Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

संस्मरण – जेल-जीवन की झलक (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

जेल जाने के पहले जेल के संबंध में हृदय में नाना प्रकार के विचार काम करते थे। जेल में क्‍या बीतती है, यह जानने के लिए बड़ी उत्‍सुकता थी। कई मित्रों से, जो इस...

कहानी – चित्रवाले पत्थर (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

मैं ‘संगमहाल’ का कर्मचारी था। उन दिनों मुझे विन्ध्य शैल-माला के एक उजाड़ स्थान में सरकारी काम से जाना पड़ा। भयानक वन-खण्ड के बीच, पहाड़ी से हटकर एक छोटी-सी डाक बँगलिया थी। मैं उसी...

व्यंग – भारत को चाहिए जादूगर और साधु (लेखक – हरिशंकर परसाई)

हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा – बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग...

लेख – “स्त्री दान ही नहीं, आदान भी” (लेखिका – महादेवी वर्मा)

संपन्न और मध्यम वर्ग की स्त्रियों की विवशता, उनके पतिहीन जीवन की दुर्वहता समाज के निकट चिरपरिचित हो चुकी है। वे शून्य के समान पुरुष की इकाई के साथ सब कुछ हैं, परंतु उससे...

लेख – दुर्गादास – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जोधपुर के महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आशकरण नाम के एक राजपूत सेनापति थे, बड़े सच्चे, वीर, शीलवान् और परमार्थी। उनकी बहादुरी की इतनी धाक थी, कि दुश्मन उनके नाम से कांपते थे। दोनों...

कहानी – लिली – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

पद्मा के चन्द्र-मुख पर षोडश कला की शुभ्र चन्द्रिका अम्लान खिल रही है। एकान्त कुंज की कली-सी प्रणय के वासन्ती मलयस्पर्श से हिल उठती,विकास के लिए व्याकुल हो रही है। पद्मा की प्रतिभा की...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 16 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद के पाँव में तो आँधी रोग था। इधर-उधर चक्कर लगाए, रास्ता नापा और पड़ कर सो रहे। एक दिन साँड़नी की खबर लेने के लिए सराय की तरफ गए, तो देखा, बड़ी...

लेख – राष्ट्र का सेवक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

राष्ट्र के सेवक ने कहा – देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं,...

कविता – अखरावट – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

दोहा गगन हुता नहिं महि हुती, हुते चंद नहिं सूर।   ऐसइ अंधाकूप महँ रचा मुहम्मद नूर॥   सोरठा   साईं केरा नाँव, हिया पूर, काया भरी।   मुहमद रहा न ठाँव, दूसर कोइ...

कहानी – हार की जीत – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

केशव से मेरी पुरानी लाग-डाँट थी। लेख और वाणी, हास्य और विनोद सभी क्षेत्रों में मुझसे कोसों आगे था। उसके गुणों की चंद्र-ज्योति में मेरे दीपक का प्रकाश कभी प्रस्फुटित न हुआ। एक बार...

कविता – मंडपगमन खंड, पदमावती-वियोग-खंड, सुआ-भेंट-खंड, बसंत खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

राजा बाउर बिरह बियोगी । चेला सहस तीस सँग जोगी॥ पदमावति के दरसन आसा । दँडवत कीन्ह मँडप चहुँ पासा॥   पुरुष बार होइ कै सिर नावा । नावत सीस देव पहँ आवा॥  ...

कहानी – दफ्तरी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

रफाकत हुसेन मेरे दफ्तर का दफ्तरी था। 10 रु. मासिक वेतन पाता था। दो-तीन रुपये बाहर के फुटकर काम से मिल जाते थे। यही उसकी जीविका थी, पर वह अपनी दशा पर संतुष्ट था।...

कविता – बोहित खंड, सात समुद्र खंड, सिंहलद्वीप खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सो न डोल देखा गजपती । राजा सत्ता दत्ता दुहँ सती॥ अपनेहि कथा, आपनेहि कंथा । जीउ दीन्ह अगुमन तेहि पंथा॥   निहचै चला भरम जिउ खोई । साहस जहाँ सिध्दि तहँ होई॥  ...

कहानी – मानसरोवर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुझे देवीपुर गये पाँच दिन हो चुके थे, पर ऐसा एक दिन भी न होगा कि बौड़म की चर्चा न हुई हो। मेरे पास सुबह से शाम तक गाँव के लोग बैठे रहते थे।...

कविता – राजा रत्नसेन सती खंड,पार्वती-महेश खंड,राजा-गढ़-छेंका खंड, – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

कै बसंत पदमावति गई । राजहि तब बसंत सुधिा भई॥ जो जागा न बसंत न बारी । ना वह खेल, न खेलनहारी॥   ना वह ओहि कर रूप सुहाई । गै हेराइ, पुनि दिस्टि...

कहानी – पूर्व संस्कार- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सज्जनों के हिस्से में भौतिक उन्नति कभी भूल कर ही आती है। रामटहल विलासी, दुर्व्यसनी, चरित्राहीन आदमी थे, पर सांसारिक व्यवहारों में चतुर, सूद-ब्याज के मामले में दक्ष और मुकदमे-अदालत में कुशल थे। उनका...