स्वयं बने गोपाल

लेख – ‘अभ्युदय’ पर विपत्ति (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

‘अभ्‍युदय’ के जीवन-मरण का प्रश्‍न हिंदी संसार इस समाचार को सुनकर चकित और खिन्‍न होगा कि उसके प्रतिष्ठित और उपयोगी पत्र ‘अभ्‍युदय’ पर इन प्रांतों की सरकार की भस्‍म कर देने वाली तीखी दृष्टि...

कहानी – अष्टावक्र का विवाह (लेखक – रांगेय राघव)

एक बार महर्षि, अष्टावक्र महर्षि वदान्य की कन्या के रूप पर मोहित हो गये। उन्होंने उसके पिता के पास जाकर उस कन्या के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि वदान्य ने...

कहानी – स्वर्ण-सूर्य (लेखक – अज्ञात)

पुरातन मिस्र के राजा रेमसेज पाँचवें के समय की मिली हुई पाण्डुलिपियों में यह कथा भी मिली थी। इसका काल 1150 ई. पू. है। बेबीलोन और इजरायली सभ्यताओं में अप्राकृतिक सम्बन्धों को प्रकृत माना...

कहानी – कैवर्तककुमार की कथा

राजगृह में मलयसिंह नाम के राजा राज्य करते थे। उनके मायावती नाम की अप्रतिम रूपवती एक कन्या थी। एक बार वह राजोद्यान में खेल रही थी तभी एक कैवर्तककुमार (मछुआरे के बेटे) की दृष्टि...

अधूरी कथा

उत्पलदेव ने कहा, मेरी बेटी का विवाह उज्जयिनी के राजकुमार से हो, इससे बढ़कर मेरे लिए प्रसन्नता की और क्या बात हो सकती है, पर मैंने भी बेटी के विवाह के विषय में एक...

कहानी – भाग्य का फेर

गुणाढ्य राजा सातवाहन का मन्त्री था। भाग्य का ऐसा फेर कि उसने संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं का प्रयोग न करने की प्रतिज्ञा कर ली थी और विरक्त होकर वह विन्ध्यवासिनी के दर्शन...

कहानी – श्रावस्ती कथा

गोमुख ने कहा, श्रावस्ती में शूरसेन नाम का एक राजपुत्र था। वह राजा का ग्रामभुक था। राजा के लिए उसके मन में बड़ी सेवा भावना थी। उसकी पत्नी सुषेणा उसके सर्वथा अनुरूप थी और...

कहानी – मृदंग की थाप

वररुचि के मुँह से बृहत्कथा सुनकर पिशाच योनि में विन्ध्य के बीहड़ में रहने वाला यक्ष काणभूति शाप से मुक्त हुआ और उसने वररुचि की प्रशंसा करते हुए कहा, आप तो शिव के अवतार...

कहानी – निस्सहाय विलाप

प्राचीन काल में एक क्रूर और पापात्मा बहेलिया रहता था। वह सदा पक्षियों को मारने के नीच कर्म में प्रवृत्त रहता था। उस दुरात्मा का रंग कौए के समान काला था और उसकी आकृति...

कहानी – घबराओ नहीं मित्र

किसी विशाल घने वन में एक विशाल बरगद का वृक्ष था। उसकी जड़ों में सौ मुँह वाला बिल बनाकर पालित नाम का एक चूहा रहता था। उसी वृक्ष की डाल पर लोमश नाम का...

लघु हास्य बाल कथा – क्या मै गलत हू !

एक बार कक्षा पांचवी में चार बालकों को परीक्षा मे समान अंक मिले, अब प्रश्न खडा हुआ कि किसे प्रथम रैंक दिया जाये । स्कूल प्रबन्धन ने तय किया कि प्राचार्य चारों से एक...

कहानी – दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी (आचार्य चतुरसेन शास्त्री)

गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनन्द की कलोलें करने, वह सलीमा...

कहानी – नामालूम सी एक खता (लेखक – आचार्य चतुरसेन शास्त्री)

गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फागुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के झंझटों से दूर रहकर नई दुल्हन के साथ प्रेम और आनंद की कलोल करने वे सलीमा को...

कहानी – फंदा (लेखक – आचार्य चतुरसेन शास्त्री)

सन् १९१७ का दिसम्बर था। भयानक सर्दी थी। दिल्ली के दरीबे-मुहल्ले की एक तंग गली में एक अँधेरे और गन्दे मकान में तीन प्राणी थे। कोठरी के एक कोने में एक स्त्री बैठी हुई...

कहानी – इंस्टालमेंट (लेखक – भगवतीचरण वर्मा)

चाय का प्याला मैंने होंठों से लगाया ही था कि मुझे मोटर का हार्न सुनाई पड़ा। बरामदे में निकल कर मैंने देखा, चौधरी विश्वम्भरसहाय अपनी नई शेवरले सिक्स पर बैठे हुए बड़ी निर्दयता से...

कहानी – दो बाँके (लेखक – भगवतीचरण वर्मा)

शायद ही कोई ऐसा अभागा हो जिसने लखनऊ का नाम न सुना हो; और युक्‍तप्रांत में ही नहीं, बल्कि सारे हिंदुस्‍तान में, और मैं तो यहाँ तक कहने को तैयार हूँ कि सारी दुनिया...