Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

चंद शब्दों की आंधियों से …

लोग कहते हैं वक्त  बड़ा से बड़ा घाव भर देता है  लेकिन कुछ घाव ऐसे होते हैं  जो कभी नहीं भरते हैं  अपनों का स्नेह व सुरक्षा उस पर  एक झीना सा आवरण जरूर...

न हम कुछ कर सके, न तुम कुछ कर सके

मैंने तो जीवन में तुम्हें कुछ और ही सोच रखा था शायद बिल्कुल अलग विशेष समझ रखा था क्योकि तुम मेरे हर सुख दुःख में मेरी परछाई बन कर साथ चलते रहे इसलिए मेरे...

अधूरी कल्पना

{निम्नलिखित कवितायें मूर्धन्य लेखिका श्रीमती उषा त्रिपाठी जी द्वारा रचित हैं जिनकी कई पुस्तकें (जैसे- नागफनी, अँधा मोह, सिंदूरी बादल, सांध्य दीप, पिंजरे का पंक्षी, कल्पना आदि) प्रकाशित हो चुकीं हैं ! श्रीमती उषा...

एक कठोर अनुशासक ऐसा भी

हर अस्तित्व के गर्भ में एक कारण बीज स्वरुप होता है जो कार्य के संयोग से समय पर प्रस्फुटित होता है आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की भाग...

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एक माँ – पुत्र के विछोह की असीम पीड़ायुक्त संवाद

{नोट- पहली कविता “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए एक आदरणीय स्वयं सेवक द्वारा रचित है ! पहली कविता के अंत में प्रकाशित दूसरी कविता श्री देवयानी जी की है जिनकी हम पहले...

वो अपने

जो अपने कभी मेरे बहुत करीब थे आज वही मेरे बुरे वक्त के दर्पण में अपना वो वास्तविक अक्स छोड़ गए जो मेरी कल्पना से भी परे था ! आज जब मुझे उन अपनों...

मुझे शून्य में विलीन करती रही

मुझे शून्य में विलीन करती रही वर्षा की गिरती हुई बूंदों सी पतझड़ की झरती हुई कलियों सी माँ मै जाने कितनी बार तुम्हारी कोख से फिसलती रही ! माँ मै भी तुम्हारे आँगन...

कहानी – ठाकुर का कुआँ – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और...

माँ

माँ आज तुम मेरे पास नहीं हो फिर भी मै अकेला नहीं हू क्योकी जब भी कभी मै किसी अनदेखी अनछुई तपिश में घिरता हूँ तुम्हारी ममता की छाँव मुझे सहला जाती है और...

सिर्फ अपनी ख़ुशी की तलाश बर्बाद कर रही है अपने अंश की ख़ुशी

माँ की दूसरी शादी के दंश को झेलते हुए एक पुत्र की आत्म व्यथा – माँ मै तुम्हारे दाम्पत्य के टूटे हुए रिश्ते का वो कुम्हलाया हुआ पुष्प हूँ जिसकी हर पंखुड़ी अपने ही...

कहानी – विजया (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

कमल का सब रुपया उड़ चुका था-सब सम्पत्ति बिक चुकी थी। मित्रों ने खूब दलाली की, न्यास जहाँ रक्खा वहीं धोखा हुआ! जो उसके साथ मौज-मंगल में दिन बिताते थे, रातों का आनन्द लेते...

कहानी – बिंदा (लेखिका- महादेवी वर्मा)

भीत-सी आँखोंवाली उस दुर्बल, छोटी और अपने-आप ही सिमटी-सी बालिका पर दृष्टि डाल कर मैंने सामने बैठे सज्जन को, उनका भरा हुआ प्रवेशपत्र लौटाते हुए कहा – ‘आपने आयु ठीक नहीं भरी है। ठीक...

कहानी – एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना (लेखिका – अमृता प्रीतम)

पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी “पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री का मुख कैसा था कि मुझे लगा पालक के पत्तों की सारी कोमलता, टमाटरों...

कविताये (लेखिका – महादेवी वर्मा)

  जो तुम आ जाते एक बार कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों का तार तार अनुराग भरा उन्माद राग आँसू लेते वे पथ पखार जो तुम आ...

कहानी – स्वर्ग के खंडहर में (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

वन्य कुसुमों की झालरें सुख शीतल पवन से विकम्पित होकर चारों ओर झूल रही थीं। छोटे-छोटे झरनों की कुल्याएँ कतराती हुई बह रही थीं। लता-वितानों से ढँकी हुई प्राकृतिक गुफाएँ शिल्प-रचना-पूर्ण सुन्दर प्रकोष्ठ बनातीं,...

लेख – ईश्वरोन्मुख प्रेम – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

पहले कहा जा चुका है कि जायसी का झुकाव सूफी मत की ओर था जिसमें जीवात्मा और परमात्मा में पारमार्थिक भेद न माना जाने पर भी साधकों के व्यवहार में ईश्वर की भावना प्रियतम...