एक जनहित की संस्था में कुछ सदस्यों ने आवाज उठाई, ‘संस्था का काम असंतोषजनक चल रहा है। इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। संस्था बरबाद हो रही है। इसे डूबने से बचाना चाहिए। इसको या...
अगर दो साइकिल सचार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े तो उनके लिए यह लाजिमी हो जाता है कि वे उठकर सबसे पहले लड़ें, फिर धूल झाड़ें। यह पद्धति इतनी मान्यता प्राप्त कर...
पूज्य भाई साहब प्रणाम। झाँसी से लिखे हुए पत्र आपको मिल गये होंगे। उसके सबेरे ही मैं यहाँ बनापुर चतुर्वेदी जी के साथ चला आया। यहाँ अच्छी तरह से हूँ। कोई कष्ट नहीं। चतुर्वेदी...
मेरी परम प्यारी प्रकाश, कल तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। तुमने जो कुछ लिखा है, वह बिल्कुल ठीक है। माफी माँगने से अच्छा यह है कि मौत हो जाये। तुम विश्वास रखो कि मैं बेइज्ज्ती...
हरदोई जेल (26 मई 1930 से 15 मार्च 1931 के मध्य का कोई समय : संपा.) प्यारी कृष्णा प्रसन्न रहो। अपनी माता से कह देना कि वह तनिक भी न घबरायें। मैं बहुत अच्छी...
पूज्यनीय माँ, चरणों में प्रणाम। मैं तुम्हें कुछ भी सुख न पहुँचा सका। सदा कष्ट देता रहा। फिर कष्ट दे रहा हूँ। पिता की यह दशा है तो भी मैंने हृदय पर पत्थर धर...
सरकारी रिपोर्टर ने मेरे व्याख्यान की जो रिपोर्ट की है वह अपूर्ण, गलत और कहीं-कहीं बिल्कुल विकृत है। मेरा मतलब यह नहीं है कि रिपोर्टर ने जान-बूझकर महज इसलिए उसमें वे शब्द घुसेड़ दिये...
कितना सुंदर चिन्ह, अपने आत्मगौरव का! कितनी अनमोल क्यारी आत्मभिमान को पल्लवित करने के लिए! अपनी की हुई भूलों को सुधार लेना, अपने दुराशय से पूरित भावों के लिए सिहार उठना, अपने दुष्कृत्यों पर...
संसार के विस्तीर्ण कर्मक्षेत्र में सब प्राणियों द्वारा अगणित काम प्रतिदिन नहीं, प्रति घंटा, प्रति मिनट, यहाँ तक कि प्रतिपल होते रहते हैं। अच्छे कामों के संपादन में कुछ विशेष गुणों का परिचय, किसी...
साम्यवाद क्या है? संपत्तिवाद के विरुद्ध घोर प्रतिवाद। औद्योगिक क्रांति ने प्राचीन औद्योगिक संगठन को उलट कर उसके स्थान पर अर्वाचीन संपत्तिवाद की नींव डाली। पहले घरों के हाथ से माल तैयार किया जाने...
मेल-मिलाप की बातें करने वाले नेताओं के चरणों में ये सतरें हम निवेदित करते हैं। नेतागण विद्वान हैं। वे तपस्वी हैं। प्रभूत दया, देशप्रेम, सौहार्द और कष्ट-सहन उनके जीवन में ऐसे घुले-मिले हैं जैसे...
जेल के कैदी जेल को जेल और जेल के बाहर के स्थान को ‘दुनिया’ के नाम से पुकारते हैं। इसी प्रकार पहाड़ के रहने वाले लोग अपने देश को ‘पहाड़’ और नीचे के देश...
‘बलिदान केवल बलिदान’ – चित्तौड़ की स्वतंत्रता देवी बलिदान चाहती है। बादल उमड़े थे, बिजलियाँ कड़की थीं और घोर अंधकार छा गया था। अपवित्रता पवित्रता पर कब्जा करना चाहती थी और अनाचार आचार और...
संग्राम-घोर! न्याय और अन्याय का! मनुष्य के सर्वोच्च भावों और उसके सबसे नीचे भावों का। पशुता मनुष्यता के मुकाबले में है। एक ओर विकराल शक्ति और दूसरी ओर सौम्य शान्ति! एक ओर पशु-बल और...
1792 के पहले यूरोप तथा अमेरिका में गुलामों का निर्बाध व्यापार होता था। हब्शियों और नीग्रो लोगों को पकड़-पकड़कर यूरोपियन व्यापारी यूरोप तथा अमेरिका के रईसों और जमींदारों के हाथ बेचा करते थे। इन...
गहरे विश्राम के पश्चात् ‘प्रभा’ आज फिर कार्यक्षेत्र में पर्दापण करती है। उसका पहला वायुमंडल अत्यंत उच्च और सात्विक था। इसकी कल्पना तक हृदय को शुद्ध और ओजपूर्ण भावनाओं की ओर अग्रसर करती है।...