कानपुर जिले में पंडित भृगुदत्त नामक एक बड़े जमींदार थे। मुंशी सत्यनारायण उनके कारिंदा थे। वह बड़े स्वामिभक्त और सच्चरित्र मनुष्य थे। लाखों रुपये की तहसील और हजारों मन अनाज का लेन-देन उनके हाथ...
श्रीचन्द्र का एकमात्र अन्तरंग सखा धन था, क्योंकि उसके कौटुम्बिक जीवन में कोई आनन्द नहीं रह गया था। वह अपने व्यवसाय को लेकर मस्त रहता। लाखों का हेर-फेर करने में उसे उतना ही सुख...
अँधेरी रात के सन्नाटे में धसान नदी चट्टानों से टकराती हुई ऐसी सुहावनी मालूम होती थी जैसे घुमुर-घुमुर करती हुई चक्कियाँ। नदी के दाहिने तट पर एक टीला है। उस पर एक पुराना दुर्ग...
वह दरिद्रता और अभाव के गार्हस्थ्य जीवन की कटुता में दुलारा गया था। उसकी माँ चाहती थी कि वह अपने हाथ से दो रोटी कमा लेने के योग्य बन जाए, इसलिए वह बार-बार झिड़की...
जगदम्बा वैसे ही माँ होने के नाते जल्दी पिघल जाती है और ऊपर से नवरात्रि !! नवरात्रि में तो अनायास ही उनकी कृपा बरसती है बस जरुरत है लूटने वाली की ! ! धार्मिक...
आभूषणों की निंदा करना हमारा उद्देश्य नहीं है। हम असहयोग का उत्पीड़न सह सकते हैं पर ललनाओं के निर्दय घातक वाक्बाणों को नहीं ओढ़ सकते। तो भी इतना अवश्य कहेंगे कि इस तृष्णा की...
मन्दाकिनी के तट पर रमणीक भवन में स्कन्द और गणेश अपने-अपने वाहनों पर टहल रहे हैं। नारद भगवान् ने अपनी वीणा को कलह-राग में बजाते-बजाते उस कानन को पवित्र किया, अभिवादन के उपरान्त स्कन्द,...
लाला गोपीनाथ को युवावस्था में ही दर्शन से प्रेम हो गया था। अभी वह इंटरमीडियट क्लास में थे कि मिल और बर्कले के वैज्ञानिक विचार उनको कंठस्थ हो गये थे। उन्हें किसी प्रकार के...
आह ! वेदना मिली विदाई आह ! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई छलछल थे संध्या के श्रमकण आँसू-से गिरते थे प्रतिक्षण मेरी यात्रा पर लेती थी नीरवता...
पंजाब के सिंह राजा रणजीतसिंह संसार से चल चुके थे और राज्य के वे प्रतिष्ठित पुरुष जिनके द्वारा उनका उत्तम प्रबंध चल रहा था परस्पर के द्वेष और अनबन के कारण मर मिटे थे।...
प्रथम दृश्य स्थान – प्रकोष्ठ राजकुमार अजातशत्रु , पद्मावती , समुद्रदत्त और शिकारी लुब्धक। अजातशत्रु : क्यों रे लुब्धक! आज तू मृग-शावक नहीं लाया। मेरा चित्रक अब किससे खेलेगा समुद्रदत्त...
पंडित लीलाधर चौबे की जबान में जादू था। जिस वक्त वह मंच पर खड़े हो कर अपनी वाणी की सुधावृष्टि करने लगते थे; श्रोताओं की आत्माएँ तृप्त हो जाती थीं, लोगों पर अनुराग का...
इतिहास में घटनाओं की प्रायः पुनरावृत्ति होते देखी जाती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उसमें कोई नई घटना होती ही नहीं। किन्तु असाधारण नई घटना भी भविष्यत् में फिर होने की आशा...
मध्यप्रदेश के एक पहाड़ी गॉँव में एक छोटे-से घर की छत पर एक युवक मानो संध्या की निस्तब्धता में लीन बैठा था। सामने चन्द्रमा के मलिन प्रकाश में ऊदी पर्वतमालाऍं अनन्त के स्वप्न की...