जानिये दुनिया की सबसे ताकतवर, इलाज की पद्धतियों के कुछ अनछुए पहलुओं बारे में
वैसे तो पूरी दुनिया की हर सभ्यता में, कई प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों से संबंधित अनगिनत जानकारियां मिलती हैं, लेकिन बार – बार तजवीज़ करने के बाद भी हमेशा यही निष्कर्ष निकलता है कि भारतीय अथर्वेद के उपवेद यानी आयुर्वेद में लिखी हुई स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां ही सबसे पुरानी, भरोसेमंद, फायदेमंद व एकदम हानिरहित भी हैं (देखिये इस वीडियो में बताया जा रहा है कि अब अमेरिकन डॉक्टर्स भी आयुर्वेद में क्यों रुचि ले रहें हैं- Why Doctors in America are getting interested in India’s Ayurveda) !
वास्तव में “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने भी लगभग 20 वर्षों से ज्यादा समय, इसी दुर्लभ जानकारी को खोज निकालने में बिताया है कि दुनिया में ईलाज की कौन सी पद्धति ऐसी है जो सबसे ज्यादा ताकतवर है ! इस खोज के रिजल्ट्स में जो फाइंडिंग्स (नतीजे) हमें मिले है, वे बड़े विचित्र हैं ! अतः आईये जानते हैं उन्ही अनछुए पहलुओं के बारे में-
सबसे पहले बात करते हैं कि आज का आम जनमानस इसके बारे में क्या सोचता है ? आम तौर पर कई लोग सबसे ताकतवर इलाज पद्धति एलोपैथी (और इसी पर आधारित सर्जरी) को मानते हैं ! लेकिन अब वही दूसरी तरफ कई लोगों यह भी मानने लगे है कि एलोपैथी के तेज काम करने के बावजूद भी इसे इलाज के लिए सबसे अंतिम विकल्प मानना चाहिए (जब तक कि कोई आकस्मिक समस्या जैसे- हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, लकवा, कोई तेज दर्द आदि ना आ पड़ी हो) क्योकि लगभग हर एलोपैथी दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं (और कई बार ये साइड इफेक्ट्स खतरनाक भी हो सकते हैं) इसलिए योग्य चिकित्सक के परामर्श अनुसार, अगर कोई इमरजेंसी ना हो तो यथासम्भव सिर्फ नेचुरल तरीकों (जैसे योग, आयुर्वेद आदि) से ही बिमारी को ठीक करने की कोशिश करना अच्छा होता है !
अब अगर हम बात करें दुनिया की सबसे ताकतवर इलाज पद्धति की तो प्राप्त जानकारी अनुसार, “स्वर चिकित्सा” को ही सबसे ज्यादा प्रभावशाली पद्धति माना जा सकता है ! यहाँ पर “स्वर” का मतलब, नाक से ली जाने वाली सांस से होता है ! नाक के बाएं छेद (यानी चंद्र नाड़ी) से ली जाने वाली सांस को “इड़ा स्वर” बोलते हैं और नाक के दाहिने छेद (यानी सूर्य नाड़ी) से ली जाने वाली सांस को पिंगला स्वर कहतें हैं (इड़ा स्वर, पिंगला स्वर के अलावा सुषम्ना स्वर के बारे में जानने के लिए, कृपया हमारे इस पूर्व प्रकाशित आर्टिकल को पढ़ें- मिस्टीरियस “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” के आश्चर्यजनक फायदे इन आसान तरीकों से भी मिल सकते हैं) !
प्राप्त जानकारी अनुसार, “स्वर चिकित्सा” के बारे में यही वर्णन सुनने को मिलता है कि बड़ी से बड़ी बिमारी से परेशान आदमी भी सिर्फ अपना स्वर (यानी नाक से ली जाने वाली सांस) का क्रम यथोचित रूप से बदल व निर्धारित करके और सटीक पंचतत्व का मानसिक ध्यान करके, अपने बिमारी से पूर्णतः मुक्त हो सकता है !
अब इस स्वर चिकित्सा की पूरी प्रकिया में ना ही किसी तरह की कोई दवा खानी होती है और ना ही किसी तरह की कोई एक्सरसाइज (योगासन आदि) करना होता है, बस आराम से सीधे बैठकर या सीधे लेटकर अपनी साँसों पर यथोचित नियंत्रण व मानसिक ध्यान करके बिमारी को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है !
“स्वर चिकित्सा शास्त्र” की माने तो, ब्रह्माण्ड के सबसे बड़े चिकित्सक यानी भगवान शंकर ने खुद गारंटी देते हुए कहा है कि पूरी दुनिया में “स्वर चिकित्सा” से तेज फायदा पहुंचाने वाली कोई दूसरी इलाज की पद्धति नहीं है ! लेकिन समस्या यह है कि “स्वर चिकित्सा” से संबंधित जानकारी, अब लगभग ना के बराबर मिलती है !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह ने 100 साल से भी ज्यादा पुरानी लाइब्रेरी से लेकर, पुराने बुक स्टाल्स पर भी इसके बारे में खोजने की कोशिश की, लेकिन “स्वर चिकित्सा” से संबंधित कोई ऐसा विस्तृत ग्रंथ नहीं मिला जो इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सके !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह ने जब “स्वर चिकित्सा” के संबंध में जानने के लिए, योगासन व प्राणायाम के स्कॉलर्स (विद्वानों) से सम्पर्क किया तो उन स्कॉलर्स ने “स्वर चिकित्सा” के संबंध में ऐसी प्रैक्टिकल (व्यवहारिक) बाते बतायीं जिन्हे जानकर हमें वो मुख्य कारण समझ में आया जिसकी वजह से “स्वर चिकित्सा” इतना आसान व फायदेमंद होने के बावजूद भी, आज कोई डॉक्टर या वैद्य इसका प्रयोग नहीं कर पाता है मरीजों के इलाज के लिए !
वो मुख्य कारण है- “स्वर चिकित्सा” करने में कोई डॉक्टर इसलिए हेल्प (मदद) नहीं कर सकता है क्योकि इसमें मरीज को खुद ही अपनी नाक के स्वर का निर्धारण (यानी सांस का प्रकार, क्रम, मात्रा, गति आदि) और आँखे बंद करने पर मन में दिखने वाले प्रकाश रुपी तत्व का निर्धारण (यानी प्रकाश का रंग, आकृति, समय, गतिशीलता आदि) करना होता है जो आजकल के अधिकाँश मरीजों के वश की बात नहीं हैं !
वास्तव में प्राचीन काल में जब “स्वर चिकित्सा” का निर्माण हुआ था उस समय लोगों की जीवनशैली इतनी शांत, सौम्य व नेचुरल थी कि लोगों को ध्यान का अभ्यास शुरू करते ही, उन्हें कई तरह के दिव्य अनुभव व दृश्य, दिखाई व महसूस होने लगते थे, इसलिए प्राचीनकाल में लोगों के लिए यह बेहद आसान काम था कि, ध्यान द्वारा शरीर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पञ्च तत्वों का विचार करके रोग के कारण को खोज निकालना, लेकिन आज के इस कलियुग की जनता जैसे ही आँख बंद करके ध्यान करने की कोशिश करती है वैसे ही उसे अपने ऑफिस – बिजनेस – घर – दुकान के बवाल या टेलीविजन – मूवी में दिखाए जाने वाले दृश्य आदि दिखाई देने लगते हैं, इसलिए अधिकांश लोग कुछ ही दिनों में ऊबकर ध्यान का अभ्यास करना छोड़ देते हैं !
हालांकि कोई व्यक्ति अगर बिना धैर्य खोये हुए लगातार कई दिनों तक ध्यान का अभ्यास करता रहे तो उसे निश्चित तौर पर ध्यान में सफलता मिलकर ही रहेगी ! मेडिटेशन यानी ध्यान किसी साधारण आदमी को, किसी खतरे में फसने के बावजूद भी मेंटली (मानसिक तौर पर) कितना रिलैक्स्ड (खुश) रहने में मदद कर सकता है, इसे अजीब व विवादास्पद तरीके से दिखाया गया है, जर्मन मूवी “मर्डर माइंडफुल्ली” में जो आजकल आमजनमानस में काफी लोकप्रिय हो रही है !
वैसे तो अब यह सर्वत्र देखने को मिल रहा है कि लगभग हर देश में रहने वाले विदेशियों में भारतीय योग – आयुर्वेद – आध्यात्म – ध्यान आदि का क्रेज (आकर्षण) बढ़ रहा है, लेकिन इस जर्मन मूवी को देखकर समझा जा सकता है कि शायद आज भी कई विदेशी, मेडिटेशन (ध्यान) को केवल “स्ट्रेस मैनेजमेंट” जैसे मामूली लाभ पाने का एक जरिया समझते हैं, जबकि हठ योग में साफ़ – साफ़ लिखा है कि ध्यान के नियमित अभ्यास से, कल्पना से भी परे, दिव्य शारीरिक व मानसिक फायदे मिल सकते हैं, जिनका “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने कई आर्टिकल्स में वर्णन भी किया है (जिनमे से एक आर्टिकल पढ़ने के लिए, कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- दैवीय कायाकल्प की प्रक्रिया निश्चित शुरू हो जाती है सिर्फ आधा घंटा इस तरह 1 से 3 महीने ध्यान करने से) !
खैर, आज की आपाधापी, अनिश्चितताओं, जटिलताओं से भरी जीवनशैली की वजह से ही बहुत मुश्किल है, आजकल के रोगियों का “स्वर चिकित्सा” द्वारा अपनी बिमारी में लाभ पाना ! देखा जाए तो “स्वर चिकित्सा” से आसान इलाज की पद्धति कोई और क्या हो सकती है , क्योकि जिस सेकंड से जीवन शुरू होता है और जिस सेकंड तक जीवन का अंत होता है, उस समय तक सिर्फ सांस ही तो वो चीज होती है जो हमेशा हमारे पास रहती है, इसलिए अगर हमारी सांस ही हमारी दवा बन जाए तो फिर हम आजीवन कभी बीमार ही ना पड़ें !
वैसे, भले ही इस कलियुग में पैदा होने वाले हर जीव के प्रारब्ध (यानी किस्मत) में बाई डिफ़ॉल्ट (स्वतः अपनेआप) दुःख भोगना लिखा रहता है, लेकिन इसके बावजूद भी हमें अपने दुखों को दूर करने के लिए लगातार कर्म करते रहना बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए, क्योकि पुरुषार्थ विहीन मानव, जानवरों से भी गया गुजरा होता है, इसलिए हमें अपने बाहुबल व बुद्धि का प्रयोग करते हुए यथोचित प्रयास लगातार करते रहना चाहिए !
“स्वर चिकित्सा” के बाद, अब बात करते हैं दूसरे नंबर की सबसे ताकतवर इलाज पद्धति की ! प्राप्त जानकारी अनुसार, दूसरे नंबर पर “मर्म चिकित्सा” को माना जा सकता है ! “मर्म चिकित्सा” भी अपने आप में एक पूर्ण व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें (बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के) लगभग सभी बीमारियों में बहुत ही अच्छा लाभ (वो भी काफी जल्दी) मिल सकता है !
जहाँ “स्वर चिकित्सा” में इलाज करने के लिए सिर्फ सांस व ध्यान की जरूरत पड़ती है (इसलिए “स्वर चिकित्सा” करने में मरीज की कोई मदद, चिकित्सक नहीं कर सकता है) वहीँ “मर्म चिकित्सा” से इलाज करने के लिए मरीज के पूरे शरीर की जरूरत पड़ सकती है (इसलिए मर्म चिकित्सा करने में, चिकित्सक बहुत ही ज्यादा मदद कर सकता है मरीज की) !
लेकिन “स्वर चिकित्सा” व “मर्म चिकित्सा” दोनों में यह 2 बातें कॉमन (समान) होती है कि दोनों में किसी भी तरह की दवा के सेवन की जरूरत नहीं पड़ती है और दोनों में सांस का इस्तेमाल होता है (मर्म चिकित्सा में प्राणायाम द्वारा सांस का इस्तेमाल, शरीर के सबसे महत्वपूर्ण व सबसे शक्तिशाली मर्म स्थान यानी मन को ट्रिगर/एक्टिवेट – क्रियाशील करने के लिए किया जाता है) !
देखा जाए तो प्राणायाम “हठ योग” का अभ्यास है जबकि भक्ति योग (यानी पूजा – पाठ) में रोज की जाने वाली कई साइंटिफिक प्रक्रियाएं (जैसे- करन्यास, हृदयादिन्यास, जिसमें हाथ की उँगलियों से शरीर के कई संवेदनशील स्थानों पर दबाया जाता है) मर्म चिकित्सा के अंतर्गत आती हैं (जैसे- देखिये इस वीडियो में, चिकित्सक उन मर्म स्थानों को भी रोज दबाने को बोल रहीं हैं जिनका उपयोग पूजा – पाठ में विभिन्न न्यास पद्धतियों के लिए भी किया जाता है- MARMA POINTS का सम्पूर्ण ज्ञान जाने) !
इसलिए स्पष्ट तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि एक ही ईश्वर (जिनका एक नाम पुराणों में “योग” भी लिखा हुआ है) ने सभी इलाज की पद्धतियां बनायीं है, और ये पद्धतियां अलग – अलग होने बावजूद भी, काफी समान हैं (मर्म चिकित्सा के ऊपर “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने पहले भी कई आर्टिकल्स प्रकाशित किये हैं जिन्हे जानने के लिए कृपया इन 2 लिंक्स पर क्लिक करें- जनरल असेंबली ने ट्यूबरकुलोसिस, डिजास्टर रिस्क रिडक्शन, प्रेस फ्रीडम व विकासीय मुद्दों पर आधारित मीटिंग्स में आमंत्रित किया हमारे स्वयं सेवक को और कोविड के बाद से अक्सर महसूस होने वाली बदबू, समाप्त हुई प्राणायाम करने से) !
श्री कृष्ण, मर्म चिकित्सा के अद्भुत जानकार थे, इसलिए माना जाता है कि जब वो पहली बार मथुरा गए थे तो वहां कूबड़ रोग से परेशान कुब्जा नाम की महिला का कूबड़ उन्होंने मर्म चिकित्सा से ही ठीक किया था ! जिन लोगो को लगता है कि मर्म चिकित्सा से सिर्फ प्राचीन काल में ही लोगों को लाभ मिलता था, और आज के मॉडर्न जमाने में लाभ नहीं मिल सकता है, उन्हें यह वीडियो देखना चाहिए जिसमें, मर्म चिकित्सा के अच्छे जानकार डॉक्टर सुनील जोशी (जो उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के पूर्व वाईस चांसलर भी हैं) द्वारा एक 13 वर्ष पुराने लकवा के मरीज को मिनटों में काफी लाभ पहुँचाया गया है- Paralysis Relief With Marma Chikitsa
इस वीडियो में भी देखा जा सकता है कि कैसे एक कोमा से लौटे पेशेंट को मर्म चिकित्सा ने आश्चर्यजनक फायदा पहुंचाया- Kaviraj Chari COMA in Paralysis after Marma Chikitsa Theropy in one hour out of COMA & Can walk ! इसके अलावा निम्नलिखित 20 वीडियोज़ को भी देखकर जाना जा सकता है कि “मर्म चिकित्सा” कितनी ज्यादा उपयोगी है-
1. Marma Therapy at Ayurveda Vancouver
2. Introduction of Marma Therapy – By Prof. S.K.Joshi
3. Marma Chikitsa in Govt. Ayurvedic College & Hospital
4. Explore Wellness with Marma Therapy
5. Marma Chiropractic Treatment Kerala
6. Kalari Marma Chikitsa | Treatment
7. Face Glow: Awesome Marma Therapy points
8. Patient after marma chikitsa
9. Marma Points to Release Emotions
10. Kerala Marma Chikitsa for Spine & Joint Disorders
12. The Ancient Indian Secret : Exploring Marma Therapy
13. #Alternativemedicine #Marma therapy
14. Marma points massage for extreme hair growth
15. Marma Therapy Ayurvedic Treatment
16. Marma Therapy for Knee Pain Relief
17. Marma Treatment
18. Marma Therapy training to ITBP officers
19. Marma Chikitsa in Primary Frozen Shoulder
20. Self care: Hand Marma Point self-massage
यह भी जानने योग्य बात है कि, किसी कठिन बिमारी में और जल्दी लाभ पाने के लिए सभी नेचुरल तरीकों (जैसे- मर्म चिकित्सा, योग, आयुर्वेद आदि) के साथ – साथ, चिकित्सक के परामर्श अनुसार होम्योपैथी का भी प्रयोग किया जा सकता है क्योकि सभी नेचुरोपैथी की तरह होम्योपैथी का भी कोई कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है और अगर होम्योपैथी के सही जानकार डॉक्टर से मुलाक़ात हो जाए तो होम्योपैथिक दवाएं इतना जबरदस्त फायदा करती हैं कि मरीज भी हैरान रह जाता है (जिसके कुछ उदाहरण हमने अपने इन पूर्व प्रकाशित आर्टिकल्स में दिए हैं- जब तक हम “सही कारण” को नहीं हटायेंगे तब तक उससे मिलने वाली “तकलीफ” से परमानेंट मुक्ति कैसे पा सकेंगे और कोरोना (Covid- 19) के लक्षणों में फायदेमंद हो सकतीं हैं ये होम्योपैथिक दवाएं (Homeopathic Medicines)) !
सारांश यही है कि अपने शरीर से बड़ा सुखदायी और दुखदायी कोई और नहीं होता है, इसलिए किसी भेड़चाल में ना पड़कर, अपनी बिमारियों के इलाज के लिए या हमेशा स्वस्थ बने रहने के लिए, यथासम्भव सिर्फ उन सभी नेचुरल तरीकों को आजमाना चाहिए जिनसे बिना किसी साइड इफेक्ट् के शरीर का अधिक से अधिक भला हो सके !
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !