सप्तमांक ( स्थान-देवी के मन्दिर का निकटवर्ती उद्यान) ( महारानी रुक्मिणी अपनी अनामा और अनाभिधाना प्रभृति सखियों के साथ राक्षसों की कोट में मत्तगजगति से मन्द-मन्द जा रही हैं ) अनामा- सखी अनाभिधाने! देख!...
षष्ठांक ( जनवासे का एक विस्तृत भवन) ( शिशुपाल , जरासन्ध , शाल्व , विदूरथ , रुक्म , दन्तवक्र प्रभृति अनेक सूरमे यथास्थान बैठे हैं) शि.- (भय से) मैंने सुना है, आज बहुत सी...
पंचमांक ( स्थान-राजभवन) ( महारानी रुक्मिणी शोकाकुल एक सिंहासन पर बैठी हैं और अनामा , अनाभिधाना पास खड़ी हैं) अनामा- राजकन्यके! आज विवाह का पहिला दिन है, नगर निवासियों का हृदय प्रफुल्ल शतदल समान...
चतुर्थांक ( स्थान-राजभवन। भगवान श्रीकृष्ण सिंहासन पर विराजमान) ( एक ब्राह्मण का प्रवेश) ब्रा.- (आप ही आप) मेरा मन द्वारिका के बाह्योपगत भवनों की छटा देखकर इतना चमत्कृत हुआ था, कि अपने को बिल्कुल...
तृतीयांक ( स्थान-गृहान्तर्गत एक पुष्पोद्यान) ( महारानी रुक्मिणी चिन्तान्वित सिंहासन पर एक कुंज में विराजमान अनामा और अनाभिधाना दो सखियों का प्रवेश) अनामा- सखी अनाभिधाने! वसन्तागम से इस उद्यान की कैसी शोभा है, रसाल...
द्वितीयांक ( स्थान-राजसभा) ( महाराज भीष्मक , रुक्म , रुक्मकेश , मंत्री और सभासद्गण यथास्थान बैठे हैं) भीष्मक- (चिन्ता से स्वगत) ईश्वर की रचना क्या ही अपूर्व है। वह एक ही जठर है, जिससे...
प्रथमांक (स्थान-राजद्वार के सन्मुख की भूमि) (महाराणी रुक्मिणी अटा पर विराजमान) (कुछ याचकों का प्रवेश) पहला याचक- अहा! यह नगर भी कैसा रमणीय है, विशेषत: स्वर्ग में कैलाश की भाँति, अथवा सत्यलोक में बैकुण्ठ...
प्रार्थना प्रिय सहृदय पाठकगण! नाटकरचना विषयक मेरा यह प्रथमोन्माद है। इस नाटक के प्रथम मैंने कोई दूसरा नाटक लिपिबद्ध नहीं किया है। नाटक क्या, वास्तव बात तो यह है कि एक ‘श्रीकृष्णशतक’ नामक लघु...
सा.- कुमार! क्या यह सुरराज निजप्रियपुत्र को प्रवर की रक्षा का निदेश दे रहे हैं? प्रद्यु.- हाँ हाँ! ज्ञात होता है कि जब तक निकुंभ ने प्रवर पर गदा का प्रहार किया, तभी तक...
पूजा-पाठ आजकल का एक ढंग यह भी है कि पहले तो हमारे मन की जितनी बातें नहीं हैं, उनको हम मानना नहीं चाहते, और यदि किसी कारण से हमको उन्हें मानना पड़ता है, तो...
तन्त्र यन्त्र मैं समझता हँ इस ग्रन्थ के पढ़नेवालों में कितने लोग ऐसे होंगे, जो तन्त्र का नाम पढ़ते ही मुँह बना लेंगे और ग्रन्थ को अपने हाथ से दूर फेंक दें, तो भी...
मृत्यु का भय मृत्यु क्या है? यह आप लोगों ने समझ लिया। जैसा हमें बतलाया गया है, उससे पाया जाता है कि मृत्यु कोई ऐसी वस्तु नहीं है, कि जिससे कोई डरे। यह सच...
मृत्यु का प्रभाव संसार में आज जो अमन दिखलाई पड़ रहा है, धुली हुई चाँदनी सी शान्ति जो चारों ओर छिटकी हुई है। जब आप यह जानेंगे कि इसमें सबसे अधिक श्रेय मृत्यु का...