स्वयं बने गोपाल

कहानी – घर जमाई – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुआँ उठता नजर आता था। छन-छन की आवाज भी आ रही थी। उसके दोनों साले उसके बाद...

उपन्यास – आँख की किरकिरी- भाग- 3 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

उस दिन फागुन की पहली बसंती बयार बह आई। बड़े दिनों के बाद आशा शाम को छत पर चटाई बिछा कर बैठी। मद्धिम रोशनी में एक मासिक पत्रिका में छपी हुई एक धारावाहिक कहानी...

कहानी – झाँकी- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कई दिनों से घर में कलह मचा हुआ था। माँ अलग मुँह फुलाये बैठी थी, स्त्री अलग। घर की वायु में जैसे विष भरा हुआ था। रात को भोजन नहीं बना, दिन को मैंने...

उपन्यास – आँख की किरकिरी- भाग- 4 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

रात के अँधेरे में बिहारी कभी अकेले ध्यान नहीं लगाता। अपने लिए अपने को उसने कभी भी आलोच्य नहीं बनाया। वह पढ़ाई-लिखाई, काम-काज, हित-मित्रों में ही मशगूल रहता। अपने बजाय अपने चारों तरफ की...

कहानी – दिल की रानी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जिन वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई-दुनिया काँप रही थी, उन्हीं का रक्त आज कुस्तुन्तुनिया की गलियों में बह रहा है। वही कुस्तुन्तुनिया जो सौ साल पहले तुर्कों के आतंक से आहत हो...

कहानी – जहाँआरा (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

यमुना के किनारेवाले शाही महल में एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ है, केवल बार-बार तोपों की गड़गड़ाहट और अस्त्रों की झनकार सुनाई दे रही है। वृद्ध शाहजहाँ मसनद के सहारे लेटा हुआ है, और...

कहानी – कायर- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

युवक का नाम केशव था, युवती का प्रेमा। दोनों एक ही कालेज के और एक ही क्लास के विद्यार्थी थे। केशव नये विचारों का युवक था, जात-पाँत के बन्धनों का विरोधी। प्रेमा पुराने संस्कारों...

कहानी – जायसी का जीवनवृत्त – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

जायसी की एक छोटी सी पुस्तक ‘आखिरी कलाम’ के नाम से फारसी अक्षरों में छपी है। यह सन् 936 हिजरी में (सन् 1528 ई. के लगभग) बाबर के समय में लिखी गई थी। इसमें...

भोलेपन की पराकाष्ठा में भोले भण्डारी का खजाना लुटने की रात : महाशिवरात्रि

महामाया की परम ब्रह्म से लौकिक विवाह की रात है महाशिवरात्रि ! इस परम पावनी रात में ऐसे दुर्लभ संयोग बनते है, कि अति पीड़ादायक कष्ट भी आसानी से छोड़ भागते हैं ! महा शिवरात्रि...

कहानी – गुल्‍ली डंडा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूँ, तो जी लोट-पोट हो जाता है कि...

कहानी – देवदासी (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

1.3.25 प्रिय रमेश! परदेस में किसी अपने के घर लौट आने का अनुरोध बड़ी सान्त्वना देता है, परन्तु अब तुम्हारा मुझे बुलाना एक अभिनय-सा है। हाँ, मैं कटूक्ति करता हूँ, जानते हो क्यों? मैं...

कहानी – अनुभव – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

प्रियतम को एक वर्ष की सजा हो गयी। और अपराध केवल इतना था, कि तीन दिन पहले जेठ की तपती दोपहरी में उन्होंने राष्ट्र के कई सेवकों का शर्बत-पान से सत्कार किया था। मैं...

कहानी – नूरी (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

नूरी ”ऐ; तुम कौन?   ”……”   ”बोलते नहीं?”   ”……”   ”तो मैं बुलाऊँ किसी को-” कहते हुए उसने छोटा-सा मुँह खोला ही था कि युवक ने एक हाथ उसके मुँह पर रखकर...

कहानी – ज्योति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

विधवा हो जाने के बाद बूटी का स्वभाव बहुत कटु हो गया था। जब बहुत जी जलता तो अपने मृत पति को कोसती-आप तो सिधार गए, मेरे लिए यह जंजाल छोड़ गए । जब...

कहानी – ग्यारह वर्ष का समय – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल)

दिन-भर बैठे-बैठे मेरे सिर में पीड़ा उत्‍पन्‍न हुई : मैं अपने स्‍थान से उठा और अपने एक नए एकांतवासी मित्र के यहाँ मैंने जाना विचारा। जाकर मैंने देखा तो वे ध्‍यान-मग्‍न सिर नीचा किए...

कहानी – स्‍वामिनी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान से नहीं देखा गया,...