बाबू ईश्वरचंद्र को समाचारपत्रों में लेख लिखने की चाट उन्हीं दिनों पड़ी जब वे विद्याभ्यास कर रहे थे। नित्य नये विषयों की चिंता में लीन रहते। पत्रों में अपना नाम देख कर उन्हें उससे...
जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम...
हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो...
आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन वर्षों में उसने कठिन तपस्या करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर रखे थे, वह सब...
निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश...
जन्म प्यारे बच्चो! तुमने विजयदशमी का मेला तो देखा ही होगा। कहींकहीं इसे रामलीला का मेला भी कहते हैं। इस मेले में तुमने मिट्टी या पीतल के बन्दरों और भालुओं के से चेहरे लगाये...
सोना की आज अचानक स्मृति हो आने का कारण है। मेरे परिचित स्वर्गीय डाक्टर धीरेन्द्र नाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है : ‘गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला था।...
प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन...
कितनी लंबी और तीखी मार होती है फिर वह चाहे मौसम की हो या सिपाही की। चौंक कर उड़ी फड़फड़ाती हुई चील की तरह रज्जन की तकलीफ भरी हुई एक सदा-सी सुन पड़ी… ‘ओ...
जब मैं जाडों में लिहाफ ओढती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से मेरा दिमाग बीती हुई दुनिया के पर्दों में दौड़ने-भागने...
कुछ दिन से नवाब साहब के मुसाहिबों को कुछ हाथ मारने का नया अवसर नही मिला था। नवाब साहब थे पुराने ढंग के रईस। राज्य तो बाप-दादे खो चुके थे, अच्छा वसीका मिलता था।...
काट (काट – दस-बीस सिरकियों के खैमों का छोटा-सा गाँव) ‘पी सिकंदर’ के मुसलमान जाट बाकर को अपने माल की ओर लालचभरी निगाहों से तकते देख कर चौधरी नंदू वृक्ष की छाँह में बैठे-बैठे...
आज अपने हृदय में नयी-नयी आशाओं को धारण करके और अपने उद्देश्य पर पूर्ण विश्वास रखकर ‘प्रताप’ कर्मक्षेत्र में आता है। समस्त मानव जाति का कल्याण हमारा परमोद्देश्य है और इस उद्देश्य की प्राप्ति...
राजकुमार खमवास सेतना सम्राट यूसेर मातरा के पुत्र थे। वह अपना अधिकांश समय पुरातात्विक भाषा, जादू-टोने और अतिप्राचीन वस्तुओं के संग्रह में लगाते थे। एक दिन उन्हें पता चला कि साक्षात् भगवान थोट के...
‘अभ्युदय’ के जीवन-मरण का प्रश्न हिंदी संसार इस समाचार को सुनकर चकित और खिन्न होगा कि उसके प्रतिष्ठित और उपयोगी पत्र ‘अभ्युदय’ पर इन प्रांतों की सरकार की भस्म कर देने वाली तीखी दृष्टि...
एक बार महर्षि, अष्टावक्र महर्षि वदान्य की कन्या के रूप पर मोहित हो गये। उन्होंने उसके पिता के पास जाकर उस कन्या के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि वदान्य ने...