मौत भयानक नहीं है
याग्वल्क्य ऋषि का एक अलग दर्शन है मृत्यु के बारे में, उनका कहना है की जीवन से पहले भी मृत्यु है और जीवन के बाद भी मृत्यु है, तो मृत्यु ही स्रोत है और मृत्यु ही अंत है, मृत्यु ही जननी हुई और मृत्यु ही नाशकर्ता |
ये आदि और अंत का महाबल सिर्फ ब्रह्म के पास है तो क्या मृत्यु ही परम ब्रम्ह है !
श्री रवींद्रनाथ ठाकुर भी वैदिक आर्यों की तरह कहा करते थे कि मृत्यु भीषण नहीं है, विकराल नहीं है, वह तो मनुष्य की परम सखा है। उससे हमें भयभीत नहीं होना चाहिए। प्रेम से उसका स्वागत करना चाहिए और अर्ध्य अर्पित करके कृतार्थ हो जाना चाहिए। मृत्यु को एक परम महोत्सव मानना चाहिए !
पर वास्तव में ये सब मृत्यु का दर्शन उन्ही पर लागू होता है जिन्होंने अपना जीवन सुख भोगने के लिए नहीं दूसरो का दुःख हरने के लिए जिया है। बाकी जिन्होंने दुनिया भर के गलत काम किये है उनको मौत हमेशा से बहुत डरावनी लगती रही है।
हमारे सभी धर्म ग्रंथो में आत्महत्या को पाप नहीं, महापाप कहा है और कहा है की आत्महत्या करने वाले को कई सालों तक मरने के बाद नरक में यमदूतो द्वारा मारा पीटा और अन्य तरह की भी भयंकर यातना दी जाती है और उसका अगला जन्म भी कीड़े मकोड़े का मिलता है |
इसलिए लोग जिस तकलीफ से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करते है उससे लाख गुना तकलीफ उन्हें आत्महत्या के बाद यमदूतों के द्वारा नरक में दी जाती है और अनन्त गुना तकलीफ बार – बार क्षुद्र योनियों (जैसे कीड़े मकोड़े) में जन्म लेने से मिलती है |
इसलिए कभी भी किसी मानसिक आवेग – दुःख में आकर, भगवान के द्वारा दिए गए अति दुर्लभ मानव शरीर की खुद से हत्या करके भगवान की कृपा का अपमान करके देव कोप का भागी बिलकुल नहीं – नहीं – नहीं बनना चाहिए अन्यथा पूरा भविष्य ही घनघोर अंधकार में घिर जाता है |
दुनिया की कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका हल ना हो। अगर किसी को अपनी किसी समस्या का कोई भी हल नहीं समझ में आ रहा हो और वो अपने आप को हर तरफ से घिरा महसूस कर रहा हो तो वो तुरन्त क्षमा के सागर भगवान की शरण में जाय और उनसे हाथ जोड़कर बार बार प्रार्थना करे की वो आगे से कोई गलत काम नहीं करेगा |
मतलब कभी मांस मछली अंडा और इनसे बने सामान नहीं खायेगा, कभी नशा नहीं करेगा और कभी किसी से अनावश्यक बद्तमीजी नहीं करेगा और वो आदमी लगातार भगवान का कोई नाम भी जपता रहे तो निश्चित ही भगवान उसकी रक्षा करेंगे |
मुसीबत के समय ऐसा लग सकता है की भगवान तो कुछ मदद कर ही नहीं रहे पर ये निश्चित है की सच्चे दिल से लगातार प्रार्थना की जाय तो अंततः भगवान रक्षा करेंगे ही करेंगे |
शाकाहारी और सज्जन लोगो की तुलना में काली कमाई करने वालो, मांस मछली अंडा खाने वालो, नशा करने वालो और दूसरो से बिना मतलब बद्तमीजी करने वालो के साथ बार – बार ऐसी घटना होती है की वो अपने आप को खतरनाक मुसीबत में घिरा पाते है |
ऐसी समस्याए बार – बार जिंदगी में पैदा ही न हो इसलिए ऐसा गलत काम करना ही नहीं चाहिए |
और मक्कार लोग जो भगवान को भी धोखा देने से बाज नहीं आते और बार – बार मुसीबत में फसने पर बार – बार भगवान् से वादा करते है की आगे से कोई गलत काम नहीं करूँगा और मुसीबत ख़त्म होते ही फिर से गलत काम करना शुरू कर देते है, ऐसे लोगो का भविष्य भगवान नहीं उनके कर्म ही तय करने लगते है जो की निश्चित ही घनघोर तकलीफ देय होता है।
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