नरक स्वर्ग के साथ नरक के विषय में तेरहवें सर्ग में बहुत सी बातें लिखी जा चुकी हैं। जैसे स्वर्ग के विषय में भूतल के समस्त ग्रन्थ एक राय हैं, और उसके अस्तित्व को...
जन्मान्तर वाद पुनर्जन्म का सिद्धान्त आर्य जाति की उच्च कोटि की मननशीलता का परिणाम है। इसीलिए चाहे सनातन धर्म हो, चाहे बौद्ध धर्म उनमें पुनर्जन्म वाद स्वीकृत है। अन्य धर्मों अर्थात् ईसवी, मुसल्मान, और...
संसार क्या है? प्रकृति का क्रीड़ा स्थल, रहस्य निकेतन, अद्भुत व्यापार समूह का आलय, कलितकार्य कलाप का केतन, ललित का लीलामन्दिर, विविध विभूति अवलम्बन, विचित्र चित्र का चित्रपट, अलौकिक कला का कल आकर, भव्य-भाव...
प्रिय विचारशील एवं विवेचक महाशय, ‘चार’ शब्द से आशा है कि आप भली-भाँति परिचय रखते होंगे और समाचार, दुराचार, अत्याचार, अनाचार, सदाचार, शिष्टाचार, आचार, उपचार, प्रचार, विचार, उचार, अचार इत्यादि पदों के अन्त में...
महाराज भोज की गणना भारतवर्षीय प्रधान दानियों में होती है। वे अपने समय के धन-कुबेर तो थे ही, दानि-शिरोमणि भी थे। यदि वे मुर्तिमन्त दान थे तो उनकी धारानगरी दानधारा-तरंगिणी थी। हृदय इतना उदार...
यह कैसे कहा जा सकता है कि भारत के आधार से ही भगवान भूतनाथ की कल्पना हुई है। वे असंख्य ब्रह्माण्डाधिपति और समस्त सृष्टि के अधीश्वर हैं। उनके रोम-रोम में भारत जैसे करोड़ों प्रदेश...
चंदा मामा, दौड़े आओ दूध कटोरा भरकर लाओ। उसे प्यार से मुझे पिलाओ मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ। मैं तेरा मृग छौना लूँगा उसके साथ हँसूँ-खेलूँगा। उसकी उछल-कूद देखूँगा उसको चाटूँगा, चूमूँगा।
मनुष्य को कभी-कभी ऐसा कार्य हाथ में लेना पड़ता है, जिसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तिा नहीं होती, अब मैं एक ऐसा ही विषय हाथ में ले रहा हूँ, जिस पर मैं कुछ लिखना नहीं चाहता...
अशोक में फिर फूल आ गए है। इन छोटे-छोटे, लाल-लाल पुष्पों के मनोहर स्तबकों में कैसा मोहन भाव है। बहुत सोच समझकर कंदर्प देवता ने लाखों मनोहर पुष्पों को छोड़कर सिर्फ पाँच को ही...
आज तक कुछ लोगों का ख्याल था कि हिंदी की जननी संस्कृत है। यह बात भारत की भाषाओं की खोज से गलत साबित हो गई। जो उद्गम-स्थान परिमार्जित संस्कृत का है, हिंदी जिन भाषाओं...
परिमार्जित संस्कृत जैसा कि लिखा जा चुका है कि प्रारंभिक, किंवा पहली, प्राकृत से संबंध रखने वाली कई एक भाषाएँ या बोलियाँ थीं। उनका धीरे-धीरे विकास होता गया। भारत की वर्तमान भाषाएँ उसी विकास...
अपभ्रंश भाषाओं की उत्पत्ति दूसरे प्रकार की प्राकृत का विकास होते-होते उस भाषा की उत्पत्ति हुई जिसे ”साहित्यसंबंधी अपभ्रंश” कहते हैं। अपभ्रंश का अर्थ है – ”भ्रष्ट हुई” या ”बिगड़ी हुई” भाषा। भाषाशास्त्र के...
आर्य लोगों की सबसे पुरानी भाषा के नमूने ऋग्वेद में हैं ऋग्वेद के मंत्रों का अधिकांश आर्यों ने अपनी रोजमर्रा की बोल-चाल की भाषा में निर्माण किया था। इसमें कोई संदेह नहीं। रामायण, महाभारत...
विषयारंभ हिंदी भाषा की उत्पत्ति का पता लगाने, और उसका थोड़ा भी इतिहास लिखने में बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ हैं। क्योंकि इसके लिए पतेवार सामग्री कहीं नहीं मिलती। अधिकतर अनुमान ही के आधार पर इमारत खड़ी...