आश्चर्यजनक सत्य घटना, जिसमें खतरनाक भूत प्रेत, वास्तुदोष, गरीबी, कर्जा आदि सब भाग खड़े हुए, सच्ची गौ सेवा करने से
यह बेहद आश्चर्यजनक घटना आज से लगभग 90 वर्ष पहले, भारत के पूर्वी बंगाल क्षेत्र (जो आज का बांग्ला देश है) में हुई थी ! यह घटना उस समय इतनी प्रसिद्ध हुई थी की तत्कालीन प्रसिद्ध समाचार पत्रों व किताबो में भी इसके बारे में प्रकाशन किया गया था और प्राप्त जानकारी अनुसार इस घटना के बारे में जिक्र, हरिद्वार स्थित शांतिकुंज के संस्थापक परम आदरणीय श्री राम शर्मा जी आचार्य जी ने भी अपने वाङ्ग्मय में किया है इसलिए इस घटना की सत्यता पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं है ! अतः आईये जानते इस घटना के बारे में-
उस समय, वहां पूर्वी बंगाल क्षेत्र में एक सज्जन रहते थे, जिनका नाम था विशेन भट्टाचार्य ! विशेन बाबू बहुत पढ़े, लिखे, धनी व खानदानी आदमी थे इसलिए उनका अपने क्षेत्र में काफी सम्मान था !
एक दिन विशेन बाबू को पता चला कि उनके शहर में स्थित एक बहुत बड़ा “जूट प्रेस” का कारखाना, बहुत ही सस्ते दाम पर बिक रहा है ! विशेन बाबू भी तुरंत पहुँच गए उस कारखाने को देखने के लिए, लेकिन वहां जाकर उन्होंने जो देखा, उस पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि इतना बड़ा कारखाना और वो भी इतनी अच्छी हालत में मेंटेंड, आखिर क्यों कौड़ियों के दाम पर बिक रहा है ?
तो अगल – बगल के लोगो से पूछने पर पता चला की वो कारखाना अभिशप्त है और वहां दिन दहाड़े भी इतनी भयंकर प्रेत लीला चलती है कि मजदूर डरकर भाग जाते है क्योकि मशीने अपने आप चलने लगती है जिससे कई मजदूर घायल भी हो चुके हैं ! इसके अलावा जो भी उस कारखाने को खरीदता है उसको बिना किसी कारण के कई अजीब बीमारियां होने लगती है और इतना ही नहीं उसे बिजनेस में इतना घाटा होता है कि कुछ ही महीनों में वो गरीबी व कर्ज की दलदल में फंस जाता है, इसलिए अब तक जिसने भी उस कारखाने को ख़रीदा है वो कुछ ही महीने में कारखाना बेचकर भाग खड़ा हुआ है !
विशेन बाबू की जगह कोई और होता तो शायद उस कारखाने को खरीदने की हिम्मत कभी ना करता, लेकिन विशेन बाबू को अपनी मॉडर्न एजुकेशन पर काफी कॉन्फिडेंस था और वो भूत – प्रेत, वास्तुदोष आदि को अन्धविश्वास व बकवास मानते थे, इसलिए उन्होंने तुरंत उस डील को फाइनल कर लिया और उस कारखाने को खरीद लिया !
लेकिन विशेन बाबू के परिवार में जिसने भी सुना, उसने अपना माथा ठोक लिया कि आखिर क्या जरूरत थी “आ बैल मुझे मार” वाला काम करने की ! खैर परिवार के सभी सदस्यों की आपत्ति को एकदम दरकिनार करते हुए आखिरकार विशेन बाबू ने उस कारखाने में अपना काम शुरू करवा दिया !
लेकिन हुआ वही, जिसका डर था यानी उस कारखाने में काम शुरू होते ही मानो उनके घर में दुर्भाग्य ने पैर जमा लिया ! प्रेस शुरू होने के बाद से ही अचानक कई प्रकार की शारीरिक, आर्थिक विपत्तियां उनके जीवन में आने लगी ! और देखते ही देखते ही विशेन बाबू को बिजनेस में इतना घाटा हुआ कि उन पर भारी कर्जा भी हो गया !
जीवन में अचानक हर तरफ से उठने वाले बर्बादी के बवंडर को देखकर, अब विशेन बाबू भी घबरा गए और उन्होंने तुरंत आनन – फानन में उस कारखाने को बेचने का फैसला कर लिया, लेकिन वो कारखाना इतना बदनाम था की कोई भी उसे खरीदने को तैयार नहीं था ! जिसकी वजह से विशेन बाबू की बेचैनी दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी !
उसी दौरान उनके घर पर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज आये ! जगन्नाथ रथ यात्रा से लौट कर जब स्वामी जी ढ़ाका शहर लौटे तो उन्ही के घर पधारे थे और उनके यहां ही रात में ठहरे थे ! रात्रि भोजन के बाद, विशेन बाबू ने स्वामी जी को अपना सब दुखड़ा सुनाया और उनसे मुक्ति पाने का कोई उपाय पूछा ! तब स्वामी जी ने उन्हें अगले दिन कारखाना दिखाने के लिए कहा !
अगले दिन नदी के तट पर स्थित, एक विस्तृत जगह में बने हुए कारखाने को देखकर स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम बिल्कुल घबराओ मत क्योकि यह कोई समस्या नहीं है, बल्कि यह ईश्वर की कृपा है कि तुम्हे इतना विशाल स्थान अनायास ही इतने सस्ते दाम में मिल गया है ! इसलिए इसको बेचने का विचार छोड़कर, अब तुम्हे कोई ऐसा उपाय करना चाहिए, जिससे इस जगह पर स्थित सभी तरह के अमंगल व अशुभ दूर हो जाए !
स्वामी जी की बात सुनकर विशेन बाबू ने आश्चर्य से पूछा की क्या आपको लगता है कि इस कारखाने से जुड़ी हुई जो भी भीषण समस्याएं हैं वो किसी उपाय से दूर हो पाएंगी, क्योकि अगर ऐसा होता तो इस कारखाने के पिछले मालिकों ने अब तक उन उपायों को आजमाकर मुक्ति पा ली होती, लेकिन मेरे ख्याल से ये समस्याएं लाइलाज हैं इसलिए कृपया मुझे बस वो उपाय बता दीजिये जिससे यह कारखाने जल्दी से जल्दी बिक सके ताकि मै कम से कम अपना कुछ कर्ज तो मिटा सकूं !
तब स्वामी जी ने कहा कि पिछले मालिकों ने क्या किया और क्या नहीं किया ये तो मैं नहीं जानता, लेकिन मै अभी जो तुमको उपाय बताने जा रहा हूँ वो अमोघ है और उससे दुनिया की कौन सी ऐसी समस्या है जिसका नाश नहीं हो सकता है या कौन सी ऐसी मनोकामना है जो पूरी नहीं हो सकती है !
फिर स्वामी जी ने कहा वो तरीका है- सच्चे मन से की जाने वाली गौ सेवा ; इसलिए यहां पर कुछ शुद्ध भारतीय नस्ल की देशी गाय माँ का पालन – पोषण करो ! सभी गाय माँ का दूध केवल अपने उपयोग में ना लाकर, बल्कि उनके बछड़ों को भी उचित मात्रा में भरपेट पीने दो ! प्रेमपूर्वक सभी गाय माँ के लिए रोज चारा – दाना – पानी – सफाई – टहलना आदि जरूरी सुविधाओं का इंतजाम करो और साथ ही साथ कारखाने के बीच में गाय माँ के परम प्रिय भगवान यानी श्री बाल गोपाल का छोटा सा सुंदर मंदिर भी बनवा दो, फिर देखो कैसे कुछ ही दिनों में इस कारखाने के सभी अमंगल, अशुभ खुद ही निश्चित समाप्त हो जाएंगे !
विशेन बाबू ने स्वामी जी की बातों पर विश्वास करके, जैसा निर्देश उन्हें स्वामी जी ने दिया था उन्होंने भक्ति भाव से ठीक वैसा ही किया ! जिसके बाद वाकई में भगवत कृपा और गो सेवा से, जो कारखाना पहले भूतहा प्रेस के नाम से प्रसिद्ध था अब उस में धीरे – धीरे पवित्रता, सुख, शांति व समृद्धि का निवास होने लगा था !
पहले जो स्टाफ लोग उस कारखाने में काम करने को तैयार नहीं थे, औऱ कहा करते थे कि उनकी मशीनों को भूत चलाते हैं; अब उसी स्थान पर गो सेवा की महिमा से ये सारी समस्याएं अपने आप समाप्त होने लगी थी और साथ ही साथ अब वहां कई नई – नई मशीनें भी लगने लगी थी जिससे वह कारखाना, कुछ ही महीनो में एक बड़ी फैक्ट्री के रूप में तब्दील हो गया था !
विशेन बाबू को खुद अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था और उन्हें अपने जीवन में होने वाला यह नाटकीय परिवर्तन किसी चमत्कार से कम नहीं लग रहा था क्योकि अब वो पहले से भी, कई गुना ज्यादा पैसा कमा रहे थे और उनके कस्टमर्स से मिलने वाले बहुत ज्यादा ऑडर्स को पूरा करने के लिए अब उस कारखाने में दिन – रात सैकड़ों मजदूर ख़ुशी – ख़ुशी काम कर रहे थे, जबकि मात्र कुछ महीने पहले तक उस कारखाने में कब्रिस्तान जैसा सन्नाटा छाया रहता था !
इस घटना को देखकर समझा जा सकता है कि आखिर क्यों हमारे सनातन धर्म में गाय माँ को इतना प्रचंड महत्व दिया गया है क्योकि गाय माँ की सच्ची सेवा करने से, भगवान लड्डू गोपाल बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जिस मानव को श्री लड्डू गोपाल की प्रसन्नता का महासौभाग्य प्राप्त हो गया, फिर उसके लिए दुनिया का कौन सा सुख पाना असम्भव है क्योकि पुराणों में कहा गया है कि भोले – भाले लड्डू गोपाल जी के मात्र पलक झपकाने से ही अनंत ब्रह्मांडो का सृजन व प्रलय हो जाता है, इसलिए “स्वयं बनें सच्चे गौ भक्त” और “अपने परिवार को भी बनायें सच्चा गौ भक्त” !
जय हो परम आदरणीय गौ माता की !
वन्दे मातरम् !
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