सिर्फ 1 खुराक में खांसी, कफ व टोंसिल में आराम पहुचाना शुरू करने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे
कफ और खांसी के लिए सबसे तेज फायदेमंद दवा है अडूसा जिसकी अमेरिका से लेकर विश्व के हर देश के वैज्ञानिकों ने भूरी भूरी प्रशंसा की है !
अडूसा (जिसे संस्कृत में वासा भी कहते हैं) की एक खुराक खाने भर से ही, कितना भी बड़ा कफ (या खांसी) का मरीज हो, उसे धीरे धीरे आराम मिलने लगता है !
कफ या खांसी चाहे जिस भी वजह से आ रही हो (चाहे टी. बी. हो, जुकाम हो या अन्य कोई भी बीमारी हो) अडूसा खाने से आराम मिलता है !
अडूसा का पेड़ खोजने पर हो सकता है जल्दी ना मिले लेकिन अडूसा से बनी कुछ आयुर्वेदिक दवाएं बाजार में मिलती हैं !
किसी भी बड़ी कंपनी की अडूसा से बनी कोई ऐसी दवा खरीदें जिसमे सिर्फ अडूसा मिला हो (अन्य कोई जड़ीबूटी ना मिली हो), ऐसी दवा खाने से बहुत तेज फायदा मिलता है !
कई आयुर्वेदिक दवाएं मरीज की प्रकृति के हिसाब से अलग अलग फायदा कर सकती हैं जैसे अदरक; जहाँ कुछ लोग कहते हैं की अदरक खांसी में बहुत फायदा है वही कुछ लोगों पर अदरक उल्टा असर करता है क्योंकि अदरक उनके शरीर में जमा कफ को सुखाकर खांसी को और बढ़ा देता है !
पर अडूसा सर्वमान्य तरीके से शरीर में जाकर, बहुत सौम्यता से (मतलब बहुत प्यार से) कफ का बनना कम करता है !
प्राप्त जानकारी अनुसार श्री बाबा रामदेव अडूसा का रस नहीं बनाते लेकिन अडूसा से बनी ही दवा ‘श्वासारी प्रवाही’ बनाते हैं जो सांस की लगभग हर बीमारी में बहुत फायदा है !
बाजार में ‘बैद्यनाथ’ आयुर्वेदिक कम्पनी भी ऐसी है जो सिर्फ अडूसा से बना अवलेह बना कर बेचती है, ‘वासावलेह’ के नाम से ! इससे जबरदस्त और बहुत तेज आराम मिलते देखा गया है !
अडूसा के अलावा, गले की सामान्य बीमारियों एवं इन्फेक्शन में, हल्दी बहुत अच्छा फायदा करती है पर समस्या है कि बाजार में बिकने वाली अधिकांश हल्दी वैज्ञानिकों द्वारा जेनेटिकली मॉडिफाइड हैं जिसके वजह से उसके औषधीय गुण बहुत कम हो चुके हैं !
पूरी मानव जाति का जितना नुकसान ऐसे वैज्ञानिकों ने किया है उतना नुकसान बड़े से बड़े अपराधियों ने भी नहीं किया है !
अगर हम मानव भगवान् के द्वारा बनाए गए ओरिजिनल प्रजाति की सब्जी (आलू, टमाटर, गोभी, पालक, लौकी, साग आदि), अनाज (दाल. चावल, गेहूं, चना आदि) और फल (आम, संतरा, सेब, अनार, केला आदि) खाते तो बिना किसी डॉक्टर की दवा खाए, 100 साल तक जवान हष्ट पुष्ट बने रहते !
पर इन मूर्ख वैज्ञानिकों ने ज्यादा फसल पैदा करने के चक्कर में भगवान् के द्वारा बनाये गये ओरिजिनल बीजों के जीन्स से छेड़छाड़ कर दिया जिससे पैदावार तो बढ़ी पर हमारे सब्जियों, अनाजों और फलों के अधिकांश औषधीय गुण मर गए ! ऊपर से रासायनिक खाद और रासायनिक कीट नाशक की मार अलग से !
सबसे बड़े दुःख की बात है आज मार्केट में हर जगह 99 प्रतिशत जेनिटिकली मॉडिफाइड सब्जी, जेनिटिकली मॉडिफाइड अनाज और जेनिटिकली मॉडिफाइड फल ही मिलते हैं !
श्री बाबा रामदेव जी के सैकड़ो परोपकारी कामों के साथ ही यह भी महान काम देखने को मिल रहा है, कि वो भारत के किसानों को सब्जी, फल और अनाजों के ओरिजिनल बीज (जिन्हें खोज पाना अब बहुत ही दुर्लभ हो चुका है) उपलब्ध कराना शुरू कर रहें हैं !
धन्य है बाबा रामदेव और उनकी अथक मेहनत !
श्री बाबा रामदेव के सभी प्रोडक्ट की तरह, उनके द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाला हल्दी पाउडर भी ओरिजिनल हल्दी प्रजाति का है इसलिए बाजार में बिकने वाली अन्य हल्दी पाउडर की तुलना में ज्यादा फायदेमंद माना जाता है !
गले में दर्द हो, खराश हो, खासी हो, कफ जमा हो या टोनसीलाईटिस हो गया हो तो आधा चम्मच कच्ची हल्दी के रस को मुह खोल कर गले में डाल देना चाहिए और फिर थोड़ी देर मौन होकर बैठना चाहिए ! बेहतर हो कि इसे रात को सोते समय किया जाय और सुबह उठकर मुंह धो लिया जाय !
जब ये हल्दी लार के साथ घुलकर पूरी तरह से गले में नीचे उतर जाती है, तो एक खुराक में ही कई बीमारियों में काफी आराम महसूस होते देखा गया है और फिर सामन्यतया दूसरी खुराक डालने की जरुरत ही नही पड़ती।
बच्चों और बड़ों दोनों लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद नुस्खा है क्योंकि जानकार वैद्यानुसार इससे टोंसिल में आराम मिल जाता है और ऑपरेशन से टोंसिल कटवाने की नौबत नहीं पड़ती !
खासी में, अनार का रस गरम करके पीने से खांसी में आराम मिलते देखा गया है ।
सिर्फ 1 काली मिर्च धीरे धीरे चूस कर गर्म पानी पीने से भी कफ प्रवृत्ति के लोगों को आराम मिलते देखा गया है लेकिन काली मिर्च बहुत गर्म है इसलिए हाई बी पी और बवासीर के मरीजों को काली मिर्च वैद्य अनुसार लेना चाहिए !
छाती की कुछ बिमारिया जैसे अस्थमा व ब्रोंकिअल अस्थमा की सबसे अच्छी दवा है, गायमाता का मूत्र !
आधा कप गोमूत्र सुबह ताजा ताजा पीने से अस्थमा में आराम मिलता है पर ध्यान रहे मूत्र सिर्फ भारतीय देशी गाय माता का हो, ना कि संकर गाय या जर्सी गाय का !
गोमूत्र पीने से टीबी (Tuberculosis) भी ठीक होता है, पर लगातार 5 – 6 महीने पीना पड़ता है ।
अस्थमा की और एक अच्छी दवा है दालचीनी ! इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट, गुड़ या शहद मिलाकर, गरम पानी के साथ लेने से अस्थमा में आराम मिलते देखा गया है ।
(नोट – हर मरीज की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग अलग हो सकतीं हैं इसलिए इस वेबसाइट में दिए हुए किसी भी यौगिक, आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपायों को आजमाने से पहले किसी योग्य योगाचार्य, वैद्य व चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें)
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