जिसे शनि मारें, उसे पिता ही उबारे
आगामी “शनि जयंती” के शुभ अवसर पर “स्वयं बनें गोपाल” समूह यह आर्टिकल विशेष रूप से प्रकाशित कर रहा है शनि देव को प्रसन्न करके उनके घातक प्रभावों को समाप्त करने वाले ऐसे आसान उपायों के बारे में, जिन्हे करने के लिए किसी भी इंसान को, ना ही एक रुपये भी खर्च करने की जरूरत है और ना ही अलग से कोई काम करने की जरूरत है !
वास्तव में शनि ग्रह की दृष्टि कितनी प्रचंड है इसका अंदाजा उस घटना से भी लगया जा सकता है जिनमें माना जाता है कि शनि देव की दृष्टि पड़ते ही भगवान हनुमान जी का चेहरा काला पड़ गया था ! इसलिए अगर जन्म कुंडली में शनि देव की स्थिति ठीक ना हो तो आदमी खून के आंसू रोने पर मजबूर हो सकता है खासकर जब शनि देव की दशा (अंतर दशा, प्रत्यन्तर दशा या महादशा) चल रही हो !
शनि देव की महादशा तो 19 साल तक चलती है तो ऐसे में अगर कुंडली में शनि देव खराब हो तो आदमी पर मुसीबतो के पहाड़ भी टूट सकते हैं क्योकि आदमी किसी तरह से एक समस्या को समाप्त करके जब तक निश्चिन्त हो पाता है, तब तक उसे पता चलता है कि एक नई बड़ी समस्या तैयार खड़ी है (ये समस्याएं जीवन में किसी भी रूप में आ सकती है, जैसे- अचानक बिना विशेष कारण के कठिन बिमारी पैदा हो जाना, आर्थिक तंगी, एक्सीडेंट, लड़ाई – झगड़ा या फर्जी मुकदमा या कर्ज की दलदल में फंस जाना आदि) !
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि अगर जन्म कुंडली में शनि देव खराब हो तो आदमी भूल ही जाता है कि सुख किसी चिड़िया का नाम है ! ऐसा नहीं है कि शनि देव कोई बुरे ग्रह है क्योकि शनि देव को तो सभी ग्रहों के बीच में बहुत ही सम्मानित पद यानी “न्यायाधीश” का ओहदा प्राप्त है इसलिए शनि देव के द्वारा मिलने वाला हर दंड, हमारे अपने ही इस जन्म या पूर्व जन्मों के बुरे कर्मो का ही नतीजा होता है लेकिन इसका कत्तई ये मतलब नहीं है कि कोई तरीका ही नहीं बचा है कि शनि देव की तकलीफो से निजात पाने का !
देखिये हमारे द्वारा इस जन्म में या पूर्व जन्म में जो जघन्य पाप जाने/अनजाने हुए हैं उनके बदलें में जो अकाट्य कष्ट हमें जीवन में मिलने वाले हैं वो तो हमें मिलकर ही रहेंगे क्योकि अकाट्य प्रारब्धों को “अकाट्य” इसलिए ही बोला जाता है क्योकि उन्हें भुगतने से बचने के लिए कोई भी पूजा – पाठ – रत्न – दान – योग – मेहनत आदि सब फलहीन साबित होते हैं (मतलब उन्हें हर हाल में भुगतना ही पड़ता है) लेकिन आम तौर पर अकाट्य प्रारब्ध जैसी घटनाएं पूरी जिंदगी में केवल कुछ ही होती हैं, बाकी जीवन में मिलने वाले जो दूसरे सभी बड़े कष्ट होतें हैं उन्हें निश्चित तौर पर मेहनत करके समाप्त किया जा सकता है !
इसलिए जीवन में मिलने वाला कौन सा कष्ट अकाट्य है और कौन सा नहीं है, इसको समझने में समय बर्बाद करने की जगह, बुद्धिमानी यही कहती है कि हर मानव को अपने जीवन के हर कष्ट को दूर करने के लिए, बिना हार माने लगातार प्रयास करते रहना चाहिए ! अब हर कष्ट को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए यह भी समझना जरूरी है कि किसी कष्ट के पैदा होने के पीछे की मुख्य वजहें क्या – क्या हो सकती हैं !
मतलब किसी बड़े कष्ट को जल्दी ठीक करने के लिए उसके पीछे के हर संभावित कारणों (जैसे- भौतिक कारण, आध्यात्मिक कारण) का भी इलाज करना जरूरी है, जैस- अगर किसी व्यक्ति की आँखों की रोशनी में कमी आ रही हो तो उसे जल्दी फायदा पाने के लिए, ना केवल भौतिक उपाय (जैसे- दवाएं, योगासन आदि) को करना चाहिए बल्कि आध्यात्मिक उपाय (जैसे- आँखों के स्वामी भगवान् सूर्य को प्रसन्न करने के लिए जल अर्पित करना आदि) भी जरूर करना चाहिए !
इसी तरह जीवन में मिलने वाला कोई कष्ट, अगर शनि ग्रह की वजह से हों तो आध्यात्मिक उपाय के अंतर्गत, हर उस काम को करना तुरंत छोड़ देना चाहिए जिससे शनि देव नाराज होते हों और हर उस काम को करना तुरंत शुरू कर देना चाहिए जिससे शनि देव खुश होते हों ! अतः आईये सबसे पहले जानते हैं कि शनि देव नाराज किस काम से होते हैं-
सारांश रूप में कहें तो शनि देव का मुख्यतः वास होता है हर उस जीव में जो आपके अनुचित अत्याचार, बद्तमीजी, ज्यादती, दबंगई, धौंस, मनमानी, अवेहलना आदि का शिकार हो सकता है ! आपकी कुंडली में शनि देव भले ही चाहे कितनी भी अच्छी अवस्था में बैठे हों, लेकिन यकीन मानिये कि अगर आपकी किसी जानी – अनजानी हरकत की वजह से कोई निर्दोष बार – बार दुखी हो रहा हो तो देर सवेर आप भी शनि महाराज के भयंकर क्रोध का शिकार बनकर ही रहेंगे क्योकि शनि जी न्याय के देवता व दंडाधिकारी हैं (इसलिए शनि जी उन लोगों से बहुत प्रसन्न होतें हैं जो अपने से कमजोर लोगों की यथासम्भव निःस्वार्थ मदद करते रहते हैं) !
लेकिन यहाँ पर एक और बात ध्यान से समझने वाली है कि आजकल ऐसे बहुत से अजीब लोग भी हैं जो बाहर किसी गरीब आदमी या भूखे जानवर की मदद तो कर देंगे, लेकिन अपने घर आकर अपने माता – पिता – भाई – बहन – पति/पत्नी आदि से बदतमीजी से बात करेंगे तो ऐसे लोगो को बहुत ही ध्यान से, शनि देव के बारे में इस नीचे लिखे रहस्य को समझना और याद रखना चाहिए-
वास्तव में शनि देव को अपने पिता (यानी भगवान सूर्य) का प्यार बहुत ही कम मिला है इसलिए शनि देव की नजर में दुनिया की सबसे कीमती चीज है “पिता का प्यार” ! मतलब शनि देव के पास अथाह धन – दौलत है (इसलिए दुनिया में आज कई ऐसे सेलिब्रिटी हैं जिन्होंने जाने/अनजाने सिर्फ शनि देव की कृपा से अकूत पैसा – शोहरत कमाई है) लेकिन शनि देव खुद अपने बचपन से लेकर आज तक जिस चीज के लिए सबसे ज्यादा तरसे हैं, वो है “पिता का प्यार” !
वैसे तो आजकल के लगभग सभी ज्योतिषियों का मानना हैं कि शनि देव को अपने पिता का प्यार कम इसलिए मिला है क्योकि शनि देव जन्म से सुंदर नहीं थे इसलिए भगवान सूर्य को संदेह हो गया कि शनि देव उनकी संतान नहीं है जिसकी वजह से शनि देव और उनके पिता सूर्य भगवान एक – दूसरे को पसंद नहीं करते हैं ! लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” समूह के स्पेस साइंस के विद्वान रिसर्चर डॉक्टर सौरभ उपाध्याय की इस बारे में आश्चर्यजनक खोज, दुनिया के बाकी एस्ट्रोलॉजर्स (ज्योतिषियों) से एकदम अलग है !
डॉक्टर सौरभ के वर्षों के रिसर्च के अनुसार, ये बात पूरी तरह से गलत व अफवाह है कि शनि देव और सूर्य भगवान् एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं क्योकि अगर ऐसा होता तो धर्म ग्रंथों में शनि देव की पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा जाता (क्योकि महान वैदिक धर्म में कभी भी ऐसे व्यक्ति या देवता को पूज्यनीय नहीं माना जा सकता है जो अपने ही जन्मदाता पिता का आदर ना करता हो, खासकर जब पिता खुद भगवान के साक्षात् अवतार सूर्यदेव हों) !
डॉक्टर सौरभ के अनुसार भारतवर्ष की हजार साल की गुलामी के दौरान, सनातन धर्म के कई महत्वपूर्ण गंथों में कई गलत बातें जानबूझकर जोड़ दी गयी थी, जिन्हे आज तक कई ज्योतिषी व धर्माचार्य लकीर के फ़कीर की तरह (मतलब बिना अपने कॉमनसेन्स का इस्तेमाल किये हुए) दूसरों को उपदेश देते आ रहें हैं, इसी वजह से ज्योतिषियों की बहुत ही कम भविष्यवाणियां सही साबित हो पाती है !
अतः इस मामले में डॉक्टर सौरभ का सारांश रूप में यही कहना है कि, हाँ ये जरूर है कि शनि देव के अंतर्मन में आज भी दुःख है कि उन्हें उनके पिता सूर्य जी का प्यार बहुत कम मिला है, लेकिन इसके बावजूद भी शनि महाराज खुद एक महान पितृ भक्त है जिसकी वजह से शनि देव हर उस इंसान से नफरत करते हैं जो अपने पिता से नफरत करता है !
संभवतः पूरे विश्व में डॉक्टर सौरभ उपाध्याय ने ही पहली बार उस सही कारण को फिर से खोज निकाला है जिसकी वजह से शनि देव को भगवान सूर्य का प्यार सबसे कम मिला है ! उस कारण के बारे में डॉक्टर सौरभ इस प्रकार बताते हैं कि- …… वास्तव में शनि देव ही भगवान सूर्य की सबसे ज्यादा प्रिय संतान है लेकिन भगवान् सूर्य पूरे जगत के भी पिता है इसलिए उनके ऊपर इस पूरी सृष्टि की रक्षा की भी जिम्मेदारी है, इसी वजह से उन्होंने अपने सबसे ज्यादा ताकतवर पुत्र शनि देव को सोलर सिस्टम की सबसे दूर की ऑर्बिट्स (कक्षाओं) में से एक कक्षा (जिसे हम लोग समझने की आसानी के लिए सोलर सिस्टम की लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल या बॉर्डर भी कह सकते हैं) पर ही रहकर हमारे सोलर सिस्टम की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि हमारे सोलर सिस्टम में कोई दूसरे सोलर सिस्टम की बुरी शक्ति (जैसे बुरे स्वभाव वाले एलियंस) घुसकर उत्पात न मचा सकें ! इसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को लगातार निभाते रहने की वजह से ही शनि देव को हमेशा अपने पिता से सबसे ज्यादा दूर रहना पड़ता है और इसलिए ही वो अपने पिता के प्यार के लिए सदा मन ही मन तरसते रहते हैं !
शनि देव के इस अद्भुत लीला चरित्र का फल, डॉक्टर सौरभ यह बताते है कि जो इंसान, शनि जी की ही तरह हमेशा अपने पिता की सेवा व आज्ञा पालन के लिए तत्पर रहता है, उस इंसान के शरीर के अंदर भी शनि देव जल्दी कोई बाहरी बुराई/रोग/तकलीफ आदि को घुसने नहीं देते हैं जिसकी वजह से पिता की सेवा करने वाला इंसान शनि देव की कृपा से अपने आप हमेशा स्वस्थ, सुखी बना रहता है !
सोलर सिस्टम में शनि देव की भूमिका के अलावा डॉक्टर सौरभ ने यह भी बताया कि जन्म कुंडली में शनि देव की क्या मुख्य भूमिका है, जैसे- कुंडली में शनि देव की स्थिति देखकर यह जाना जा सकता है कि अलग – अलग मानवो को किन – किन कर्मो के प्रति आशान्वित अथवा सतर्क रहना चाहिए ! लेकिन परम शक्तिशाली शनि देव की ख़ुशी व नाराजगी से संबंधित कुछ समान्य नियम ऐसे हैं जो हर इंसान पर समान रूप से लागू होते हैं और उन्ही नियमो में से एक है कि जो भी आदमी अपने पिता (या पिता के समान रक्षा करने वाले व्यक्ति) के साथ गलत बर्ताव करता है, वो देर सवेर शनि देव के क्रोध का शिकार होकर ही रहता है !
अब यहाँ पर एक और महत्वपूर्ण बात समझने योग्य है कि आखिर पिता कहते किसे हैं ? अतः आईये जानते हैं कि परम आदरणीय हिन्दू धर्म के अनुसार, इन 5 महत्वपूर्ण तरह के लोगों को पिता कहा जाता है-
“जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति। अन्नदाता भयत्राता पंचैते पितर: स्मृता:।।”
अर्थात- जन्म देने वाले, सच्चा ज्ञान देने वाले, पालन – पोषण करने वाले और भय से रक्षा करने वाले, 5 महान तरह के लोगों को ही पिता कहा जाता हैं !
तो इस तरह हम लोग देख सकते हैं कि एक आदमी के जीवन में पिता का धर्म निभाने वाले कई लोग हो सकते हैं, जैसे- संयुक्त परिवार में रहकर पिता के समान देखभाल करने वाले दादा जी, ताऊ जी, चाचा जी, बड़े भाई जी आदि !
इन आदरणीय रिश्तों के अलावा पति भी एक ऐसा बेहद महत्वपूर्ण रिश्ता है जो अपनी पत्नी का जीवन भर एक पिता की ही तरह रक्षा व पालन – पोषण करता रहता है, इसलिए वैदिक धर्म में “पिता” व “पति” दोनों शब्दों में “प” अक्षर का उपयोग हुआ है क्योकि वैदिक संस्कृत में “पा” रक्षणे धातु होता है !
इसलिए ये निश्चित है कि जो महिला अपने पति से बेवजह गुस्से में झगड़ा करती है, अपमान करती है, पति को सास – ससुर – ननद – देवर आदि से दूर रहने के लिए मजबूर करती है या किसी भी तरह की चालाकी करके परेशान करती है, वो महिला आज नहीं तो कल निश्चित रूप से शनि देव जी के क्रोध का शिकार होकर विभिन्न प्रकार के शारीरिक व मानसिक तकलीफों को झेलेगी !
वैदिक धर्म में स्त्री के लिए ससुराल में, ससुर जी को उसके सगे पिता के समान ही पूज्यनीय बताया गया है इसलिए ससुर जी की बेकद्री करने पर भी शनिदेव क्रोधित हो जाते हैं (सासू माँ भी सगी माँ के समान पूज्यनीय होती है इसलिए सासू माँ को अकारण दुखी करने वाली बहू को चन्द्रमा ग्रह किस तरह परेशान करते है जानने के लिए कृपया इस आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें- अपनी माँ को दुखी करने वाले को, क्यों चन्द्रमा कभी सुखी नहीं रहने देते हैं) !
जिन सज्जनों के माता – पिता अब जीवित ना हो, उन्हें माता – पिता का बेशकीमती आशीर्वाद पाने के लिए रोज सुबह उठते ही अपने माता – पिता का मानसिक ध्यान करके चरण स्पर्श करना चाहिए !
निष्कर्ष तौर पर केवल यह याद रखने की जरूरत है कि शनि देव उन इंसानो को बिल्कुल नहीं बख्शते हैं जो अपनी हरकतों से अपने पिता या पिता के समान रक्षा, सहयोग व देखभाल करने वाले आदरणीय सज्जनों को कष्ट पहुँचातें हैं ! इसलिए अब तक जो भी गलतियां हो चुंकी हैं, उन्हें तो कोई मानव चाहकर भी नहीं बदल सकता है, लेकिन अब से भी अगर कोई मानव अपने बद्तमीज स्वभाव को बदलकर, एक विनम्र व्यक्ति बनने का प्रयास करे तो निश्चित रूप से शनि देव उससे बहुत खुश हो जाएंगे क्योकि जहाँ एक तरफ शनि देव को दबंग स्वभाव से सख्त नफरत है, वहीँ उन्हें दबंग का ठीक उल्टा स्वभाव यानी विनम्र स्वभाव बहुत ही ज्यादा पसंद है और इसी वजह से शनिदेव ने, सेवा व विनम्रता की मूर्ती हनुमान जी को वरदान दिया था कि जो भी इंसान आपका जितना बड़ा भक्त होगा, वो उतना ही ज्यादा मेरी भी कृपा प्राप्त करके संसार में उन्नति करेगा !
आम तौर पर लोग हनुमान जी की चालीसा, मंत्र आदि को पढ़ना ही हनुमान जी की भक्ति समझते हैं पर ये अधूरा ज्ञान है क्योकि इस दुनिया में “मुंह में राम बगल में छूरी” वाले भेड़ की खाल में कई भेड़िए मिल जाएंगे इसलिए हनुमान जी की असली भक्ति तब मानी जाती है, जब हनुमान जी की पूजा करने के साथ – साथ हनुमान जी के सबसे मुख्य गुण यानी अतिशय विनम्रता, सबसे प्रेम से बात करना, जब तक बहुत जरूरी न हो गुस्सा ना करना, हमेशा सच बोलना, कभी किसी की झूठी बुराई – चुगली आदि ना करना, अपने शरीर रुपी मंदिर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम करना (पूरे शरीर को बेहद मजबूत बनाने वाली हनुमान दंडबैठक को करने का तरीका, जिसे महिलाये भी आसानी से कर सकती है, को जानने के लिए कृपया इन 2 लिंक्स पर क्लिक करें- Hanuman Dand ; Hanuman Dand by Strong Girl) आदि को खुद अपनाया जाए !
इसलिए “जब आँख खुले तभी सवेरा” यानी कम से कम अब से तो उन सभी कामो से दूरी बना लेनी चाहिए जिनसे शनि देव नाराज होते हैं, और उन सभी कामो को अपना लेना चाहिए जिनसे शनि देव खुश होते हैं, ये याद रखते हुए कि, “जिसे शनि मारें, उसे पिता ही उबारे” ! और इस तरह हम लोग ये भी समझ सकते हैं कि आखिर क्यों दुनिया के सबसे बड़े साइंटिस्ट्स यानी ऋषियों – मुनियों ने हमारे वैदिक धर्म में बार – बार “संयुक्त परिवार” (Joint Family) के महत्व का वर्णन किया था, क्योकि केवल संयुक्त परिवार में प्रेमपूर्वक रहने मात्र से अकाट्य प्रारब्धों को छोड़कर, बाकी सभी ग्रह जनित कष्टों में अपने आप आराम मिलने लगता है (अधिक जानकारी के लिए कृपया इस पूर्व प्रकाशित आर्टिकल को पढ़ें- अपार सफलता पाईये दिनचर्या के इन आसान कामों से सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को समाप्त करके) !
ऐसा नहीं है कि संयुक्त व मजबूत परिवार का महत्व अब भी सिर्फ भारतीयों को ही पता है क्योकि अब तो विदेशी लोग भी इसके फायदों को ज्यादा गहराई से समझने लगे हैं इसलिए “संयुक्त राष्ट्र संघ” पिछले लगभग 30 वर्षों से, हर 15 मई को पूरे विश्व में परिवार दिवस के रूप में मनाता है ! इसी वजह से अब मीडिया भी खुलकर संयुक्त परिवार के फायदों के बारे में आम जनता को बता रही है, जैसे अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित न्यूज़ के लिंक्स पर क्लिक करें-
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