क्या योग की सफलता, पर्यावरण की सफलता पर निर्भर करती है
सर्वप्रथम सभी आदरणीय पाठकों को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” (International Yoga Day) की हार्दिक शुभकामनाएं !
आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर, सभी लोग बातें कर रहें हैं योग, आसन, प्राणायाम आदि की, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या हमें इन यौगिक क्रियाओं से पर्याप्त फायदा मिल पायेगा अगर हमारा खाना, पानी, हवा आदि रोज पहले से ज्यादा जहरीला होता जा रहा हो तो ?
मतलब एक तरफ रोज योग करके हम अपने शरीर को स्वस्थ बनाने की कोशिश कर रहें हैं, वही दूसरी तरफ हम रोज विभिन्न माध्यम से जहरीले केमिकल्स को अपने शरीर के अंदर डालकर, शरीर को कमजोर भी करते जा रहें हैं !
हवा में पेट्रोल – डीज़ल आदि का जहरीला धुआं, खाने में रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक का जहर, और पानी में सीवर – फैक्ट्रीज से निकलने वाले जहरीले केमिकल्स की मिलावट, क्या हमें अंदर ही अंदर खोखला – कमजोर करके कैंसर, डायबिटिज, हार्ट प्रॉब्लम्स आदि जैसी अनगिनत बीमारियां पैदा होने में मदद नहीं कर रही है !
अरे अगर सिर्फ हवा – भोजन – पानी साफ़ हो तो इंसान बिना कोई योग किये हुए भी 100 साल तक स्वस्थ जी सकता है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं कश्मीर (POK) के “हुंजा वैली” में रहने वाले लोग, जो इतने ज्यादा स्वस्थ हैं कि आम तौर पर वहां के लोग 120 साल तक जीते हैं, साथ ही वहां की महिलाएं 65 वर्ष तक की आयु में भी माँ और पुरुष 90 साल की आयु में भी पिता बन सकते हैं (अधिक जानकारी के लिए, कृपया यह आर्टिकल पढ़ें- मिस्टीरियस “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” के आश्चर्यजनक फायदे इन आसान तरीकों से भी मिल सकते हैं) !
इसलिए योग दिवस को तभी सफल व सार्थक माना जाएगा, जब इस योग दिवस पर हम सभी राष्ट्रभक्त निम्नलिखित 2 शपथ लेंगे-
(1) यथासम्भव हर तरह के केमिकल्स का बहिष्कार करेंगे ……….. (केमिकल्स फ्री खेती करके भी, कैसे खूब प्रॉफिट कमाया जा सकता है, जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा प्रकाशित यह आर्टिकल पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस पर, जानिये स्वयं व समाज को भी जबरदस्त लाभान्वित कर सकने वाली आसान थ्योरी “चार बिना हार” को) !
(2) हमारे खाना – पीना – हवा आदि के जहर का मुफ्त में शोधन करने वाले, यानी सबसे बड़े नेचुरल फिल्टर्स पेड़ – पौधों को अधिक से अधिक लगाएंगे ……….. (वर्तमान विकट परिस्थिति में जब समाज विभिन्न बीमारियों की मार से बेहाल हैं, तो ऐसे में पेड़ – पौधों की प्रचंड महिमा को ही शायद ध्यान में रखते हुए, हमारे बेहद दूरदर्शी प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्व पर्यावरण दिवस से यह अत्यंत महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया था कि “एक पेड़, मां के नाम” जिसका हम सभी राष्ट्रभक्त लोगों को हमेशा सहयोग व समर्थन करते रहना चाहिए !
अब ऊपर लिखी हुई शपथ को पूरा करने में कुछ व्यवहारिक समस्याएं आती हैं, जिनका बेहद आसान समाधान भी हम यहाँ प्रस्तुत कर रहें हैं-
जैसे मान लीजिये की, खाने के लिए हमे आर्गेनिक खेती से पैदा हुआ अनाज – सब्जियां – फल आदि मिल जातें है और पीने के लिए हमें किसी साफ पानी के स्रोत या किसी अच्छी क्वालिटी के वॉटर फ़िल्टर/आर. ओ. आदि से पानी भी मिल जाता है, लेकिन कपड़े धोने – बर्तन माजने – नहाने – बाल धोने आदि जैसी जरूरतों के लिए आखिरकार हम ऐसी कौन सी चीज इस्तेमाल करें जिसमें बिल्कुल भी केमिकल ना हो और उससे सफाई भी ठीक से हो सके ?
इस प्रश्न के उत्तर के बारे में बात करते समय, यहाँ एक और प्रश्न पैदा होता है कि आखिर आज से 100 साल पहले, जब केमिकल युक्त नहाने – धोने वाले साबुन नहीं होते थे, तब लोग सफाई के लिए क्या इस्तेमाल करते थें ?
वैसे देखा जाए तो प्राचीन काल से लोग, बर्तन माजने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते थे देशी गाय माँ के गोबर की राख का, जिससे बर्तन तो बहुत अच्छा साफ़ होता ही है और साथ ही राख से बर्तन धोने के बाद निकलने वाला पानी, बेहतरीन खाद का भी काम करता है क्योकि गोबर की राख में सभी तरह के पौधों/फसलों के लिए अति आवश्यक ये पोषक तत्व पाए जातें हैं- कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, नाइट्रोजन, जिंक, लोहा, अन्य ट्रेस तत्व (बोरॉन, मोलिब्डेनम, लोहा, जस्ता, मैंगनीज, मैग्नीशियम) आदि (अगर गोबर की राख ना मिल सके तो लकड़ी या कोयले की राख से भी बहुत अच्छी सफाई होती है, साथ ही लकड़ी/कोयले की राख भी बढियाँ खाद होती है) !
राख के अलावा, साफ़ – सुथरी (केमिकल फ्री) मिटटी का भी उपयोग किया जाता था बर्तन धोने में ! मिट्टी के गुण गिनना असंभव है क्योकि यह शरीर मिट्टी से ही बना है और अंत में मिट्टी में ही मिल जाता है इसलिए शरीर, मिट्टी से जितना ज्यादा सम्पर्क में रहेगा, उतना ही ज्यादा स्वस्थ रहेगा ! देखिये इन 5 वीडियोज़ में कि कैसे आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक धनी लोगों में फिर से प्रचलन शुरू हो गया है अपने लिए मिट्टी का घर बनवाने का-
How this couple built their dream mud house in Bengaluru
This Mud House Redefines Luxury!
This Natural Mud House Feels Like Paradise!
वैसे वर्तमान में सभी तरह की सफाई के लिए सर्वोत्तम विकल्प है “रीठा” ! जी हाँ, हम उसी “रीठा” नाम की जड़ीबूटी की बात कर रहें हैं जिसे कई आयुर्वेदिक शैम्पू में मिलाया जाता है क्योकि इसे पानी में मिलाकर, हिलाने से प्राकृतिक झाग पैदा होता है इसलिए विदेशी लोग इसे नेचुरल सोप व सोप नट भी बोलते हैं !
रीठा के चूर्ण को शैम्पू की तरह इस्तेमाल करने से बालों की बहुत अच्छी सफाई होती है, साथ ही बाल घने – स्वस्थ भी होते हैं ! रीठा के चूर्ण को साबुन की तरह रगड़कर नहाने से शरीर की सारी मैल धुलकर निकल जाती है और त्वचा की चमक भी बढ़ती है !

रीठा और रीठा का चूर्ण
अब ये जानिये की रीठा के चूर्ण को ही पानी में घोलकर, बर्तन और कपड़ों को धोने से भी बहुत अच्छी सफाई होती है ! जी हाँ, फिर से ध्यान से सुनिए कि रीठा के चूर्ण को पानी में घोलकर, चाहे वाशिंग मशीन (या डिशवॉशर) में इस्तेमाल करें या हाथों से धोएं, तब भी कपड़े व बर्तन एकदम नए जैसे चमक उठेंगे !
और सबसे बड़ी बात यह है कि बर्तन – कपड़े धोने वाले जो केमिकल्स से बने हुए वाशिंग पाउडर/बार/लिक्विड जेल आदि मार्केट में बिकते हैं, उनके साइड इफेक्ट्स होतें हैं, इसलिए बर्तन या कपड़ों को चाहे कितना भी अच्छे से धोया जाए तब भी थोड़ी सी केमिकल की मात्रा बर्तन व कपड़ों पर लगी ही रहती है जो रोज भोजन या पसीने के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचकर नुकसान कर सकती है, जबकि रीठा एक प्राकृतिक औषधि है इसलिए इसकी थोड़ी सी मात्रा शरीर के अंदर जाने पर भी कोई साइड इफ़ेक्ट होते हुए नहीं देखा गया है ! रीठा के इन जबरदस्त लाभों को वीडियो के माध्यम से ठीक से समझने के लिए, कृपया निम्नलिखित 4 वीडियोज़ को देखें-
Reetha: Laundry soap, Amazing for cleaning utensils.
Home Remedy for treating Dandruff
शरीर के नहाने के लिए और भी कई अच्छे विकल्प होतें हैं, जैसे- बेसन, मुल्तानी मिट्टी, दूध, दही, आंवला, शिकाकाई आदि ! इन प्राकृतिक उपायों से नहाना – धोना करने से, सबसे बड़ा फायदा ये मिलता है कि हर दिन हम लोग जो सैकड़ों लीटर पानी किचन या बाथरूम के माध्यम से सीवर में व्यर्थ बहा देते हैं, उसी बेशकीमती जल का हम लोग तुरंत उपयोग कर सकतें हैं गार्डन में लिक्विड खाद के रूप में, जिससे भूगर्भ जल का स्तर भी बढ़ता है (जमीन के अंदर पानी कितना तेजी से कम होता जा रहा है और इसका समाधान क्या है, जानने के लिए कृपया हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें- इससे पहले कि पानी की घनघोर किल्लत से आपको घर – शहर छोड़ना पड़ जाए, तुरंत लागू करवाईये इन 3 उपायों को अपने घर, कॉलोनी/मोहल्ले, शहर में) !
निष्कर्ष यही है कि बिना अच्छे पर्यावरण के, योग में भी सफलता मिलना कठिन होता है, और इसी सच्चाई को जानकार, योग द्वारा चरम सफलता यानी मोक्ष की इच्छा रखने वाले योगी लोग भी पहाड़ों या जंगलों के साफ़ – सुथरे पर्यावरण में जाकर ही योग साधना करते हैं !
लेकिन पहाड़ों या जंगलों में जाकर रहना, सभी आम संसारी लोगों के लिए सम्भव नहीं है, लेकिन यह जरूर सम्भव है कि हम आम जनमानस लोग जंगलों को ही अपने पास लेते आएं यानी हम अपने आस – पास इतने ज्यादा पेड़ – पौधे – फल – फूल लगा दें कि जंगलों वाला शुद्ध पर्यावरण, हमें अपने घर पर ही मिल जाए !
अन्ततः “स्वयं बनें गोपाल” समूह की तरफ से, फिर से आप सभी आदरणीय पाठको को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएं (योग – प्राणायाम से संबंधित विभिन्न उपयोगी जानकारियां जानने के लिए, आप कृपया निम्नलिखित 2 लिंक्स पर क्लिक कर सकतें हैं)-
वैज्ञानिकों के लिए भी अबूझ पहेली योग, आसन व क्रियाओं के रहस्यमय लाभ
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