जिस समय मैंने कमरे में प्रवेश किया, आचार्य चूड़ामणि मिश्र आंखें बंद किए हुए लेटे थे और उनके मुख पर एक तरह की ऐंठन थी, जो मेरे लिए नितांत परिचित-सी थी, क्योंकि क्रोध और...
आज मानव का सुनहला प्रात है आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, सुखद सपनों से शिथिल यह गात है; मानिनी हँसकर हृदय को खोल...
संस्कृत से ग्रंथ को शुरू करने के लिए पाठकों को रोष नहीं होना चाहिए। आखिर हम शास्त्र लिखने जा रहे हैं, फिर शास्त्र की परिपाटी को तो मानना ही पड़ेगा। शास्त्रों में जिज्ञासा ऐसी...
दुनिया के सभी देशों और जातियों में जिस तरह घूमा जा सकता है, उसी तरह वन्य और घुमक्कड़ जातियों में नहीं घूमा जा सकता, इसीलिए यहाँ हमें ऐसे घुमक्कड़ों के लिए विशेष तौर से...
घुमक्कड़ की दुनिया में भय का नाम नहीं है, फिर मृत्यु की बात कहना यहाँ अप्रासंगिक-सा मालूम होगा। तो भी मृत्यु एक रहस्य है, घुमक्कड़ को उसके बारे में कुछ अधिक जानने की इच्छा...
दुनिया-भर के साधुओं-संन्यासियों ने ”गृहकारज नाना जंजाला” कह उसे तोड़कर बाहर आने की शिक्षा दी है। यदि घुमक्कड़ के लिए भी उसका तोड़ना आवश्यक है, तो यह न समझना चाहिए कि घुमक्कड़ का ध्येय...
घुमक्कड़-धर्म सार्वदैशिक विश्वव्यापी घर्म है। इस पंथ में किसी के आने की मनादी नहीं है, इसलिए यदि देश की तरुणियाँ भी घुमक्कड़ बनने की इच्छा रखें, तो यह खुशी की बात है। स्त्री होने...
मानव-मस्तिष्क में जितनी बौद्धिक क्षमतायें होती है, उनके बारे में कितने ही लोग समझते हैं कि ”ध्यानावस्थित तद्गत मन” से वह खुल जाती हैं। किंतु बात ऐसी नहीं है। मनुष्य के मन में जितनी...
यदि सारा भारत घर-बार छोड़कर घुमक्कड़ हो जाय, तो भी चिंता की बात नहीं है। लेकिन घुमकक्ड़ी एक सम्मानित नाम और पद है। उसमें, विशेषकर प्रथम श्रेणी के घुमक्कड़ों में सभी तरह के ऐरे-गैरे...
किसी-किसी पाठक को भ्रम हो सकता है, कि धर्म और आधुनिक घुमक्कड़ी में विरोध है। लेकिन धर्म से घुमक्कड़ी का विरोध कैसे हो सकता है, जबकि हम जानते हैं कि प्रथम श्रेणी के घुमक्कड़...
निरुद्देश्य का अर्थ है उद्देश्यरहित, अर्थात् बिना प्रयोजन का। प्रयोजन बिना तो कोई मंदबुद्धि भी काम नहीं करता। इसलिए कोई समझदार घुमक्कड़ यदि निरुद्देश्य ही बीहड़पथ को पकड़े तो यह विचित्र-सी बात है। निरुद्देश्य...
घुमक्कड़ी का अंकुर किसी देश, जाति या वर्ग में सीमित नहीं रहता। धनाढ्य कुल में भी घुमक्कड़ पैदा हो सकता है, लेकिन तभी जब कि उस देश का जातीय जीवन उन्मुख हो। पतनशील जाति...
घुमक्कड़ को दुनिया में विचरना है, उसे अपने जीवन को नदी के प्रवाह की तरह सतत प्रवाहित रखना है, इसीलिए उसे प्रवाह में बाधा डालने वाली बातों से सावधान रहना है। ऐसी बाधक बातों...
घुमक्कड़ असंग और निर्लेप रहता है, यद्यपि मानव के प्रति उसके हृदय में अपार स्नेह है। यही अपार स्नेह उसके हृदय में अनंत प्रकार की स्मृतियाँ एकत्रित कर देता है। वह कहीं किसी से...
घुमक्कड़ के स्वावलंबी होने के लिए उपसुक्त कुछ बातों को हम बतला चुके हैं। क्षौरकर्म, फोटोग्राफी या शारीरिक श्रम बहुत उपयोगी काम हैं, इसमें शक नहीं; लेकिन वह घुमक्कड़ की केवल शरीर-यात्रा में ही...
आज जिस प्रकार के घुमक्कड़ों की दुनिया को आवश्यकता है, उन्हें अपनी यात्रा केवल ”स्वांत: सुखाय” नहीं करनी है। उन्हें हरेक चीज इस दृष्टि से देखनी है, जिसमें कि घर बैठे रहनेवाले दूसरे लाखों...