स्वयं बने गोपाल

कहानी – अलग्योझा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की तो उसके लड़के रग्घू के लिये बुरे दिन आ गये। रग्घू की उम्र उस समय केवल दस वर्ष की थी। चैन से...

कहानी – ईदगाह – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज...

कहानी – सांसारिक प्रेम और देश प्रेम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

शहर लन्दन के एक पुराने टूटे-फूटे होटल में जहाँ शाम ही से अँधेरा हो जाता है, जिस हिस्से में फ़ैशनेबुल लोग आना ही गुनाह समझते हैं और जहाँ जुआ, शराब-खोरी और बदचलनी के बड़े...

कहानी – बेटोंवाली विधवा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्‍वाँरी थी। संपत्ति भी...

कहानी – बड़े भाई साहब – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया था; लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में...

कहानी – शांति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा देर रो लेता हूँ। हमारे और...

कहानी – पाप का अग्निकुंड – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कुँवर पृथ्वीसिंह महाराज यशवंतसिंह के पुत्र थे। रूप गुण और विद्या में प्रसिद्ध थे। ईरान मिò श्याम आदि देशों में परिभ्रमण कर चुके थे और कई भाषाओं के पंडित समझे जाते थे। इनकी एक...

कहानी – प्रायश्चित – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

दफ्तर में जरा देर से आना अफसरों की शान है। जितना ही बड़ा अधिकारी होता है, उत्तरी ही देर में आता है; और उतने ही सबेरे जाता भी है। चपरासी की हाजिरी चौबीसों घंटे...

कहानी – यह मेरी मातृभूमि है – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आज पूरे 60 वर्ष के बाद मुझे मातृभूमि-प्यारी मातृभूमि के दर्शन प्राप्त हुए हैं। जिस समय मैं अपने प्यारे देश से विदा हुआ था और भाग्य मुझे पश्चिम की ओर ले चला था उस...

कहानी – पंचतन्त्र – पढ़े-लिखे मूर्ख

किसी नगर में चार ब्राह्मण रहते थे। उनमें खासा मेल-जोल था। बचपन में ही उनके मन में आया कि कहीं चलकर पढ़ाई की जाए। अगले दिन वे पढ़ने के लिए कन्नौज नगर चले गये।...

बाल कहानिया – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

एक गधा लकड़ी का भारी बोझ लिए जा रहा था। वह एक दलदल में गिर गया। वहाँ मेढकों के बीच जा लगा। रेंकता और चिल्‍लाता हुआ वह उस तरह साँसें भरने लगा, जैसे दूसरे...

कहानी – शाप – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मैं बर्लिन नगर का निवासी हूँ। मेरे पूज्य पिता भौतिक विज्ञान के सुविख्यात ज्ञाता थे। भौगोलिक अन्वेषण का शौक मुझे भी बाल्यावस्था ही से था। उनके स्वर्गवास के बाद मुझे यह धुन सवार हुई...

कहानी – पंचतन्त्र – नीति अनीति

एक गाँव में द्रोण नाम का एक ब्राह्मण रहता था। भीख माँगकर उसकी जीविका चलती थी। उसके पास पर्याप्त वस्त्र भी नहीं थे। उसकी दाढ़ी और नाखून बढ़े रहते थे। एक बार किसी यजमान...

कहानी – मर्यादा की वेदी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

यह वह समय था जब चित्तौड़ में मृदुभाषिणी मीरा प्यारी आत्माओं को ईश्वर-प्रेम के प्याले पिलाती थी। रणछोड़ जी के मंदिर में जब भक्ति से विह्वल हो कर वह अपने मधुर स्वरों में अपने...

कहानी – पछतावा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पंडित दुर्गानाथ जब कालेज से निकले तो उन्हें जीवन-निर्वाह की चिंता उपस्थित हुई। वे दयालु और धार्मिक थे। इच्छा थी कि ऐसा काम करना चाहिए जिससे अपना जीवन भी साधारणतः सुखपूर्वक व्यतीत हो और...

कहानी – सज्जनता का दंड- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

साधारण मनुष्य की तरह शाहजहाँपुर के डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर सरदार शिवसिंह में भी भलाइयाँ और बुराइयाँ दोनों ही वर्तमान थीं। भलाई यह थी कि उनके यहाँ न्याय और दया में कोई अंतर न था। बुराई...