राष्ट्र महलों में नहीं रहता। प्रकृत राष्ट्र के निवास-स्थल वे अगणित झोंपड़े हैं, जो गाँवों और पुरवों में फैले हुए खुले आकाश के देदीप्यमान सूर्य और शीतल चन्द्र और तारागण से प्रकृति का संदेश...
8 अप्रैल से 15 अप्रैल तक देश के कितने ही स्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा का सप्ताह मनाया जायेगा। इन उत्सवों का मतलब यह होगा कि लोग राष्ट्रीय शिक्षा की बात को अच्छी तरह समझें।...
देश में कहीं-कहीं राष्ट्रीयता के भाव को समझने में गहरी और भद्दी भूल की जा रही है। आये दिन हम इस भूल के अनेकों प्रमाण पाते हैं। यदि इस भाव के अर्थ भली-भाँति समझ...
कवि-श्रेष्ठ मिल्टन की उक्ति है कि शान्तिकाल की विजय युद्धकाल की विजयी से कम नहीं होती। हमारा विचार है कि शान्तिकाल की विजय अधिक स्थायी, अधिक गौरवप्रद और अधिक वास्तविक होती है। शान्तिकाल की...
हम अपने लक्ष्य से दूर हटते जा रहे हैं। देश की आजादी का सवाल हमारे सामने है। कुछ समय पहले अधिकांश कार्यकर्ताओं को रात-दिन उसी की धुन थी, परंतु इस समय वे शिथिल हैं।...
वर्तमान युग अधिकारों का युग है। संसार के कोने-कोने से अधिकारों की ध्वनि उठ रही है। अत्याचारों से पीड़ित व्यक्तियों और समूहों से लेकर स्वतंत्र और शक्तिसंपन्न व्यक्तियों और समूहों तक सभी ने वर्तमान...
अनुत्तरदायी? जल्दबाज? अधीर, आदर्शवादी? लुटेरे? डाकू? हत्यारे? अरे, ओ दुनियादार, तू किस नाम से, किस गाली से विभूषित करना चाहता है? वे मस्त हैं। वे दीवाने हैं। वे इस दुनिया के नहीं हैं। वे...
यह वज्रपात है। वज्रपात देश के हृदय-स्थल पर! स्वप्न में भी इस बात का ध्यान न हुआ था कि अचानक ऐसा हो जायेगा। तार पढ़ते हुए भी कुछ क्षण तक यह विश्वास न हुआ...
शिक्षा के अधिक प्रचार से देश को जो बड़ा लाभ हो सकता है, उस पर कुछ कहना-सुनना मानी हुई बातों को दोहराना है। किसी भी उद्देश्य से हो, परंतु इस बात को स्वीकार करना...
वैसे तो हमारा देश-भर शिक्षा में, मनुष्य की बाहरी उन्नति के इस परमावश्यक साधन के विषय में, संसार-भर के सभ्य देशों से बहुत पिछड़ा हुआ है, परंतु देश में भी हमारा प्रांत इस विषय...
देश से सर्वश्रेष्ठ पत्र-संपादक उठ गया! ये संपादकाचार्य थे मद्रास के मि.सुब्रह्मण्यम् अय्यर। देश-भर में उनसा चतुर, योग्य और कुशाग्र बुद्धि का कोई पत्र-संपादक नहीं था। 23 वर्ष की अवस्था में उन्होंने ‘हिंदू’ पत्र...
पुराने जमाने में, एक माँ की कोख से पैदा हुए दो भिन्न प्रकृति के बेटों ने युद्ध किया था। खूब घमासान लड़ाई हुई थी। खून की नदियाँ बहीं। फिर वे थक गये। कुछ शांत...
अवस्थी – यह केवल दुर्भाग्य ही नहीं, किंतु हृदय को हिला और उसे रुला देने वाली बात भी है कि इस प्रियजन के, जिसके बिछोह की कोई कल्पना भी न की गयी हो और...
अत्यंत शोक और हृदय-वेदना के साथ हम अपने पाठकों को महात्मा गोखले के देहांत का समाचार सुनाते हैं। हमारे राष्ट्रीय विकास के इतिहास में 19 फरवरी 1915 का दिन एक अशुभ दिन समझा जायेगा।...
धीरे-धीरे एक-एक दीपक बुझते जा रहे हैं। इस विनाश-लीला में दुर्भाग्य ने जिस मजबूती के साथ हमारे प्रांत का पल्ला पकड़ा है, वैसी मजबती से दूसरे का नहीं। वर्ष के भीतर ही बाबू गंगाप्रसाद...