वो मुश्किल रात, जब मर्म चिकित्सा ने रक्षा की

प्रतीकात्मक चित्र (Symbolic Image)
यह एक सत्य घटना है जो हमारे एक आदरणीय पाठक के साथ हुई थी ! यह घटना इस प्रकार है-
उन पाठक ने बताया की उनका स्वभाव बहुत ही संवेदनशील है इसलिए वो अक्सर कोई दुःखद बात/घटना को जल्दी भूल नहीं पाते हैं और ऐसी बातों को बार – बार सोचकर तनाव भी लेते रहते हैं ! हालांकि वो एक स्वस्थ, जवान व्यक्ति हैं और उन्हें कोई विशेष शारीरिक तकलीफ भी नहीं है, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की उन्हें किसी बात पर बहुत मानसिक तनाव झेलना पड़ा था !
तब उन्होंने अपने मानसिक तनाव को कम करने के लिए सोचा कि उन्हें जल्दी सो जाना चाहिए ताकि नींद से सिर दर्द में आराम मिल सके, इसलिए वो जल्दी खाना खाकर सोने चले गए ! लेकिन उनके मन में इतनी ज्यादा उलझन थी कि उन्हें नींद नहीं आ सकी और कुछ देर बाद उन्होंने महसूस किया कि अब उनकी सांस भी फूल रही है, जिसकी वजह से उन्हें लगा की शायद उनका ब्लड प्रेशर हाई हो चुका है !
अब उन्हें समझ में नहीं आया कि वो क्या करें क्योकि इतनी रात में अच्छा डॉक्टर मिलना भी आसान नहीं था और अगर वो किसी हॉस्पिटल में जाते तो पूरी उम्मीद थी कि हॉस्पिटल वाले, उन्हें एडमिट होने के लिए दबाव बनाते जो कि वो बिल्कुल नहीं चाहते थे , क्योकि कुछ साल पहले भी उन्हें यह समस्या हुई थी तब उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर बाबा रामदेव की दवा “मुक्तावटी” (Divya Mukta Vati) कुछ महीने खायी थी, जिससे यह समस्या पूरी तरह से ठीक हो गयी थी (जिसके बाद उन्होंने “मुक्तावटी” दवा खाना छोड़ दिया था) !
इसलिए उन पाठक को लगता था कि इस बार भी मुक्तावटी खाने से उन्हें लाभ मिल जाएगा, लेकिन समस्या यह थी कि उस समय उनके घर में मुक्तावटी दवा थी नहीं और इतनी रात में कोई दुकान भी नहीं खुली थी जहाँ से वो दवा खरीद सकें !
अभी वो पाठक यही सब सोच रहे थे, तब तक उन्होंने महसूस किया कि उन्हें सीने में भी भारीपन महसूस होने लगा है ! तब उन्होंने सोचा की इससे पहले की समस्याएं और बढ़ जाएँ उन्हें तुरंत कुछ करना होगा !
वो अपने घर वालों को भी अपनी तबियत के बारे में नहीं बताना चाहते थे क्योकि घर में उस समय सिर्फ महिलाएं और बच्चे थे जो उनसे भी ज्यादा घबड़ाने लगते ! इसलिए उन्होंने सोचा की अब जो करना है उन्हें खुद ही करना है वो भी घर में ही रहकर करना है !
तब उन पाठक ने गूगल (Google) पर हाई ब्लड प्रेशर का इलाज खोजना शुरू किया और उन्हें गूगल पर “स्वयं बनें गोपाल” समूह का यह आर्टिकल पढ़ने को मिला- कोविड के बाद से अक्सर महसूस होने वाली बदबू, समाप्त हुई प्राणायाम करने से , जिसमें लिखा है कि- “तल हृदय मर्म स्थान को हाथों की उँगलियों से दबाने से (एक्यूप्रेशर की तरह), ब्लड प्रेशर व कई मानसिक बीमारियों में आश्चर्यजनक लाभ मिल सकता है” !
फिर उन पाठक ने अपने दोनों हाथों की हथेलियों और पैर के पंजों में स्थित “तल हृदय” मर्म स्थान को 10 बार दबाया ! जिसके थोड़े ही देर बाद उन्हें कुछ आराम महसूस होने लगा और उसके बाद उन्हें नींद आने लगी और वो सो गए ! लगभग 3 घंटे बाद जब उनकी नींद खुली तो उन्हें अपने सिर दर्द, सांस फूलने और सीने में भारीपन में ज्यादा आराम महसूस हुआ !
जिसके बाद उन्होंने फिर से अपने तल हृदय मर्म स्थानों को 10 बार दबाया और सो गए ! इस बार फिर जब 2 घंटे बाद नींद खुली तो वो अपने आप को तरोताज़ा महसूस कर रहे थे ! सोकर उठने के बाद वो नहा धोकर तैयार हुए ऑफिस जाने के लिए, लेकिन आज ऑफिस जाने से पहले और सुबह का नाश्ता करने से पहले, उन्होंने 10 मिनट के लिए धीरे – धीरे अनुलोम – विलोम प्राणायाम किया !
उन्होंने प्राणायाम इसलिए किया क्योकि कल रात को उन्होंने “स्वयं बनें गोपाल” के आर्टिकल में पढ़ा था- “रोज मात्र 10 मिनट प्राणायाम करने से, जीवन में कोई आकस्मिक समस्या (जैसे- हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, लकवा आदि) आने की संभावना भी लगभग समाप्त हो सकती है, इसलिए हर आदमी को रोज कम से कम 10 मिनट कोई भी अपना मनपसंद प्रायाणाम (जैसे- कपालभाति, अनुलोम – विलोम, भस्त्रिका आदि) जरूर करना चाहिए” !
कल रात तक वो पाठक मन में बार – बार यही सोच रहे थे कि जल्दी से सुबह हो जाए और वो दुकान से “मुक्तावटी” दवा खरीदकर खा लें, लेकिन जब उन्होंने आर्टिकल में पढ़ा कि रोज प्राणायाम करने वालो को आजीवन, किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ती, तो तब से उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि चाहे कुछ भी हो जाये वो रोज 10 मिनट प्राणायाम जरूर करेंगे !
अपने साथ हुई इस घटना को, बाद में उन्होंने “स्वयं बनें गोपाल” समूह से भी शेयर (साझा) किया और बताया कि कैसे नियमित प्राणायाम करने की वजह से उन्हें फिर कभी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं झेलनी पड़ी ! साथ ही उन्होंने “स्वयं बनें गोपाल” समूह से यह प्रश्न भी किया कि,- क्या “मर्म चिकित्सा” से सिर्फ आकस्मिक पैदा हुई किसी शारीरिक तकलीफ को ठीक किया जा सकता है या वर्षों पुरानी बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है ?
तो इसके जवाब में “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए “मर्म चिकित्सा” के विद्वान रिसर्चर ने बताया कि, यह बहुत अच्छी बात है कि उन पाठक को घर बैठकर अपने से मर्म चिकित्सा करने से लाभ मिल गया लेकिन बेहतर यही होता है कि ऐसी संवेदनशील स्थिति में किसी योग्य चिकित्सक से मिलकर ही कोई चिकित्सकीय उपाय करना चाहिए और मर्म चिकित्सा का प्रयोग भी किसी विशेषज्ञ के सरंक्षण में ही करना श्रेयस्कर होता है क्योकि रोगानुसार सही मर्म स्थानों पर यथोचित दबाव ना डालने पर, सही लाभ नहीं मिल पाता है !
फिर रिसर्चर ने आगे बताया कि ……… वास्तव में, दुनिया की कोई ऐसी बिमारी (चाहे वो कितनी भी पुरानी हो या कितनी भी कठिन हो) नहीं है जिसमें मर्म चिकित्सा जबरदस्त लाभ ना पहुंचा सकती हो ……… लेकिन इस दुनिया में हर अलग – अलग आदमी अपने आप में यूनिक (अनोखा) होता है क्योकि हर आदमी का प्रारब्ध भी अलग – अलग यूनिक होता है ……… इसलिए मर्म चिकित्सा या किसी भी दूसरी चिकित्सा पद्धति (जैसे- एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद आदि) से किस आदमी को बढियाँ लाभ मिलेगा और किस आदमी को साधारण लाभ मिलेगा और किस आदमी को बिल्कुल लाभ नहीं मिलेगा, इसकी सही जानकारी तो उस इलाज पद्धति को इस्तेमाल करने के बाद ही पता चलता है !

Marma Points
वैसे तो माना जाता हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर और सबसे ज्यादा पुरानी इलाज की पद्धतियों में, नंबर दो पर “मर्म चिकित्सा” है (क्योकि इसमें बिना किसी दवा का इस्तेमाल किये हुए, सिर्फ शरीर के मर्म स्थानों पर दबाव डालकर इलाज किया जाता है, जबकि नंबर एक पर मौजूद “स्वर चिकित्सा” में सिर्फ साँसों के नियंत्रण व तत्वों के मानसिक ध्यान आदि से इलाज किया जाता है जिनके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें- जानिये दुनिया की सबसे ताकतवर, इलाज की पद्धतियों के कुछ अनछुए पहलुओं बारे में) !
लेकिन अगर, सिर्फ एक ही इलाज पद्धति से दुनिया के सभी मरीज ठीक हो जाते तो फिर भगवान् को क्या जरूरत थी हजारों किस्म की इलाज पद्धतियों के अनगिनत किस्म के नुस्खों बनाने की (जिनमें से अब अधिकाँश इलाज पद्धतियां व उनके नुस्खे, पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं) !
आप बड़े से बड़े वैज्ञानिक या डॉक्टर से पूछ लीजिये तो वो भी यही कहेंगे कि , अभी तो हमने मानव शरीर के बारे में कुछ जाना ही नहीं ! क्योकि “यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे” यानी हमारा मानव शरीर भी ब्रह्माण्ड की ही तरह अंतहीन रहस्यों से भरा पड़ा है जिसे सिर्फ 5 साल की MBBS, BAMS या BHMS की पढ़ाई में समझा नहीं जा सकता है !
इसलिए हर बुद्धिमान वैज्ञानिक, एक्सपर्ट, स्पेशलिस्ट, डॉक्टर आज भी अपने आप को सिर्फ एक रिसर्चर (शोधकर्ता) ही समझता है और कभी भी गारण्टी के साथ नहीं कहता कि एक ही बिमारी से ग्रसित हर पेशेंट को वो पूरी तरह से ठीक कर सकता है !
यानी जिस बिमारी को कोई डॉक्टर पहले भी हजारों मरीजों में ठीक कर चुका है, वही डॉक्टर उसी बिमारी को कई मरीजों में ठीक नहीं भी कर पाता है और इसका कारण डॉक्टर्स अपनी भाषा में यह बताते हैं कि हर ह्यूमन बॉडी (मानव शरीर) की टेन्डेन्सी या कैरेक्टरिस्टिक (प्रकृति, गुणधर्म) अलग – अलग होती हैं इसलिए हर अलग – अलग दवा/इलाज/नुस्खा का इस्तेमाल करने पर अलग – अलग मानव शरीर, अलग – अलग तरह से रियेक्ट (प्रतिक्रिया) कर सकता है !
यानी आसान भाषा में कहें तो एक ही दवा से सभी मरीजों को समान रूप से लाभ मिले यह जरूरी नहीं है क्योकि सभी मरीजों की बॉडी टेन्डेन्सी अलग – अलग होती है ! जिसे डॉक्टर्स अपनी भाषा में बॉडी टेन्डेन्सी कहते हैं, वास्तव में वही प्रारब्ध है (जिसे अलग – अलग भाषा में डेस्टिनी, किस्मत, मुकद्दर आदि भी कहा जाता हैं) !
खैर प्रारब्ध में चाहे जो भी लिखा हो, हर मरीज को बिना निराश हुए, अपनी बिमारी दूर करने के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए और यथासम्भव उन सभी नेचुरल तरीकों (योगासन, प्राणायाम, आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां, मर्म चिकित्सा, होम्योपैथी आदि) को आजमाना चाहिए, जिनसे बिमारी तो ठीक हो सके लेकिन बिना किसी साइड इफेक्ट् के ! और जहाँ तक बात पाठक महोदय के प्रश्न की है, तो हाँ ये बिल्कुल सम्भव है कि मर्म चिकित्सा से पुरानी, लाइलाज मानी जाने वाली बिमारियों में भी बढियाँ लाभ मिल सकता है !
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