स्वयं बने गोपाल

कहानी – पद्मावत की कथा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

कवि सिंहलद्वीप, उसके राजा गंधर्वसेन, राजसभा, नगर, बगीचे इत्यादि का वर्णन कर के पद्मावती के जन्म का उल्लेख करता है। राजभवन में हीरामन नाम का एक अद्भुत सुआ था जिसे पद्मावती बहुत चाहती थी...

कहानी – शिकार- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

फटे वस्त्रों वाली मुनिया ने रानी वसुधा के चाँद से मुखड़े की ओर सम्मान भरी आँखो से देखकर राजकुमार को गोद में उठाते हुए कहा, हम गरीबों का इस तरह कैसे निबाह हो सकता...

कहानी – प्रेमगाथा की परंपरा -(लेखक – रामचंद्र शुक्ल)

इस नवीन शैली की प्रेमगाथा का आविर्भाव इस बात के प्रमाणों में से है कि इतिहास में किसी राजा के कार्य सदा लोकप्रवृत्ति के प्रतिबिंब नहीं हुआ करते। इसी को ध्यान में रख कर...

कहानी – खुदाई फौजदार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सेठ नानकचन्द को आज फिर वही लिफाफा मिला और वही लिखावट सामने आयी तो उनका चेहरा पीला पड़ गया। लिफाफा खोलते हुए हाथ और ह्रदय   दोनों काँपने लगे। खत में क्या है, यह...

कविता – जोगी खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

तजा राज, राजा भा जोगी । औ किंगरी कर गहेउ बियोगी॥ तन बिसँभर मन बाउर लटा । अरुझा पेम, परी सिर जटा॥   चंद्र बदन औ चंदन देहा । भसम चढ़ाइ कीन्ह तन खेहा॥...

कहानी – घासवाली – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में शंका समाई हुई थी। महावीर ने उसका तमतमाया हुआ चेहरा देखकर पूछा- क्या है...

कविता – प्रेम खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुनतहि राजा गा मुरछाई । जानौं लहरि सुरुज कै आई॥ प्रेम धााव दुख जान न कोई । जेहि लागै जानै ते सोई॥   परा सो पेम समुद्र अपारा । लहरहिं लहर होइ बिसँभारा॥  ...

कहानी – रसिक संपादक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

नवरस’ के संपादक पं. चोखेलाल शर्मा की धर्मपत्नी का जब से देहांत हुआ है, आपको स्त्रियों से विशेष अनुराग हो गया है और रसिकता की मात्रा भी कुछ बढ़ गयी है। पुरुषों के अच्छे-अच्छे...

कविता – नखशिख खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

का सिंगार ओहि बरनौं, राजा । ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा॥ प्रथम सीस कस्तूरी केसा । बलि बासुकि, काक और नरेसा॥   भौंर केस वह मालति रानी । बिसहर लुरे लेहिं अरघानी॥   बेनी...

कहानी – कुसुम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

साल-भर की बात है, एक दिन शाम को हवा खाने जा रहा था कि महाशय नवीन से मुलाक़ात हो गयी। मेरे पुराने दोस्त हैं, बड़े बेतकल्लुफ़ और मनचले। आगरे में मकान है, अच्छे कवि...

लेख – श्रीमती गजानंद शास्त्रिणी – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

श्रीमती गजानन्‍द शास्त्रिणी श्रीमान् पं. गजानन्‍द शास्‍त्री की धर्मपत्‍नी हैं। श्रीमान् शास्‍त्री जी ने आपके साथ यह चौथी शादी की है, धर्म की रक्षा के लिए। शास्त्रिणी के पिता को षोडशी कन्‍या के लिए...

कहानी – सुभागी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

और लोगों के यहाँ चाहे जो होता हो, तुलसी महतो अपनी लड़की सुभागी को लड़के रामू से जौ-भर भी कम प्यार न करते थे। रामू जवान होकर भी काठ का उल्लू था। सुभागी ग्यारह...

कविताये – तुम हमारे हो – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते । उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ।   ताब बेताब हु‌ई हठ भी हटी नाम अभिमान का...

कहानी – तावान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

छकौड़ीलाल ने दुकान खोली और कपड़े के थानों को निकाल-निकाल रखने लगा कि एक महिला, दो स्वयंसेवकों के साथ उसकी दुकान छेकने आ पहुँची। छकौड़ी के प्राण निकल गये। महिला ने तिरस्कार करके कहा-...

कविताये – प्राप्ति – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

तुम्हें खोजता था मैं, पा नहीं सका, हवा बन बहीं तुम, जब मैं थका, रुका ।   मुझे भर लिया तुमने गोद में, कितने चुम्बन दिये, मेरे मानव-मनोविनोद में नैसर्गिकता लिये;   सूखे श्रम-सीकर...

कहानी – गिला – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जीवन का बड़ा भाग इसी घर में गुजर गया, पर कभी आराम न नसीब हुआ। मेरे पति संसार की दृष्टि में बड़े सज्जन, बड़े शिष्ट, बड़े उदार, बड़े सौम्य होंगे; लेकिन जिस पर गुजरती...