सरकार ने विश्व के बेहतर भविष्य के लिए अभी जिस आश्चर्यजनक रिसर्च को आवश्यक बताया है, उसके संभावित महत्व का जिक्र आज से 5 साल पहले ही हमारे रिसर्चर ने अपने आर्टिकल में कर दिया था
लम्बे समय से ब्रह्मांड से सम्बंधित सभी पहलुओं पर रिसर्च करने वाले, “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए विद्वान रिसर्चर श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय (Doctor Saurabh Upadhyay) के निजी विचार ही निम्नलिखित आर्टिकल में दी गयी जानकारियों के रूप में प्रस्तुत हैं-
“स्वयं बनें गोपाल” से जुड़े हुए मूर्धन्य ब्रह्माण्ड शोधकर्ता डॉक्टर सौरभ उपाध्याय जी के द्वारा प्रदत्त जानकारी के आधार पर आज से लगभग 5 वर्ष पूर्व (31 दिसम्बर 2017) हमने अपनी इस वेबसाइट पर एक आर्टिकल प्रकाशित किया था (जिसका लिंक है- वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य) और इस आर्टिकल में विश्व के बेहतर भविष्य के लिए जिन संभावनाओं का जिक्र किया गया था, उनकी कुछ महत्वपूर्ण समानताएं सुनने को मिली है उस वक्तव्य से, जो हमारे दूरदर्शी प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2022) पर दिया है (जिसे जानने के लिए कृपया मीडिया के इस लिंक पर क्लिक करें- Independence Day 2022: लाल किले से पीएम मोदी ने ग्रीन जॉब्स का किया एलान, युवाओं को मिलेगा ऐसे फायदा) !
प्राप्त जानकारी अनुसार बुद्धिमान प्रधानमंत्री जी ने अपने वक्तव्य में जो महत्वपूर्ण बात कही है वो है- “हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समुद्र की गहराई तक अनुसंधान के लिए भरपूर मदद मिले ! इसलिए हम अंतरिक्ष मिशन, डीप ओशन मिशन का विस्तार कर रहे हैं ! हमारे भविष्य का समाधान अंतरिक्ष और महासागर की गहराई में निहित है !”
वास्तव में मोदी जी के उपर्युक्त वक्तव्य की कुछ बातों को ध्यान से समझने की जरूरत है, जैसे- “समाधान” हमेशा “समस्याओं” का होता है और देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से अधिकांश समस्यों का रूप बदलता रहता है लेकिन कुछ समस्याओं का रूप कभी नहीं बदलता है और वे समस्याएं हैं “भोजन, पानी, वायु, कपड़े, मकान व बीमारियों के इलाज की निरंतर उपलब्धता” ! जब तक इन समस्याओं का समाधान मानवों के पास है तब तक माना जा सकता है कि पृथ्वी से मानव जीवन समाप्त नहीं होगा (बशर्ते पृथ्वी पर निरंतर बड़ी आपदाएं जैसे- युद्ध, महामारी, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, आदि ना होने लगें) !
तो जैसा कि मोदी जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि- “भविष्य का समाधान अंतरिक्ष और महासागर की गहराई में निहित है”, लगभग वैसा ही “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने भी 5 वर्ष पूर्व प्रकाशित अपने आर्टिकल में कहा है कि- “…. भविष्य में मानवीय दुर्बुद्धि व महामूर्खता की वजह से उत्पन्न भीषण युद्धों या प्राकृतिक आपदाओं से पृथ्वी के वातावरण का इतना ज्यादा प्रदूषित हो जाना कि मानवों का प्राण बचाने के लिए एलियंस की मदद से समुद्र के पानी के अंदर ही एक नए संसार की स्थापना करने का प्रयास करना या कुछ और …. “ !
मोदी जी ने भले ही अपने वक्तव्य में “एलियंस” जैसे वर्तमान में कई लोगों द्वारा काल्पनिक माने जाने वाले प्राणियों के सहयोग का जिक्र ना किया हो, लेकिन डॉक्टर सौरभ यह स्पष्ट रूप से कहतें हैं कि “भविष्य में अगर करोड़ो पृथ्वी वासियों को, पृथ्वी छोड़कर किसी नई जगह सुखपूर्वक बसाने की आवश्यकता पड़ी तो यह असम्भवतुल्य काम सिर्फ मानवीय बुद्धि व प्रयासों के भरोसे सम्भव नहीं हो सकेगा बल्कि इसमें सीधे हस्तक्षेप व सहयोग करना पड़ेगा दैवीय सत्ताओं को” (दैवीय सत्ता मतलब दिव्य लोकों में रहने वाले परम आदरणीय ऋषि सत्ता गण जो अपने दिव्य विमानों से पृथ्वी पर आवागमन करते रहतें हैं; और जिन्हे भी विदेशी लोग तथा पाश्चात सभ्यता का अंधानुसरण करने वाले कई भारतीय सामान्यतः एलियंस समझतें हैं; एलियंस से संबंधित भ्रमो को दूर करने के लिए कृपया हमारे अन्य आर्टिकल्स को पढ़ें जिनके लिंक्स इस आर्टिकल के नीचे दिए गएँ हैं) !
यह तर्क शायद अभी कुछ लोगों को अविश्वसनीय लग रहा होगा कि कैसे दैवीय हस्तियों की कृपा से किसी विशाल सभ्यता का स्थान परिवर्तन भी हो सकता है, पर ये तो सभी को पता है कि श्री कृष्ण जी की कृपा से कैसे पूरी मथुरा नगरी रातो – रात सैकड़ों किलोमीटर दूर द्वारिका में जाकर बस गयी थी ! हम मानव अपने दैनिक जीवन की परेशानियों से तंग आकर, भले ही अक्सर अपने आप को अकेला निसहाय समझतें हों लेकिन इतिहास गवाह है कि जब – जब पूरी मानव सभ्यता के लिए विशेष कठिन समय आया है तब – तब मानवों को विशेष दैवीय सहयोग किसी ना किसी माध्यम से जरूर मिला है !
डॉक्टर सौरभ उपाध्याय ने अभी 1 माह पूर्व (3 जुलाई 2022 को) प्रकाशित अपने आर्टिकल में (जिसका लिंक है- हमारे रिसर्चर की आश्चर्यजनक खोज, ज्यूपिटर प्लेनेट पर स्थित एक नए ब्लैक होल के बारे में और पृथ्वी से बाहर मानव जीवन बसाने में आने वाली कुछ अनजानी बड़ी समस्याओं के बारे में) में इस बात को तार्किक रूप से स्पष्ट किया है कि- क्यों भविष्य में मानवों को रहने के लिए महासागरों के नीचे मानव शहर बसाना ज्यादा बेहतर विकल्प है, तुलना में अंतिरक्ष में किसी दूसरे ग्रह पर मानव जीवन बसाने के ! इसी आर्टिकल में डॉक्टर सौरभ ने विश्व के सभी दूरदर्शी राजनेताओं व शोधकर्ताओं का आवाहन भी किया है मिलकर बेहतर भविष्य की रचना करने के लिए रिसर्च करने का, और इसी परिप्रेक्ष्य में बहुत अच्छा लगा यह देखकर कि मोदी जी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” के साथ – साथ “जय अनुसन्धान” का भी अभियान शुरू किया है !
जय हो परम आदरणीय गौ माता की !
वन्दे मातरम् !
(ब्रह्माण्ड सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
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