बिना किसी विशेष परहेज व दवा के, तेजी से मोटापा घटाने का आश्चर्यजनक तरीका
वास्तव में देखा जाए तो आज दुनिया में सबसे ज्यादा फैली हुई बिमारी कोई है तो वह है,- मोटापा ! आईये जानते हैं कि पूरे विश्व के लिए एक अति गम्भीर समस्या साबित हो चुके मोटापा रोग के विषय में, वर्षो के गहन शोध से “स्वयं बनें गोपाल” समूह के योग अन्वेषकों ने किन महत्वपूर्ण जानकारियों को खोज निकाला है !
कई विशेषज्ञों का मानना है कि आज दुनिया के लगभग 40 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार हो चुके हैं और “वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन” (WHO) की एक रिपोर्ट भी यही साबित करती है कि आज दुनिया में लगभग पौने दो सौ करोड़ लोग मोटापे का शिकार हो चुके हैं जो विश्व में फैली हुई किसी भी अन्य महामारी की तुलना में कई गुना ज्यादा है !
आमतौर पर माना जाता है कि अगर आप अपनी शरीर की लम्बाई के हिसाब से निर्धारित वजन से 5 से 7 किलो ज्यादा है तो आप मोटे हैं ! मोटापे के वजह से व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक व मानसिक तकलीफे झेलनी पड़ती है इसलिए लगातार प्रयास करना चाहिए कि शरीर का बढ़ा हुआ वजन वापस कम हो जाए !
सबसे पहले यह जान लीजिये कि मोटापा भी एक बिमारी होती है ठीक उसी तरह जैसे शरीर की अन्य बीमारियाँ (जैसे- डायबिटिज, हाई या लो ब्लडप्रेशर, किडनी या लीवर प्राब्लम्स, गंजापन, गठिया, कैंसर आदि) होती हैं !
पर आम तौर पर लोग मोटापा को सिर्फ अनुचित खानपान या लापरवाह भरी दिनचर्या से जोड़कर देखते हैं पर वास्तव में यह मानव के मेटाबोलिज्म (Metabolism, चयापचय) से सम्बन्धित एक रोग है जो कभी भी, किसी को भी हो सकता है !
अगर आदमी का मेटाबोलिज्म सही है तो वो चाहे कितना भी तला भुना, गरिष्ठ भोजन खाए, रहेगा हमेशा दुबला ही, पर अगर आदमी का मेटाबोलिज्म सही नही है तो उसके द्वारा कम तेल घी का भोजन खाने से भी वजन बढ़ने लगता है इसलिए कहावत है कि मोटे लोगों को पानी भी घी की तरह लगता है !
हांलाकि आम तौर पर लोग हर तरह की बीमारियों के मरीजों को सहानुभूति की दृष्टि से देखते हैं लेकिन किसी मोटापे के शिकार व्यक्ति को देखते ही लोगों को आश्चर्यमिश्रित हंसी आने लगती है जो कि गलत बात है क्योकि भगवान् ने किसी के शरीर को भी परफेक्ट नहीं बनाया है, थोड़ी बहुत कमी सभी में है और हो सकता है आज आपके द्वारा किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाने का पाप, कल को आपके शरीर के मोटापे या अन्य किसी बिमारी पैदा होने का कारण बन जाए !
कर्मफल का सिद्धान्त अटल है इसलिए अपने द्वारा किसी भी छोटे से छोटे गलत काम का फल आज नहीं तो कल या अगले किसी जन्म में भुगतना ही पड़ेगा !
यहाँ पर कर्मफल के सिद्धांत को इतना विस्तार से इसलिए समझाया जा रहा है क्योकि परम आदरणीय संत जनों के आशीर्वाद द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार आमतौर पर कुछ मुख्य ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें इस जन्म में या पूर्व के किसी जन्म में करने पर मोटापा की समस्या पैदा होते हुए देखा गया है (इसलिए ऐसे कर्मों को करना तुरंत छोड़ देना चाहिए) !
वे बुरे कर्म है- खाना पीना बर्बाद करना, पाप की कमाई कमाना, सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए जरूरत से ज्यादा खाना पीना – धन आदि इकठ्ठा करना जबकि आम जनता खाने के एक – एक दाने के लिए तरस रही हो, दूसरों का हक मारना, दूसरों के शरीर का मजाक उड़ाना, अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनिवार्य शारीरिक धर्म (जैसे उचित खान पान, शारीरिक मेहनत या दिनचर्या) नही निभाना, कोई ऐसा गलत काम करना जिससे दूसरे के शरीर को कोई अनावश्यक नुकसान पंहुचा हो (जैसे- मांस, मछली अंडा व इनसे बने खाद्य पदार्थ खाना), सामर्थ्य होने के बावजूद भी किसी जरूरतमंद या बीमार की सहायता ना करना आदि !
अब जैसे कुछ लोग यहाँ पूछ सकतें है कि कैसे किसी की सहायता ना करने से मोटापा पैदा हो सकता है ! तो इसका उत्तर यही है कि सभी बीमारियों से ग्रसित मरीजो की ही तरह, एक मोटापे से ग्रस्त मरीज की उसके मातापिता, भाई बहन, पति पत्नी, रिश्तेदार मित्र आदि भी सामर्थ्यवान होते हुए भी, उसकी कोई सहायता नही कर पाते और उसे आखिरकार अपनी कठिन दिनचर्या का पालन खुद ही करना होता है जिसमें ढेर सारे परहेजों के साथ साथ उसे ढेर सारी शारीरिक मेहनत करनी होती है वो भी कई – कई महीनो तक (जो कि एक आम इन्सान के लिए सोचना भी मुश्किल होता है) !
वैसे यह जरूरी नहीं कि सिर्फ ऊपर लिखे हुए बुरे कर्मो या इनसे मिलते जुलते हुए बुरे कर्मो को करने से पैदा हुए पाप की वजह से ही मोटापा पैदा हो क्योकि भगवान की बनाई हुई इस विचित्र दुनिया में अन्य हजारों ऐसे उदाहरण सुनने को मिलते हैं जो बड़े ही अजीब होते हैं, जैसे प्राप्त जानकारी अनुसार, पूर्व जन्म चिकित्सा पद्धति (Past Life Therapy) के विश्वप्रसिद्ध डॉक्टर ब्रायन विज (Dr. Brian Weiss) ने अपनी पुस्तक में सारांश रूप में बताया है कि कैसे एक महिला अपने जिद्दी मोटापे रोग का कारण जान पायी जब उसने तन्द्रा अवस्था में अपने पूर्व जन्म में जाकर देखा कि वह पूर्व जन्म में अत्यंत सुंदर थी जिसकी वजह से कई पुरुष अक्सर उसे तंग किया करते थे इसलिए उसे पूर्व जन्म में अपनी ही सुन्दरता से नफरत व डर पैदा हो गया था और इसलिए इस वर्तमान जन्म में उसका शरीर अपने आप मोटा होने लगा था (ताकि वह किसी को सुंदर ना लग सके) !
इसी तरह का एक विचित्र उदाहरण “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने एक सज्जन का भी सुना था जिन्होंने भी कई वर्षो तक मोटापा झेला और जिसके कारण के बारे में जानकारी उन्हें बाद में परम आदरणीय संत जनों की कृपा से प्राप्त हुई कि पूर्व के किसी जन्म में वे योग आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले एक चिकित्सक थे और अपने उच्च स्तरीय ज्ञान व सुंदर शरीर के लिए बेहद प्रसिद्ध थे इसी वजह से उनसे सलाह लेने के लिए दूर – दूर से मरीज आते थे !
वो चिकित्सक अपने पास आने वाले सभी रोगियों को इलाज का तरीका बताकर निर्देश देते कि आप एकदम नियमपूर्वक इस इलाज को करेंगे तो आप निश्चित अपनी बिमारी से मुक्त हो जायेंगे !
लेकिन जिन मरीजों द्वारा नियमपूर्वक इलाज करने पर भी रोग नहीं ठीक होता उन मरीजों पर ये चिकित्सक नाराज हो जाते और बार बार क्रोधपूर्वक डांटते हुए कहते कि आपने जाने अनजाने जरूर कुछ ना कुछ लापरवाही बरती होगी अन्यथा ग्रंथों में लिखे इस इलाज पद्धति से मै ना जाने कितने ही रोग ग्रस्त मरीजों को ठीक कर चुका हूँ !
चिकित्सक की डांट सुनकर, रोगी और परेशान हो जाते कि आखिर करें तो क्या करें क्योकि उन्हें तो मालूम है कि उन्होंने एकदम सही तरह से अपना इलाज किया था, पर ना जाने उन्हें लाभ क्यों नही मिला !
इसका वास्तविक उत्तर तो यही है कि जब तक किसी रोग का प्रारब्ध यानी उस पाप (जिसकी वजह से रोग हुआ था) का प्रायश्चित रुपी दंड, पूरा नही हो जाता है तब तक चाहे कितना भी अच्छा इलाज नियम से कर लिया जाए, वो रोग पूरी तरह से ठीक नही हो सकता है !
पर अपने ज्ञान के अहंकार में “प्रारब्ध” जैसी किसी चीज की सत्ता को नकारते हुए, सिर्फ और सिर्फ कर्म की महिमा को मानने वाले वे चिकित्सक, मरीजों के रोग ठीक ना होने की असली वजह सिर्फ और सिर्फ उन मरीजों द्वारा उनके कर्म (यानी इलाज) में हुई जानी अनजानी लापरवाही को ही मानते थे !
और बेचारे वे मरीज भी उन चिकित्सक के क्रोध को भी चुपचाप सह लेते थे क्योकि उन चिकित्सक ने अपने ज्ञान से, अब तक ना जाने कितने ही अत्यंत बीमार मरीजों के शरीर को भी पूर्णतः स्वस्थ, सुंदर व सुखमय किया था !
जैसा कि हमने उपर बताया कि कर्मफल का सिद्धांत अटल है और इसी वजह से उन चिकित्सक को इस मानव जन्म में कई वर्ष तक मोटापा झेलना पड़ा और इस मोटापा को दूर करने के लिए उन्होंने कई बार बेहद परहेज युक्त कड़ी दिनचर्या निभायी पर उनका वजन कम होने का नाम ही नही ले रहा था, और ऐसी दुखद स्थिति में उन्हें उनके सभी परिचित लोग ताना भी मारते थे कि जरूर तुमने खाने पीने में कोई लापरवाही बरती होगी तभी तुम्हारा वजन कम नही हो रहा है पर वास्तविकता तो केवल उन्हें पता थी कि वे चाहे कितनी भी कड़ाई से परहेज व एक्सरसाइज आदि करें पर उनका वजन है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है !
बार बार सही तरीके से इलाज करने के बावजूद भी उनका वजन कम ना होना और इसकी वजह से उनके मन में जो बार बार हैरानी व परेशानी पैदा होना यह उसी का प्रायश्चित था, जो हैरानी व परेशानी उनके द्वारा पूर्वजन्म में उन मरीजों को होती थी जो बार बार ठीक तरीके से इलाज करने के बावजूद भी रोगमुक्त नही हो पाते थे और चिकित्सक से डांट भी सुनते थे !
इस तरह का एक उदाहरण हमे महाभारत काल में भी देखने को मिलता है श्री विदुर जी के रूप में ! वास्तव में विदुर जी स्वयं धर्मराज (यानी यमराज) के अवतार थे पर उन्हें एक ऋषि के श्राप की वजह से धरती पर जन्म लेना पड़ा था ! ऋषि ने उन्हें श्राप इसलिए दिया था क्योकि यमराज ने ऋषि द्वारा बचपन में अनजाने में की गयी एक गलती का घोर दंड, ऋषि को बुढ़ापे में एक अपमानित करने वाली घटना का रूप में दे दिया था !
ऋषि ने यमराज को यही श्राप दिया था कि, हे धर्मराज तुमको लगता है कि तुम धर्म के बहुत बड़े ज्ञाता हो तो जाओ मृत्युलोक में जन्म लो और उस समय तुम चाहे जितना भी धर्म के बारे में अन्य लोगो को समझाओगे पर कोई तुम्हारी सुनेगा ही नहीं !
तो ये रहा कर्म और प्रारब्ध का आपसी सम्बन्ध ! मतलब आज का हमारा कर्म, हमारे कल के प्रारब्ध का निर्माण करता है ! योगवशिष्ठ ग्रन्थ में भी लिखा है कि हर मानव के जीवन के हर क्षण में उसका प्रारब्ध और उसका कर्म आपस में लड़ते रहते हैं और जो ज्यादा शक्तिशाली होता है उसी के अनुसार फल मिलता है !
इसीलिए प्रारब्ध जब बहुत शक्तिशाली हो तब बार – बार सही इलाज करने पर भी किसी मामूली सी लगने वाली बीमारी में भी विशेष लाभ नही मिल पाता है ! लेकिन इसका यह कत्तई मतलब नहीं है कि हम निराश होकर हार मान लें और किसी जिद्दी बिमारी का इलाज करना ही छोड़ दें ! क्योकि परम आदरणीय संतजनों के अनुसार लगातार उचित कर्म (यानी उचित इलाज) करना भी एक तरह का प्रायश्चित होता है किसी बीमारी के पीछे छिपे हुए असली कारण यानी प्रारब्ध को मिटाने का !
शक्तिशाली प्रारब्ध को समाप्त करने के लिए शिवपुराण में स्वयं भगवान शिव ने बहुत ही आसान उपाय बताया है, और वो है- ध्यान !
वैसे तो ध्यान की कई विधिया होती है पर मुख्यतः ध्यान दो तरह का होता है,- साकार व निराकार (दोनों तरह के ध्यान से बराबर लाभ मिलता है पर व्यक्ति अपनी रूचि अनुसार किसी भी तरह के ध्यान को चुन सकता है ! ध्यान के बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह पहले भी कई लेख प्रकाशित कर चुका है) !
साकार ध्यान, वह होता है जिसमें भगवान के किसी मनपसन्द रूप (जैसे- भगवान शिव, श्री कृष्ण, श्री राम, श्री दुर्गा आदि) का ध्यान अपने ह्रदय या भ्रूमध्य (अर्थात तृतीय नेत्र स्थान) में किया जाता है ! और निराकार ध्यान वह होता है जिसमें किसी के बारे नही सोचा जाता है अर्थात मन को सभी तरह के विचारो से रहित किया जाता है !
वैसे मोटापे के लिए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने निरंतर रिसर्च से एक नए तरह की ध्यान पद्धति खोज निकाली है जिसका कुछ दिनों तक 15 मिनट तक अभ्यास करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलना शुरू हो सकता है !
हमारे द्वारा खोजी गयी यह ध्यान पद्धति मोटापे के पुराने से पुराने मरीज के लिए भी बेहद फायदेमंद है ! असल में होता यह है कि ज्यादातर मोटापे के पुराने मरीजों के मन में धीर – धीरे यह बात बैठने लगती हैं कि वे चाहे कुछ भी खायेंगे उनका मोटापा बढ़ना तय है और जिसका परिणाम यह होता है कि उनकी यह निराशा भरी सोच उनके शरीर की प्रकृति को वास्तव में भी इस प्रकार बदल देती है जिसकी वजह से उनके द्वारा सामान्य भोजन खाने पर भी उनका वजन बढ़ने लगता है !
इसलिए ऐसे लोगों के लिए बहुत जरूरी है कि रोज किसी निश्चित समय पर खाली पेट, बैठकर शांत दिमाग से 15 मिनट मन में या मुंह से बोलकर लगातार यही ध्यान करें कि,- “मेरा वजन कम हो रहा है और मै दुबला हो रहा हूँ” !
ध्यान करते समय मन में यह दृढ़संकल्प होना चाहिए कि इस तरह ध्यान करने से मेरा वजन निश्चित कम होकर ही रहेगा !
हमने इस ध्यान के पीछे का सिद्धांत जो खोज निकाला है उसे आप आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि, जैसे कि किसी भी कंप्यूटर में दो मुख्य तरह की मेमोरी (स्मृति) होती है,- पहली “रैम” (RAM) और दूसरी “हार्ड डिस्क” (HARD DISC) उसी तरह हमारे मस्तिष्क में मुख्यतः दो तरह की मेमोरी होती है, एक “चेतन मन” और दूसरा “अचेतन मन” (यहाँ आप रैम को चेतन मन और हार्ड डिस्क को अचेतन मन समझ सकते हैं) !
कंप्यूटर के सभी त्वरित कार्यों के सम्पादन में रैम की प्रथम द्रष्टया भूमिका नजर आती है पर यह भूमिका बिना हार्ड डिस्क के सहयोग के संभव नही है क्योकि हार्ड डिस्क में ही ऑपरेटिंग सिस्टम स्टोर्ड रहता है तो इस तरह से कहा जा सकता है कि पूरा कंप्यूटर परदे के पीछे से जहाँ से कण्ट्रोल कर रहा है उस जगह का नाम है हार्ड डिस्क !
ठीक इसी तरह हमारे मानव शरीर के सभी जीवंत कार्यों के सम्पादन में प्रथम द्रष्टया भूमिका होती है चेतन मन की, पर इस चेतन मन के द्वारा किये जाने वाले सभी तरह के कार्यों के सम्पादन में, किसी ना किसी तरह से प्रभाव रहता है हमारे अचेतन मन से प्राप्त निर्देशों का !
इसलिए अगर एक बार कोई भय, चिंता, शंका आदि जैसी भावना हमारे अचेतन मन में बैठ गयी तो उसकी वजह से हमारे शरीर की कई क्रियाएं उल्टी पुल्टी होने लग सकती हैं यानी आसान भाषा में कहें तो शरीर में कई बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं जिसमे से एक है मेटाबोलिज्म गड़बड़ होकर मोटापा का बढ़ना !
वास्तव में हमारे अचेतन मन में हमारे द्वारा अब तक लिए हुए अनंत जन्मों की मेमोरी स्टोर्ड होती है इसलिए किसी बेहद जिद्दी बिमारी (जो बार बार सही इलाज करने पर भी लौट आती हो) के कारण को समाप्त करने में ध्यान आश्चर्यजनक लाभ दिला सकता है !
कुछ लोगों को यह आश्चर्य हो सकता है कि जब कोई बीमारी (जैसे मोटापा) किसी पाप के दंड स्वरुप पैदा हुई है तो उस पाप का कठिन प्रायश्चित कैसे सिर्फ इतनी आसानी से यानी आराम से बैठकर ध्यान करने से हो जाएगा ?
जिन लोगों को इसका उत्तर नही पता है उन्हें हम बताना चाहेंगे कि ध्यान एक सर्वोत्तम किस्म की योग प्रकिया है जिसके बिना शुद्ध ज्ञान यानी ईश्वर की प्राप्ति संभव नही है इसलिए व्यक्ति चाहे जिस भी योग (हठ योग, राज योग, भक्ति योग व कर्म योग) का अभ्यासी हो, अंतिम सिद्धि यानी ईश्वर का दर्शन प्राप्त करने के लिए या तो वो खुद ध्यान करने लगता है या स्वयं ईश्वरीय कृपा से उसका ध्यान (जैसे- भाव समाधि) लगने लगता है !
ध्यान समेत सभी यौगिक क्रियाओं की चरम सीमा है निर्विकल्प समाधि, लेकिन यह समाधि लग पाना कभी भी मानव के वश में नही होता क्योकि यह पूरी तरह से आदिशक्ति माँ दुर्गा स्वरूपा कुण्डलिनी देवी की कृपा से ही सम्भव है !
अतः एक मानव सिर्फ अपने बलबूते पर जो अति उत्तम योग कर सकता है वो है,- ध्यान, जिसमें शक्ति है सभी तरह के पापों का तेजी से भक्षण करने की और जब पाप ही नहीं बचेंगे तब उनसे पैदा होने वाली मानव जीवन की सभी समस्याएं (जैसे कोई बिमारी या अन्य सामाजिक व पारिवारिक समस्याए आदि) अपने आप समाप्त होने लगती है ! इसलिए हर मानव को अपनी दिनचर्या में कम से कम 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक ध्यान जरूर करना चाहिए !
वास्तव में “स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा खोजे गये इस मोटापा घटाने वाली ध्यान पद्धति का जब – जब हमने जिस – जिस पर प्रयोग किया है हमें निश्चित सफलता मिली है इसलिए आप भी इस ध्यान की पद्धति के बारे अन्य लोगों को बताकर बेशकीमती पुण्य के भागीदार जरूर बनिए !
देखिये यह मानव जीवन बहुत ही छोटा होता है जिसमें कब सुबह होती है और कब रात हो जाती है पता ही नही चलता है जिसकी वजह से हमें दूसरों की भलाई या परोपकार जैसे कर्म करने के लिए कोई अलग से समय बुढापे में नही मिलने वाला है क्योकि बुढापे में भी हमारा अधिकाँश समय सिर्फ घर गृहस्थी की मोह माया में फस कर बीत जाने वाला है इसलिए जब – जब, जहाँ – जहाँ भी मौका मिले से किसी की निःस्वार्थ भलाई करने का, बिल्कुल चूंकना नही चाहिए !
और एक बात यह भी है कि कब कौन सा आपका कर्म आपके लिए वरदान साबित हो जाए और आपके वर्षों से खून के आंसू रुलाने वाले प्रारब्ध से आपको मुक्ति दिला दे यह भी कोई नही जानता है, जिसका एक बड़ी प्रसिद्ध उदाहरण थी द्वापर युग की “कुब्जा” जो की एक बचपन से कुबड़ेपन की शिकार अत्यंत गरीब महिला थी और जिसका कई शरारती लड़के रोज बहुत मजाक उड़ाया करते थे पर इन सब के बावजूद भी उसने अपनी अनन्य ईश्वर भक्ति नही छोड़ी जिसके फलस्वरूप स्वयं श्री कृष्ण उसके सामने प्रकट हुए और एक क्षण में उसके शरीर की सभी तकलीफों को दूर करके उसे एक अत्यंत सुंदर रूप भी प्रदान किया !
तो ये रही किसी बिमारी के पर्दे के पीछे की अदृश्य कहानी जिसे इतना विस्तार से इसलिए यहाँ समझाया गया है ताकि अगर आपके या आप पर आश्रित लोगों (जैसे- आपकी सन्तान, पत्नी, या अधीनस्थ कर्मचारी) द्वारा आपके नियन्त्रण क्षेत्र में कुछ भी गलत हो रहा है (मतलब आप चाहें तो उस गलत को होने से आसानी से रोक सकतें है पर उसको रोकने में आपको कोई रूचि नही है) तो उसका आंशिक दंड आपको कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में भुगतना पड़ सकता है !
आईये अब हम जानते हैं उस तरीके के बारे में जिसके द्वारा आप बिना किसी विशेष परहेज व दवा के हर महीने अपना 4 से 7 किलो तक वजन आसानी से कम कर सकते हैं !
याद रखिये कि मानव शरीर में मेद (यानी वसा), ब्रेन से लेकर लगभग हर जगह विद्यमान रहती है इसलिए किसी भी तरह की दवाओं की ज्यादा मात्रा लेकर या बहुत भूखा रहकर या किसी भी अन्य तरीके से बहुत तेजी से वजन घटाना खतरनाक भी हो सकता है जिसकी वजह से चक्कर, बेहोशी या आदमी कोमा में भी जा सकता है ! इसलिए वजन घटाने की प्रक्रिया का धीरे – धीरे होना ही उचित है ! बेहतर होगा कि वजन रोज रोज नही नापा जाए, बल्कि सप्ताह में एक दिन नापना ठीक रहता है !
वजन घटाने के लिए हमारे द्वारा खोजे व आजमाए गये इस तरीके में आपको निम्नलिखित कुछ आसान कार्य करने होते है-
सुबह नहाने से पहले पूरे शरीर की विधिवत मालिश करे जिसमें कम से कम 10 मिनट समय तो लगेगा ही ! मालिश करना बेहद जरूरी है क्योकि जैसे किसी फुले हुए गुब्बारे (balloon) की हवा जब धीरे धीरे बाहर निकलने लगती है तो उस गुब्बारे की चमक फीकी पड़ने लगती है ठीक उसी तरह जैसे जैसे शरीर का वजन कम होने लगता है वैसे वैसे शरीर की अंगकांति फीकी पड़ने लगती है तथा झुर्रियां भी पड़ने की सम्भावना बनी रहती है ! मालिश को ना बहुत जोर – जोर से करना चाहिए और ना ही बहुत धीरे – धीरे से करना चाहिए !
नियमित मालिश करने से ही हम वापस अपनी खोयी हुई अंगकांति और झुर्री रहित त्वचा प्राप्त कर सकते हैं तथा मालिश करने से हमारे शरीर के सारे एक्यूप्रेशर पॉइंट्स (Acupressure Points) भी दब जाते है जिसकी वजह से हमारे शरीर की कई बीमारियां भी अपने आप ठीक होने लगती है और साथ ही साथ भविष्य में कोई नई बिमारी नहीं होने पाती है (जब तक कि हमसे कोई बड़ा बदपरहेज ना होने पाए) इसलिए स्वस्थ व्यक्ति को भी रोज मालिश जरूर करना चाहिए !
मालिश करने का सबसे आसान तरीका जो रोज निभ सकता है, वो है कि आप रोज सुबह नहाने से पहले, शरीर के सभी अंगो (जैसे हाथ, पैर, पेट, सीना, पीठ, गर्दन, चेहरा, सिर आदि) पर एक – एक बूँद शुद्ध सरसों या नारियल का तेल या शुद्ध देशी घी लगाकर, विधिवत 10 – 15 मिनट तक मालिश करें और फिर 2 – 4 मिनट आराम करने के बाद नहा ले !
आप चाहे तो तेल या घी की इससे ज्यादा मात्रा शरीर पर लगा सकतें हैं लेकिन फिर उसके बाद आपको शरीर का चिपचिपापन समाप्त करने के लिए साबुन से नहाना पड़ सकता है जो कि ठीक नहीं है क्योकि रोज रोज साबुन, शैम्पू आदि का प्रयोग हानिकारक है ! पर हाँ अगर आप चिपचिपापन समाप्त करने के लिए बेसन, मुल्तानी मिटटी आदि जैसी प्राकृतिक चीजों का प्रयोग करते हैं तो बेहतर है !
नहा लेने के पश्चात् आप खाली पेट, पालथी मार कर सीधे बैठें, फिर 2000 बार कपालभाति प्राणायाम और कम से कम 100 बार अनुलोम विलोम प्राणायाम और 5 बार महाबंध का अभ्यास करिए ! फिर इसके बाद 15 मिनट मोटापा घटाने वाला ध्यान (जिसके बारे में हमने ऊपर वर्णन किया है) करिए !
बिना रुके लगातार कपालभाति करने की क्षमता हो तो 2000 बार करने में मात्र 20 मिनट लगता हैं (पर अगर क्षमता ना हो तो पहले ही दिन 2000 बार नही करना चाहिए क्योकि इससे गले में खिचाव आ सकता है) !
देखिये मोटापा घटाने में योग प्राणायाम और हार्ड एक्सरसाइज (जैसे- तेज टहलना, दौड़ना, जिम वर्कआउट आदि) दोनों के रोल (भूमिका) में थोड़ा अंतर होता है मतलब जैसे अगर आपको किसी पत्थर की चट्टान से मूर्ती बनानी हो तो आपको छोटी हथौड़ी और बड़े हथौड़ा दोनों की जरूरत पड़ेगी क्योकि बड़े हथौड़े से आप चट्टान से पत्थर के बड़े फ़ालतू टुकड़े काट कर निकालेंगे वही छोटी हथौड़ी से उस कटी हुई चट्टान की सुन्दरता तराशने का काम करेंगे !
ठीक इसी तरह शरीर से चर्बी की बड़ी मात्रा को गलाने का काम हार्ड एक्सरसाइज करती है तो शरीर के मेटाबोलिज्म को सुधारने का काम योग प्राणायाम करता है !
वैसे तो योग प्राणायाम या हार्ड एक्सरसाइज में से कोई एक काम करने से भी आपका वजन कम होने लगेगा लेकिन इसके अपने कुछ नुकसान भी हैं जैसे सिर्फ योग प्राणायाम करेंगे तो वजन घटने में समय अपेक्षाकृत ज्यादा लग सकता है और अगर सिर्फ हार्ड एक्सरसाइज करेंगे तो 5 -10 किलो वजन कम होने के बाद आपके हाथ पैर में फटन का दर्द महसूस हो सकता है ! इसलिए हमारे द्वारा बताये गए तरीके से अपनी दिनचर्या में योग प्राणायाम व हार्ड एक्सरसाइज दोनों को ही शामिल करें !
देखिये इस पूरे प्रक्रिया में आप खाने पीने में इन चार “च” का जितना अधिक परहेज कर सकेंगे उतना जल्दी लाभ पायेंगे और वो चार “च” हैं,- (1) चावल (2) चीनी (3) चिकनाहट मतलब घी – तेल (4) चाय
चावल अगर आपको खाना ही है तो रोज आप एक छोटी कटोरी चावल सुबह और शाम खा सकतें हैं ! वास्तव में चाय मेटाबोलिज्म का बहुत बड़ा शत्रु है इसलिए अगर आप वाकई में मेटाबोलिज्म को कण्ट्रोल करना चाहते हैं तो चाय एकदम छोड़ दें पर अगर चाय एकदम छोड़ना संभव ना हो तो सिर्फ एक बार सुबह लें ! चाय से थोड़ी कम नुकसान होती है काफी, इसलिए चाय की जगह आप काफी पी सकतें हैं !
चाय व काफी में कम से कम चीनी डालियेगा और दिन भर में अन्य चीनी से बने सामान जैसे बिस्किट, मिठाईया आदि को कुछ दिनों के लिए एकदम छोड़ दें !
जो भी खाना खाएं उसमें कम से कम तेल घी का इस्तेमाल हो तो बेहतर होगा ! अगर बनाने वाले के हाथ में हुनर हो तो वह सिर्फ आधे चम्मच तेल से भी 5 – 6 लोगों के लिए पर्याप्त और बेहद स्वादिष्ट सब्जियां बना सकता है !
अब आपमें से कुछ लोगों को लग सकता कि हमने तो कई चीजों को मना कर दिया खाने के लिए, पर वास्तव में ऐसा है नही क्योकि अभी भी इस दिनचर्या में बहुत कुछ खाने पीने की आजादी है ! आईये अब हम बताते हैं कि आप क्या – क्या और कब – कब खा सकते हैं-
प्राणायाम के बाद कम से कम 20 – 25 मिनट तक कुछ भी नही खाया पिया जाता है (अगर बहुत प्यास लगे तो 2 – 3 घूँट पानी पी सकतें हैं) लेकिन अगर आप इस अंतराल में 15 मिनट ध्यान कर लें तो आप ध्यान के सिर्फ 5 मिनट बाद ही सब कुछ खा पी सकतें हैं ! बेहतर होगा कि ध्यान करने के थोड़ी देर बाद आप अपना सुबह का भोजन ही खा लें !
सुबह के भोजन में आप 4 – 5 रोटी, 1 कटोरी दाल (बिना घी या तेल से फ्राई की हुई), और 1 कटोरी सब्जी खा सकते हैं (सब्जी में चाहे तो कोई भी सब्जी खा सकते है पर हाँ मांस, मछली अंडा व इनसे बने खाद्य पदार्थ खाना सख्त मना है साथ ही किसी तरह की कोल्ड ड्रिंक या अन्य कोई हानिकारक सामान जैसे नशीले पदार्थ- तम्बाखू, सिगरेट, शराब, बियर आदि भी लेना मना है) !
अगर आपको शुरुआत में भूख ज्यादा लगती है तो रोटी की मात्रा और ज्यादा बढ़ा भी सकतें हैं क्योकि रोटी से कोई विशेष वजन नही बढ़ता है, हाँ लेकिन भूख से थोडा कम खाने से वजन तेजी से कम होता है ! रोटी सिर्फ गेंहू के आटे की बजाय, कई अनाजों के मिक्स आटे की हो (और चोकर सहित हो) तो वजन तेजी से घटता है !
तो ये रहा आपका सुबह का भोजन ! मान लीजिये कि आप सुबह का खाना 8 से 10 के बीच में खाते है पर आपको फिर से दोपहर में 2 से 4 के बीच में भूख लग जाती है तो आप चाहे तो कोई भी कैलोरी लेस फ़ूड (जैसे- कोई फल, या एक कटोरी दाल, भुना चना, सत्तू, दाना आदि) ले सकते हैं लेकिन अगर इससे आप की भूख नही शांत हो रही है तो आप फिर से रोटी सब्जी भी खा सकते हैं !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह द्वारा खोजी गयी इस विधि में यही तो फायदा है कि आपको अपनी भूख को बहुत ज्यादा मारना नही पड़ता है !
अब आप जान लीजिये कि इस पूरी प्रकिया में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि आपको रात का खाना सूर्यास्त के बाद नही खाना है !
मतलब शाम का सूरज डूबने से पहले आपको रात का फाइनल खाना खा लेना है क्योकि आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करने मात्र से आपका चपाचय यानी मेटाबोलिज्म तेजी से सुधरने लगता है जिससे आपका वजन तेजी से कम होने लगता है !
पर जिन लोगों के लिए शाम का भोजन, सूर्यास्त से पहले खा पाना किन्ही कारणों से एकदम संभव ना हो, वे शाम का खाना अधिकतम रात 8 बजे तक खा लें (पर यह याद रखें कि जितना तेजी से वजन कम सूर्यास्त से पहले खा लेने पर होगा, उतना तेजी से वजन कम सूर्यास्त के बाद यानी रात 8 बजे के अंदर खाने से नहीं होगा; मतलब रात 8 बजे तक खाने से वजन तो जरूर कम होगा लेकिन उतना ज्यादा नही) !
शाम के खाने में भी ठीक सुबह वाला खाना आप खा सकतें हैं यानी 4 – 5 रोटी, 1 कटोरी दाल (बिना घी या तेल से फ्राई की हुई), और 1 कटोरी सब्जी !
शाम को खाना समाप्त करने के ठीक आधे घंटे बाद, आधा ग्लास दूध में आधा ग्लास पानी मिलाकर पी लें (दूध एक अति आवश्यक आहार होता है जिसे रोज लेने से शरीर में किसी तरह के पोषक तत्व की कमी नही पड़ने पाती है पर दूध शुद्ध होना चाहिए और दूध पीने से पहले मोटापा के मरीजों को मलाई निकाल लेना चाहिए ! मिलावटी दूध पीन से अच्छा, ना ही पिया जाए) !
शाम का दूध पीने के आधे घंटे बाद से लेकर रात को सोने से पहले तक में कभी भी आपको अधिक से अधिक हार्ड एक्सरसाइज करना है ! वास्तव में इस सिद्धांत के बारे में आज भी बहुत से लोगो को नही पता है कि शाम को फाइनल खाना खा लेने के कम से कम 1 घंटे बाद हार्ड एक्सरसाइज करने से मेटाबोलिज्म बहुत ही तेजी से सुधरने लगता है जिससे तेजी से वजन कम होता है !
कुछ लोगों को लग सकता है कि खाना खाने के बाद कड़ी मेहनत करने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है लेकिन ऐसा है नही क्योकि खाने के कम से कम एक घंटे बाद, हम निश्चित हार्ड एक्सरसाइज कर सकते हैं और इसका शरीर पर कोई बुरा असर नही पड़ेगा ! लेकिन जो भी हार्ड एक्सरसाइज किया जाए, उसका अभ्यास धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए, नहीं तो शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है !
इस हार्ड एक्सरसाइज में कुछ भी आप अपना मनपसन्द कर सकते हैं जैसे- 5 से 10 किलोमीटर तेज रफ्तार से पैदल टहलना, 1 से 3 किलोमीटर दौड़ना, जिम या अखाड़ा वर्कआउट, क्रिकेट – बैडमिंटन – हाकी – वालीबॉल – बास्केट बॉल या फुटबाल जैसा कोई खेल 1 घंटा खेलना आदि ! हार्ड एक्सरसाइज ऐसी होनी चाहिए कि आपका पूरा शरीर पसीने से नहा जाए और जो पसीना आपके शरीर से निकले उसे थोड़ी थोड़ी देर में साफ़ तौलिये से पोछते भी रहिये !
वास्तव में पसीने में आपकी पिघली हुई मेद (यानी चर्बी) होती है इसलिए अगर सम्भव हो तो अपने पसीने को थोड़ी – थोड़ी देर में तौलिये से पोछते रहना चाहिए और फिर एक्सरसाइज ख़त्म होने के बाद तौलिये को अच्छे से धोकर सूखने के लिए रख देना चाहिए ताकि उसमें आपकी वसा का थोड़ा सा भी अंश चिपका ना रहे ! इसलिए एक तौलिया से आपका काम ना चल पाता हो तो आप दो बड़ी तौलिया खरीद लें ! हार्ड एक्सरसाइज के बाद भी 20 मिनट तक कुछ खाना पीना नहीं चाहिए (पर अगर बहुत प्यास लगे तो 2 – 3 घूँट पानी पी सकतें हैं)!
फिर रात में 9 बजे, 1 ग्लास पानी को पहले इतना अधिक गर्म कीजिये जितना आप पी सकें, फिर उस पानी में एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर आप पी लें (ध्यान रखें कि पानी में शहद मिलाकर गर्म नहीं करना है, बल्कि गर्म हो चुके पानी में शहद मिलाना है) ! वास्तव में शुद्ध शहद उर्जा का भंडार होता है लेकिन गर्म पानी से लेने से यह आपकी अनावश्यक बढ़ी हुई भूख को भी कम करता है !
अगर शुरुआत में कुछ दिनों तक रात में बहुत भूख लगती हो तो आप कुछ भी कैलोरी लेस फ़ूड, जैसे सत्तू, भुना चना, या कोई दाना आदि खा सकतें हैं !
जिन लोगो की रात में भी चाय पीने की वर्षों पुरानी अनिवार्य आदत हो, वे काफी पीकर भी भूख मार सकते हैं ! पर यह हमेशा याद रखे कि आप जितना अधिक चाय – काफी पियेंगे उतनी ही आपकी वजन घटने की रफ्तार कम होगी !
रात में जल्दी सो जाएँ क्योकि जितना ज्यादा देर तक जागेंगे उतना ज्यादा भूख परेशान करेगी !
तो इस तरह दिनचर्या में कुछ आसान परिवर्तन करके, बिना कोई विशेष तकलीफ झेले हुए आराम से आप अपना वजन एक माह में 4 से 7 किलो तक अवश्य कम कर सकतें हैं !
और एक बार आपका वजन कम होकर उस सही स्तर पर आ जाए जिस पर आप चाहते हैं तो पूरी उम्मीद है कि उसके बाद सिर्फ प्राणायाम और हार्ड एक्सरसाइज के बल पर ही, सब कुछ संतुलित मात्रा में खाने पीन के बावजूद भी आपका वजन दुबारा नही बढ़ने पायेगा !
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