वैशाख में प्रेमा का विवाह दाननाथ के साथ हो गया। शादी बड़ी धूम-धाम से हुई। सारे शहर के रईसों को निमंत्रित किया। लाला बदरीप्रसाद ने दोनों हाथों से रुपए लुटाए। मगर दाननाथ की ओर...
साड़ियाँ लौटा कर और कमलाप्रसाद को अप्रसन्न करके भी पूर्णा का मनोरथ पूरा न हो सका। वह उस संदेह को जरा भी न दूर कर सकी, जो सुमित्रा के हृदय पर किसी हिंसक पशु...
आदर्श हिंदू-बालिका की भाँति प्रेमा पति के घर आ कर पति की हो गई थी। अब अमृतराय उसके लिए केवल एक स्वप्न की भाँति थे, जो उसने कभी देखा था। वह गृह-कार्य में बड़ी...
पूर्णा प्रातःकाल और दिनों से आध घंटा पहले उठी। उसने दबे पाँव सुमित्रा के कमरे में कदम रखा। वह देखना चाहती थी कि सुमित्रा सोती है या जागती। शायद वह उसकी सूरत देख कर...
पूर्णा कितना ही चाहती थी कि कमलाप्रसाद की ओर से अपना मन हटा ले, पर यह शंका उसके हृदय में समा गई थी कि कहीं इन्होंने सचमुच आत्म-हत्या कर ली तो क्या होगा? रात...
इस वक्त पूर्णा को अपनी उद्दंडता पर पश्चाताप हुआ। उसने अगर जरा धैर्य से काम लिया होता तो कमलाप्रसाद कभी ऐसी शरारत न करता। कौशल से काम निकल सकता था, लेकिन होनहार को कौन...
बाबू दाननाथ के स्वभाव में मध्यम न था। वह जिससे मित्रता करते थे, उसके दास बन जाते थे, उसी भाँति जिसका विरोध करते थे, उसे मिट्टी में मिला देना चाहते थे। कई महीने तक...
दाननाथ यहाँ से चले, तो उनके जी में ऐसा आ रहा था कि इसी वक्त घर-बार छोड़ कर कहीं निकल जाऊँ! कमलाप्रसाद अपने साथ उन्हें भी ले डूबा था। जनता की दृष्टि में कमलाप्रसाद...
दाननाथ जब अमृतराय के बँगले के पास पहुँचे तो सहसा उनके कदम रुक गए, हाते के अंदर जाते हुए लज्जा आई। अमृतराय अपने मन में क्या कहेंगे? उन्हें यही खयाल होगा कि जब चारों...
संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी...
होली का दिन आया। पंडित वसंत कुमार के लिए यह भंग पीने का दिन था। महीनों पहले से भंग मँगवा रखी थी। अपने मित्रों को भंग पीने का नेवता दे चुके थे। सवेरे उठते...
लाला बदरीप्रसाद को दाननाथ का पत्र क्या मिला आघात के साथ ही अपमान भी मिला। वह अमृतराय की लिखावट पहचानते थे। उस पत्र की सारी नम्रता, विनय और प्रण, उस लिपि में लोप हो...
बाबू दाननाथ के स्वभाव में मध्यम न था। वह जिससे मित्रता करते थे, उसके दास बन जाते थे, उसी भाँति जिसका विरोध करते थे, उसे मिट्टी में मिला देना चाहते थे। कई महीने तक...
बड़े बेटे संतकुमार को वकील बना कर, छोटे बेटे साधुकुमार को बी.ए. की डिग्री दिला कर और छोटी लड़की पंकजा के विवाह के लिए स्त्री के हाथों में पाँच हजार रुपए नकद रख कर...
मि.सिन्हा उन आदमियों में हैं जिनका आदर इसलिए होता है कि लोग उनसे डरते हैं उन्हें ेदेखकर सभी आदमी आइए, आइए करते हैं,लेकिन उनके पीठ गेरते ही कहते हैं-बड़ा ही मूजी आदमी है, इसके...
शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है। उसके बाहर की भूमि उनके मनोरंजन और विनोद की जगह है। उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएँ और उनके मुकद़मेबाजी के अखाड़े होते...