देने को कहा गया है लेकिन किसी भी कुत्ते को घर के अंदर लाने के लिए सख्त मना किया गया है ! क्योंकि गिद्ध, कुत्ते आदि जैसे सभी मुर्दाखोर नस्ल प्राणियों के आस पास बहुत सी नकारात्मक शक्तियां (जैसे – अतृप्त भूत प्रेत आत्माएं आदि) आदि घूमते रहते हैं वहीँ गोमाता जैसी परम् पवित्र जीव के अंदर ब्रह्मा, विष्णु, महेश अपनी त्रि शक्तियों अर्थात जगदम्बा सरस्वती, लक्ष्मी और काली जी के साथ सदैव निवास करते हैं !
इसलिए कहा जाता है कि जिसने गाय माता को आदर भाव से एक कौर भी भोजन खिला दिया, वो भोजन अपने आप सभी देवी देवताओं तक पहुँच जाता है !
ये हमेशा याद रखने वाली बात है कि गाय माता की सेवा का पुण्य सिर्फ उन्ही लोगों को मिलता है जो गाय माता को एक पशु नहीं, बल्कि देवी के समान आदर सम्मान देते हैं ! बाकि जो लोग बेमन से, अनिच्छा से, दुखी या गुस्सा होकर गाय माता की सेवा करते हैं उन्हें कोई पुण्य नहीं मिलता बल्कि गाय माता के प्रति की गयी थोड़ी भी बेवजह की हिंसा के बदले जघन्य पाप जरूर मिलता है !
अगर कोई सज्जन बड़े स्तर पर गोशाला खोलना चाहते हों तो उन्हें पहले गौपालन सम्बंधित अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए जिसके भी बहुत से तरीके हैं जैसे वेबसाइट पर दी गयी जानकारियां, मार्केट में मिलने वाली गोपालन सम्बंधित पुस्तकें (जैसे – कल्याण गीताप्रेस की गोअंक आदि) तथा अपने शहर के पशुपालन विभाग से भी सम्पर्क किया जा सकता है तथा व्यवहारिक अध्ययन के लिए सबसे बेहतर है कि उत्तराखंड स्थित बाबा रामदेव की गोशाला या पथमेड़ा जालोर राजस्थान स्थित गोशाला या किसी भी अन्य बड़ी गोशाला जाकर गो पालन सम्बन्धित सारी बारीकियां खुद ही समझ कर आ जाना चाहिए !
माना जाता है कि एक सामान्य गाय माता प्रतिदिन लगभग 13 लीटर से ज्यादा पेशाब करती हैं और उनके 7 लीटर मूत्र से लगभग 1 लीटर गोमूत्र अर्क तैयार होता है !
ताजा गोमूत्र सबसे ज्यादा फायदा करता है लेकिन क्यों गोमूत्र को ताजा की बजाय अर्क बना कर बेचना पड़ता है इसके पीछे भी कारण है ! ये कारण यह है कि गाय माता जब मूत्र त्याग करती हैं तो उस मूत्र को अगर जमीन पर गिरने से पहले ही किसी बर्तन में इकठ्ठा कर लिया जाए तो सबसे अच्छा होता है लेकिन हर बार यह संभव नहीं हो पाता है क्योंकि गाय माता कब मूत्र त्याग करेंगी इसका पहले से अंदाजा लगा पाना आसान नहीं है और एक बार मूत्र जमीन पर गिर गया तो उसमे जमीन पर स्थित धूल के कण भी घुल जाते हैं जो सिर्फ छलनी या कपड़े से छानने से भी नहीं निकल पाते हैं !
इसलिए गोमूत्र को बेचने वाले सभी गोशालाये, जमीन पर गिरने वाले गोमूत्र को आसवन विधि से शुध्द करके ही बेचती हैं ! आसवन विधि से शुद्ध करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है जिसमें बस एक ऐसे बर्तन की जरूरत होती है जिसमें ऊपर से एक नली निकली होती है जो एक दूसरे बर्तन से जुडी रहती है ! पहले वाले बर्तन में रखकर जब गोमूत्र को आग से खौलाया जाता है तो उस बर्तन से निकलने वाली गोमूत्र की भांप, नली से होते हुए दूसरे बर्तन में जाकर ठण्डी होकर शुद्ध गोमूत्र में बदल जाती है ! गोमूत्र में मिले धूल के सारे कण पहले ही बर्तन में रह जाते हैं जबकि दूसरे बर्तन में एकदम शुद्ध गोमूत्र इकठ्ठी हो जाती है !
हालांकि अब बाजार में पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक गोमूत्र बनाने के उपकरण मिल रहें हैं जिसमे भट्टी की आग से गर्म करने का झंझट भी नहीं है और ये मात्र 10 से 15 हजार रूपए तक में मिल भी जा रहें हैं ! कुछ परोपकारी लोग इस मशीन को सब्सिडी में और भी सस्ता बेच रहें हैं !
गो मूत्र को गोशाला में इक्कठा करने के लिए लोग गोशाला का फर्श पक्का सीमेंटेड बनवाते हैं और फर्श को एक तरफ तिरक्षा झुका हुआ (ढलान युक्त) बनवाते हैं ताकि सारी गाय माताओं की मूत्र अपने आप बह कर फर्श के किनारे बने नाली में जाकर इकट्ठी हो जाती है और उस ढलान युक्त नाली से अपने आप बहकर एक साफ़ सुथरे गड्ढे में पहुंच जाती है ! फिर उस गड्ढे से गोमूत्र को निकाल कर पहले साफ़ कपड़े से छान लेते हैं और फिर उसे आसवन विधि से पकाकर अंततः एकदम शुद्ध गोमूत्र अर्क प्राप्त करते हैं जिसे साफ़ बोतलों में भरकर बेचा जाता हैं ! बस इतनी आसान है यह प्रक्रिया !
तो इस तरह तैयार शुद्ध गोमूत्र बाजार में 100 रूपए लीटर से लेकर 500 रूपए लीटर तक भी बिक रहा है !
वास्तव में पूरे विश्व में गोमूत्र की भारी डिमांड देखते हुए बाबा रामदेव को अब दूसरे गोशालाओं से भी गोमूत्र खरीदना पड़ रहा है ! चूंकि बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि पूरी तरह से त्याग पर आधारित है इसलिए ऐसा भी सुनने को मिल रहा है कि बाबा रामदेव काफी मंहगा (लगभग 150 रूपए प्रति लीटर में) गोमूत्र दूसरों से खरीदकर खुद घाटा सहते हुए अपनी खरीद से भी कम में अर्थात मात्र 80 रूपए में 900 ml गोमूत्र उपलब्ध कराते हैं !
बाबा रामदेव गोमूत्र के अलावा दूसरों से सभी तरह की जड़ी बूटियां भी खरीदते हैं ! जो कोई भी सज्जन अपने खेत में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को उगाकर उन्हें बाबा रामदेव को बेचना चाहते हैं या जो सज्जन खुद भारतीय देशी गाय माता को पालकर उनका गोमूत्र बाबा रामदेव को बेचना चाहते हों उन्हें बाबा रामदेव के ऑफिस से संपर्क करना चाहिए ! बाबा रामदेव से संपर्क करने के लिए या तो उनकी वेबसाइट पर दिए गए कॉन्टेक्ट्स इस्तेमाल करें या उनके किसी भी प्रोडक्ट पर दिए गए फ़ोन नंबर व इमेल्स का इस्तेमाल करें या अपने किसी नजदीकी पतंजलि स्टोर से संपर्क करें !
बाबा रामदेव ही एकमात्र बड़े ग्राहक नहीं है गोमूत्र के, क्योंकि जो जो भी व्यक्ति गोमूत्र का फायदा जान जाता है वो वो व्यक्ति शुद्ध गोमूत्र के लिए बड़ी कीमत देने को भी तैयार हो जाता है ! जहां लोग कैंसर, डाइबिटीज, हृदय रोग (ब्लड प्रेशर, ब्लॉकेज आदि) लिवर, मोटापा, यौन रोगों आदि के इलाज के लिए बड़े बड़े अस्पतालों में जाकर लाखों रूपए खर्च करते हैं तो वही लोग अगर गोमूत्र के सारे असली फायदों के बारे में जान लें तो वे लोग गोमूत्र खरीदने के लिए क्यों नहीं हमेशा उत्सुक रहेंगे !
इसलिए गोमूत्र को बेचने वालों को अपने आस पास के सभी परिचित अपरिचित लोगों को गोमूत्र के असंख्य फायदों के बारे में बताना चाहिए ताकि लोग रोज सीधे उनके गोशाला या घर पर ही आकर उनसे गोमूत्र खरीद लें !
चाहे कुछ भी हो रिटेल मार्केट में गोमूत्र कम से कम 100 रुपये प्रति लीटर तो बिकता ही है बाकि ऑन लाइन अर्थात इन्टरनेट पर कुछ कम्पनियाँ अति शुद्ध गोमूत्र के नाम पर 500 रूपए प्रति लीटर तक भी बेच रहीं है जिसे काफी लोग खरीद भी रहें हैं !
गाय माता को जितना ज्यादा पौष्टिक चारा खिलाया जाता है उनका मूत्र उतना ही तेज और उतना ही ज्यादा फायदा करने वाला होता है ! बीमार और गर्भवती गाय माता को छोड़कर सभी गाय माता का मूत्र रोज बिल्कुल पिया जा सकता है !
और हाँ सबसे बड़ी बात कि हमारे आयुर्वेदिक ग्रन्थानुसार हर व्यक्ति को, चाहे वह बीमार हो या स्वस्थ, उसे रोज गोमूत्र जरूर पीना चाहिए क्योंकि बीमार आदमी पियेगा तो उसकी सारी बीमारियां धीरे धीरे कटेंगी (क्योंकि ग्रन्थों में कहा गया है कि दुनिया की कोई भी बीमारी ऐसी नहीं हैं जिसमे गोमूत्र कुछ ना कुछ फायदा ना करता हो) और स्वस्थ आदमी गोमूत्र पियेगा तो तब तक बीमार नहीं पड़ेगा जब तक कि वो कोई विशेष बदपरहेजी ना करे !
हमारे शास्त्रों के अनुसार गोमूत्र (जिसमे साक्षात् गंगा का वास माना जाता है) को पीने के अलावा घर में पोछा लगाते समय छिड़क देने से भी घर के सभी वास्तु दोष और भूत प्रेत सम्बंधित सभी दोष ख़त्म होते हैं इसलिए गोमूत्र की एक बड़ी खपत इस रूप में भी है !
हमारे शास्त्रों में लिखी यह बात कि गोमूत्र में काफी मात्रा में सोना (स्वर्ण धातु) मिला हुआ होता है इसका सत्यापन भी अक्सर कुछ वैज्ञानिको द्वारा सुनने को मिलता है जो इस बात को प्रयोगों द्वारा साबित करते हैं जैसे बाबा रामदेव के मित्र आचार्य बालकृष्ण की ही तरह गुजरात के जूनागढ़ के एक प्रोफेसर का भी यह दावा सुनने को मिल रहा है कि 1 लीटर गोमूत्र से लगभग 10 मिली ग्राम तक सोना निकाला जा सकता है और एक दिन में 3000 रूपए तक का सोना निकाला जा सकता है !
गोमूत्र से हाई क्वालिटी के व हर तरह के साइड इफेक्ट्स रहित ऐसे कई आयुर्वेदिक कीटनाशक भी तैयार होते हैं जिनसे फसल के लिए हानिकारक कीटों से रक्षा के अलावा फसल की पैदावार भी बहुत बढ़ती है (अधिक जानने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें) !
कई लोग आज भी समझते हैं कि गाय माता से जो हमें सबसे ज्यादा कीमती चीज मिलती है वो है दूध, दही, घी, मक्खन आदि, पर वास्तविकता में यह सब चीजें कीमती जरूर हैं लेकिन सबसे ज्यादा कीमती चीज है मूत्र (अर्थात गोमूत्र) जिसकी किसी से कोई भी तुलना नहीं की जा सकती है ! इन्ही सब फायदों को देखते हुए गोमूत्र को हमारे कई प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में सभी जीवों द्वारा प्राप्त होने वाली दवाओं में सबसे श्रेष्ठ कहा गया है !
इसलिए ईमानदारी से गोमूत्र का व्यापार करने वालों के साथ ऐसा हो ही नहीं सकता कि वे अच्छा पैसा ना कमाए !
अतः भारत के अधिक से अधिक घरों में गोमूत्र का उत्पादन जरूर होना चाहिए !
गाय माता की थोड़ी सी भी सेवा करने वाले हर सज्जन, हमारे (अर्थात “स्वयं बने गोपाल” समूह के) निश्चित रूप से वंदनीय हैं इसलिए अगर आप का भी गोमाता की सेवा से सम्बंधित कोई छोटे से छोटा सत्य निजी अनुभव हो तो हमें तुरन्त निःसंकोच लिख भेजिए जिसे हम अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करेंगे ताकि वो अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सके !
यह हमेशा याद रखने वाली बात है कि जिस गाय माता का भगवान् श्री राम से लेकर भगवान श्री कृष्ण तक सुबह उठने के बाद सबसे पहले पैर छूते थे, उन्ही गोमाता के लिए थोड़ी सी भी सच्चे आदर भाव से की गयी सेवा (भले ही वो अपने फायदे के लिए क्यों ना हो) निश्चित ही एक दिन इस लोक और परलोक में सुख और ऐश्वर्य प्रदान करती है !
सिर्फ एक गाय माता के गोबर से भी 10 हजार/महीने कमाइए
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
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