फ्रांस सरकार व संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आगामी उच्चस्तरीय सभा के एक्शन पैनल में मदद की “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने
आप सभी आदरणीय पाठकों को प्रणाम,
आश्चर्य की बात है कि आज भी बहुत से लोग एकदम अनजान है इस भयंकर खतरे के बारे में कि हमारी दुनिया के कई बड़े शहर (जिन्हे विश्व के आर्थिक राजधानी माना जाता है) लगातार धीरे – धीरे डूब रहें है क्योकि अधिकाँश महासागरों में जल स्तर बढ़ता जा रहा है !
दुनिया में सब कुछ कितना उल्टा-पुल्टा हो रहा है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ लगभग हर शहर की जमीन के अंदर मौजूद पीने लायक पानी (यानी भूगर्भ जल) का स्तर, हर वर्ष कम होता जा रहा है, वही दूसरी तरफ लगभग हर समुद्र का जल स्तर बढ़ता जा रहा है (भूगर्भ जल कम क्यों हो रहा है और इससे निजात पाने का क्या उपाय है जानने के लिए कृपया हमारे इस पूर्व प्रकाशित आर्टिकल को पढ़ें- इससे पहले कि पानी की घनघोर किल्लत से आपको घर – शहर छोड़ना पड़ जाए, तुरंत लागू करवाईये इन 3 उपायों को अपने घर, कॉलोनी/मोहल्ले, शहर में) !
1880 के बाद से वैश्विक औसत समुद्र स्तर में लगभग 8 – 9 इंच (21 – 24 सेंटीमीटर) की वृद्धि हुई है ! बढ़ते जल स्तर का मुख्य कारण, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों से पिघला पानी, गर्म होने के कारण समुद्री जल का थर्मल एक्सपेंशन करता है ! जब बर्फ पिघलती है या टूटती है, तो पानी महासागरों में बह जाता है और समुद्र का जलस्तर बढ़ जाता है ! यदि सभी ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघल जाएं, तो अनुमानतः वैश्विक समुद्र का स्तर लगभग 195 फीट (60 मीटर) से अधिक बढ़ सकता है !
2023 में वैश्विक औसत समुद्र स्तर 1993 के स्तर से 101.4 मिलीमीटर (3.99 इंच) ऊपर था ! कुछ महासागर बेसिनों में, उपग्रह रिकॉर्ड की शुरुआत से लेकर अब तक, समुद्र का स्तर 6 – 8 इंच (15 – 20 सेंटीमीटर) तक बढ़ गया है ! 2006 – 2015 के बीच, समुद्र में वैश्विक औसत जलस्तर प्रति वर्ष 0.14 इंच (3.6 मिलीमीटर) बढ़ा, जो बीसवीं सदी के अधिकांश समय में प्रति वर्ष 0.06 इंच (1.4 मिलीमीटर) की औसत दर से 2.5 गुना अधिक था !
सदी के अंत तक, वैश्विक औसत समुद्र स्तर 2000 के स्तर से कम से कम एक फुट (0.3 मीटर) ऊपर उठने की संभावना है, भले ही आने वाले दशकों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम हो ! इन्ही सब भयावह आंकड़ों की वजह से, देखिये मीडिया भी कैसे बारम्बार आम नागरिकों को सचेत करने की कोशिश कर रहा है-
• डूब रहा अमेरिका ! 2050 तक न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को समेत 32 शहरों को खतरा, नई स्टडी ने डराया
• सावधान ! बढ़ रहा है समुद्र का जलस्तर, डूब जाएंगे मुंबई – लन्दन समेत दुनिया के अनेक नगर
• तेजी से डूब रहा है चीन, पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा समुद्री जलस्तर
• मुंबई, कोलकाता, सूरत और कितने शहरों को डूबता देखेगी ये जनरेशन?
• एशिया के बड़े शहरों को है महासागरों के जलस्तर बढ़ने से सबसे बड़ा खतरा
वास्तव में जो महासागर हमारे इतने बड़े मित्र हैं कि हमारी जरूरत का लगभग 50 प्रतिशत ऑक्सीजन हमें देते हैं, वही महासागर लगातार अपनी सीमा लांघते हुए अब हमारे लिए काल बन सकते हैं और इसका एक मात्र कारण मानव जगत खुद हैं क्योकि पिछले कई दशकों से मानवों ने पूरे पारिस्थितिक तंत्र को अंधाधुंध नुकसान पहुंचाया है !
समुद्र जलस्तर की वृद्धि की गंभीरता को दर्शाने के लिए ही कुछ वर्ष पहले, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव महामहिम एंटोनिओ गुटेरेस जी ने समुद्र में आंशिक रूप से डूबकर अपनी फोटो खिचवाई थी (जिसे सुप्रसिद्ध मैग्जीन टाइम ने प्रकाशित किया था) यह सन्देश, समाज को देने के लिए कि समुद्र हमारे प्लेनेट को धीरे – धीरे डूबाते जा रहें है !
इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ इस वैश्विक समस्या से निजात पाने के लिए कुछ विशेष प्रयास कर रहा है, जिसमें से एक है- आगामी 2025 में, 9 जून से लेकर 13 जून तक, संयुक्त राष्ट्र संघ का आर्थिक व सामजिक विभाग, फ्रांस सरकार की मदद से, फ़्रांस देश में, सामुद्रिक सरंक्षण के सम्बन्ध में एक उच्च स्तरीय सभा का आयोजन करने जा रहा है, जिसके बारे में विस्तृत जानने के लिए, कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- 2025 UN Ocean Conference
(इस अवसर हम आदरणीय पाठकों को याद दिलाना चाहेंगे कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह, इससे पहले भी फ्रांस सरकार व संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग से चलने वाले उपक्रम में पार्टनरशिप की जिम्मेदारी निभा चुका है, जिसके बारे में जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- आइये जुड़िये फ्रांस सरकार, संयुक्त राष्ट्र संघ व “स्वयं बनें गोपाल” समूह आदि द्वारा संचालित इंटरनेशनल चिल्ड्रेन फिल्म फेस्टिवल से) !
अतः आगामी उच्च स्तरीय सभा के बेहद महत्वपूर्ण उद्देश्यों को सफल बनाने के लिए, विश्व के 90 देशों के 420 स्टेकहोल्डर्स संस्थाओं ने मदद की है इसके एक्शन पैनल की ! इन स्टेकहोल्डर्स संस्थाओं की मदद से जो रिपोर्ट तैयार हुई है उसको देखने के लिए, कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- Global Online Stakeholder Consultation !
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस बार, आम जनमानस की सुविधा के लिए अपने स्टेकहोल्डर्स संस्थाओं का विवरण गूगल स्प्रेडशीट में पब्लिश किया है ताकि अधिक से अधिक लोग आसानी से इन स्टेकहोल्डर्स द्वारा प्रदत्त जानकारियों के संक्षिप्त विवरण को पढ़कर जागरूक बन सके ! अतः इन स्टेकहोल्डर्स की लिस्ट में “स्वयं बनें गोपाल” समूह का विवरण देखने के लिए, कृपया उपर्युक्त रिपोर्ट के अंदर ही दिए गए इस लिंक पर क्लिक करें- Stakeholder Responses – Ocean Action Panel 4
इन स्टेकहोल्डर्स संस्थाओं में “स्वयं बनें गोपाल” समूह के अलावा जिन अन्य संस्थाओं ने मदद की हैं उन सभी का विवरण देखने के लिए, उपर्युक्त रिपोर्ट के अंदर ही दिए गए इस लिंक पर क्लिक किया जा सकता है- 2025 Ocean Action Panel Stakeholder Responses , या उनमें से कुछ संस्थाओं के नाम निम्नलिखित लिस्ट में भी देखा जा सकता है-
• ओ. इ. सी. डी. (OECD ; https://www.oecd.org/en/countries/france.html)
• यू. एन. माइग्रेशन – आई. ओ. एम्. (UN Migration – IOM ; https://eca.iom.int/switzerland )
• सऊदी ग्रीन बिल्डिंग फोरम (SAUDI GREEN BUILDING FORUM, https://www.sgbf.sa/)
• डब्ल्यू डब्ल्यू ऍफ़ इंटरनेशनल (WWF International, Sweden ; https://www.wwf.se/english/wwf-in-sweden/)
• इंडियन ओशन कमीशन (Indian Ocean Commission ; https://www.commissionoceanindien.org/en/)
• ग्लोबल ओशन फ़ोरम (Global Ocean Forum ; https://globaloceanforum.com/)
• इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ यूनिवर्सिटीज (International Association of Universities ; https://www.iau-aiu.net/?lang=en)
• स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी (Stockholm University – Baltic Sea Centre ; https://www.su.se/english/)
• द नार्वेजियन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स (The Norwegian Confederation of Trade Unions ; https://www.sporthumanrights.org/about-us/who-we-are/norwegian-confederation-of-trade-unions-lo)
• इंटरनेशनल ओशन इंस्टिट्यूट (International Ocean Institute ; https://www.ioinst.org/)
• वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी (Wildlife Conservation Society ; https://www.wcs.org/)
• यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग (University of Edinburgh ; https://www.ed.ac.uk/)
• वाइल्डलाइफ जस्टिस कमीशन (Wildlife Justice Commission ; https://wildlifejustice.org/)
• यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया – ओशन्स इंस्टिट्यूट (University of Western Australia- Oceans Institute ; https://www.uwa.edu.au/oceans-institute)
• शार्क प्रोजेक्ट इंटरनेशनल (Shark Project International ; https://www.sharkproject.org/en/sharkproject/switzerland/ )
• यूनेस्को चेयर ओशन एक्सपर्ट (UNESCO Chair Ocean Expert ; https://oceandecade.org/actions/unesco-chair-oceanexpert/ )
इसी परिप्रेक्ष्य में हम सभी आदरणीय पाठकों को याद दिलाना चाहेंगे कि, हमने अपने पूर्व के इस आर्टिकल- दुनिया के नंबर वन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट “एम. आई. टी.” (MIT USA) ने अपने उपक्रम के लिए “स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था का रिव्यूअर (परीक्षक)” नियुक्त किया हमारे 2 स्वयं सेवकों को, में बताया था कि स्वयं बनें गोपाल” समूह के मुख्य सरंक्षक व मूर्धन्य अर्थशास्त्री डॉक्टर किसलय उपाध्याय जी (Doctor Kislaya Upadhyay) को “हार्वर्ड बिजनेस स्कूल” के एक नए अत्याधुनिक रिसर्च वर्क से भी रिव्यूअर (परीक्षक) की तरह जुड़ने का आमंत्रण मिला है !
{जिन आदरणीय पाठकों को नहीं पता, उन्हें बताना चाहेंगे कि “हार्वर्ड बिजनेस स्कूल” (https://www.hbs.edu/) को पूरी दुनिया में “बिजनेस व मैनेजमेंट” के क्षेत्र में नंबर वन इंस्टिट्यूट माना जाता है और यह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ही संचालित है (Harvard Business School) ! हार्वर्ड के अल्ट्रा मॉडर्न रिसर्च वर्क व एजुकेशन सिस्टम से शिक्षा ग्रहण करने वालो में विश्व की कई सर्वोच्च प्रसिद्ध हस्तियां हैं, जैसे- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश, ब्लूमबर्ग के संस्थापक माइकल ब्लूमबर्ग, टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा आदि}
अतः हार्वर्ड का वो रिसर्च वर्क 21 जून 2024 को सम्पन्न हुआ था जिसमें कई इन्नोवेटिव साइंटिफिक प्रोजेक्ट्स (नई तकनीकी खोजों) की जांच पहले “ए. आई.” (A. I.; आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा करवाई गयी थी, फिर उन्ही में से कुछ प्रोजेक्ट्स की जांच डॉक्टर किसलय जी समेत विश्व के कुछ चुनिन्दा हाई क्लास एक्सपर्ट रिव्यूअर (परीक्षक) द्वारा भी करवाई गयी थी !
हार्वर्ड के इस रिसर्च वर्क का संभावित उद्देश्य यही पता करना था कि क्या वर्तमान में “ए. आई.” भी ठीक उसी गहराई व सटीकता से किसी अत्याधुनिक आविष्कार की जांच कर सकता है, जिस तरह से डॉक्टर किसलय जैसे कोई ह्यूमन रिव्यूअर (मानव परीक्षक) कर सकते हैं, तथा अभी “ए. आई.” में क्या – क्या सुधार करना बाकी है ताकि भविष्य में “ए. आई.” भी किसी मानव परीक्षक की तरह कठिन से कठिन अविष्कारों की भी एकदम सही जांच कर सके, लेकिन मानव परीक्षक की तुलना में काफी कम समय में !
हार्वर्ड के इस “ए. आई.” रिसर्च वर्क की सम्पर्क सूत्र थी- जैकलीन लेन जी (जिनके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- Jacqueline Lane, ASSISTANT PROFESSOR – BUSINESS ADMINISTRATION, Harvard Business School) और इस रिसर्च वर्क में सहयोग किया था हार्वर्ड की लेबोरेटरी फॉर इन्नोवेशन साइंस ने (Laboratory for Innovation Science at Harvard – https://lish.harvard.edu/) !
{जिन आदरणीय पाठको को यह नहीं पता है कि “ए. आई.” क्या होता है, और किस तरह से “ए. आई.” हर छोटे से छोटा आसान काम (जैसे बच्चों के साथ खेलना आदि) के साथ – साथ हर बड़े से बड़ा कठिन काम (जैसे वैज्ञानिको की तरह कोई नई खोज करना आदि) करने में रोज पहले से ज्यादा सक्षम होता जा रहा है; यह जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह के मुख्य मार्गदर्शक व कंप्यूटर इंजिनीरिंग के हाई क्लास एक्सपर्ट डॉक्टर सौरभ उपाध्याय के द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- जानिये, कैसे अगले कुछ सालों में आम आदमी का जीवन भी पूरी तरह से बदल सकता है “ए. आई.” (A. I.; आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)}
जय हो परम आदरणीय गौ माता की !
वन्दे मातरम् !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह, “संयुक्त राष्ट्र संघ” के विभिन्न विश्वस्तरीय उपक्रमों से पार्टनर, मेंबर व स्टेकहोल्डर आदि के तौर पर भी जुड़ चुका है जिनके बारे में जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- वसुधैव कुटुंबकम्
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